नई दिल्ली,२४ मई(वी एन आई)भारत ने सीआरपीएफ के एक सेवानिवृत्त महानिरीक्षक को कनाडा में प्रवेश करने से रोकने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल जैसे एक प्रतिष्ठित बल के इस तरह के वर्णन को 'पूरी तरह अस्वीकार्य' बताया. वहां कनाडा हवाईअड्डे के अधिकारियों ने इस घटना के बाद स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि उन्होंने एक ऐसे संगठन में सेवा दी है जो कथित रूप से 'आतंकवाद' एवं 'मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन' में शामिल हैं. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल जैसे एक प्रतिष्ठित बल के इस तरह के वर्णन को 'पूरी तरह अस्वीकार्य' बताया.
बागले ने कहा, 'हमने एक वरिष्ठ सेवानिवृत भारतीय पुलिस अधिकारी को कनाडाई अधिकारियों द्वारा प्रवेश से मना करने के बारे में खबरें देखी है. हम कनाडा सरकार के समक्ष यह मुद्दा ले गए हैं'. इसी बीच कल देर रात कनाडा के उच्चायुक्त नादिर पटेल ने एक बयान जारी करके इस घटना की वजह से इस अधिकारी व उनके परिवार को हुई असुविधा पर खेद व्यक्त किया साथ ही कहा कि हवाईअड्डा पर ढिल्लन को दिए गए एक दस्तावेज में मौजूद भाषा भारत या सीआरपीएफ सहित किसी खास संगठन के प्रति कनाडा सरकार की नीति को जाहिर नहीं करती. गौरतलब है कि वर्ष २०१० मे भी कनाडा ने सेना व कुछ पूर्व अधिकारियो को भी मानवाधिकारो के उल्लघंन का आरोप लगाते हुए कनाडा आने का वीजा नही दिया था
गौरतलब है कि टीएस ढिल्लन गत 18 मई को अपनी पत्नी के साथ कनाडा के एक हवाईअड्डे पर उतरे और उन्हें 20 मई को भारत की एक उड़ान में वापस भेज दिया गया. हालांकि उनकी पत्नी को कनाडा में उनके गंतव्य पर जाने दिया गया.
ढिल्लन ने कहा, 'मैं एक पारिवारिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए गत 18 मई को अपनी पत्नी के साथ कनाडा के हवाईअड्डे पर उतरा, लेकिन हवाईअड्डे पर तैनात कनाडा की सीमा एजेंसी ने मुझे देश में प्रवेश नहीं करने दिया'. उन्होंने कहा, 'मैंने उन्हें बताया कि मैं भारतीय पुलिस, सीआरपीएफ का एक सेवानिवृत्त भारतीय अधिकारी हूं, लेकिन उन्होंने मेरी एक सुनी नहीं और मुझसे बहुत ही बुरी तरीके से बात की. उन्होंने मुझे कहा कि मेरा बल मानवाधिकार उल्लंघनों में संलिप्त है'.
गौरतलब है कि ढिल्लन 2010 में बल के आईजी पद से सेवानिवृत्त हुए थे.