नई दिल्ली, 6 अप्रैल (वीएनआई)| नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी.ओली आज तीन दिवसीय दौरे पर भारत पहुंचे। ओली ने फरवरी में दूसरी बार सत्ता में वापसी की। इसके बाद यह उनका पहला विदेशी दौरा है।
प्रधानमंत्री ओली व उनकी पत्नी राधिका शाक्य का केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने हवाईअड्डे पर स्वागत किया। प्रधानमंत्री का पदभार संभालने के बाद ओली का यह पहला विदेशी दौरा है और ऐसा कर उन्होंने भारत-नेपाल संबंधों की परंपरा को बरकरार रखा है। ओली की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वार्ता निर्धारित है और वह शनिवार को प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता में भाग लेंगे। नेपाल के विदेश मंत्रालय के अनुसार, ओली के 6 से 8 अप्रैल के दौरे के दौरान उनके साथ 54 सदस्यीय उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी आया है। इस दौरे में दोनों पक्षों को कृषि, अनुसंधान व विकास, शिक्षा व प्रशिक्षण, नेपाल से भारतीय बंदरगाहों तक अंतर्देशीय जल नौवहन की संभावना की खोज और दोनों देशों के बीच काठमांडू तक भारतीय रेल के विस्तार पर समझौता होने की उम्मीद है।
ओली शाम को प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात करेंगे और कई मुद्दों पर बातचीत होने की उम्मीद है। इसमें नेपाल में भारत द्वारा वित्त पोषित परियोजनाओं के शीघ्र निष्पादन, महाकाली संधि का क्रियान्वयन, जिसमें नदी के पानी को इसी नाम से साझा करने व एकीकृत चेकपोस्ट के निर्माण की बात भी शामिल है।ओली का उत्तराखंड में जी.बी.पंत कृषि व प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, ब्रीडर बीज उत्पादन व एकीकृत खेती परियोजना का दौरे का कार्यक्रम तय है। ओली के साथ विदेश मामलों के मंत्री प्रदीप ग्यावली, उद्योग मंत्री, वाणिज्य व आपूर्ति मंत्री मात्रिका यादव, भौतिक बुनियादी ढांचा व परिवहन मंत्री रघुबीर महासेत, प्रधानमंत्री के प्रमुख सलाहकार बिष्णु रिमल, सांसद व वरिष्ठ अधिकारी आए हुए हैं। यह दौरा हाल के कुछ सालों में दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों के बीच उभरे कुछ तनाव के बीच हो रहा है।
भारत-नेपाल सीमा पर नाकेबंदी के बाद 2016 में ओली को नेपाल के प्रधानमंत्री पद से हटना पड़ा था। नेपाल में बहुत से लोग नाकेबंदी के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराते हैं, जिससे नेपाल की अर्थव्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ा था। नेपाल के चीन के साथ वन बेल्ट वन रोड परियोजना में शामिल होने के निर्णय से भी भारत के साथ संबंधों में तनाव आया। भारत की चिंता है कि चीन की परियोजना से भारत के रणनीतिक व आर्थिक हितों को नुकसान पहुंचेगा।नेपाल ने चीन के साथ कई व्यापार व पारगमन समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
No comments found. Be a first comment here!