नई दिल्ली 25 अप्रैल ( शोभना जैन ,वीएनआई ) एक तरफ जहा धधकते पश्चिम एशिया संकट के बीच ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की आज से शुरू हुई पाकिस्तान यात्रा को ले कर पश्चिन एशिया और विशेष कर अमरीका और पश्चिम देशों की नजरे टिकी हैं. जाहिर हैं कि ईरान-इसराइल विवाद की पृष्ठभूमि के साथ-साथ पाकिस्तान की वर्तमान राजनीतिक और आर्थिक स्थिति में रईसी का यह दौरा विशेष महत्व रखता है, खास तौर पर जबकि रईसी की ईरान और इजरायल के बीच सीधी भीषण युद्ध के बाद किसी देश की यह पहली यात्रा हैं. वही तल्ख रिश्तों के दौर से गुजर रहे भारत और पाकिस्तान को ले कर पाकिस्तान के पंजाब सूबें की मुख्य मंत्री मरियम नवाज ्के एक बयान को ले कर भारत और पाकिस्तान के तल्ख रिश्तों को बेहतर बनाने के लिये मे एक नयी उम्मीद की नजर से देखा जा रहा हैं. मरियम ने भारत के साथ बेहतर संबंधों की वकालत करते हुए अपनी "पंजाबी पहचान" की बात कही. तो क्या मरियम का यह बयान भारत और पाकिस्तान की साझा सांस्कृतिक विरासत के बीच मेल मिलाप का एक सेतु बन सकता हैं ? वैसे तो दोनों देशों के अनेक राजनेता आपसी निकट द्विपक्षीय संबंधों की वकालत करने के लिए कई मौकों पर "पंजाबियत" की साझी विरासत का आह्वान करते रहे है, ऐसे में अब जब कि हाल ही में पाकिस्तान में आम चुनाव के बाद पूर्व प्रधान मंत्री नवाज शरीफ के भाई शहबाज़ शरीफ़ की सरकार बनी हैं और नवाज शरीफ की बेटी मरियम शरीफ पंजाब प्रांत की मुख्य मंत्री बनी हैं. ऐसे में मरियम का पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा करतारपुर साहिब में भारत से गयें शृधालुओंके समक्ष दिया गया इस आशय का भाषण खासा अहम माना जा रहा हैं, खास तौर पर ऐसे में जब कि भारत आम चुनाव के बाद नयी सरकार बनाने को हैं और ऐसे मे देखना होगा कि ऐसे बयानों के बाद केन्द्र में नयी सरकार के गठन के बाद भारत पाक रिश्तों को पटरी पर लाने के लिये क्या स्थति बनती हैं, पाकिस्तान के रूख को भॉपते हुये भारत की नयी सरकार क्या रूख अपनाती हैं ?
तीन दिन पूर्व ही करतारपुर साहिब में 3,000 सिख तीर्थयात्रियों का स्वागत करते हुये मरियम नवाज शरीफ ने भारत के साथ बेहतर संबंधों की वकालत करते हुए अपनी पंजाबी पहचान की बात कही.मरियम ने कहा, "आप पंजाब (भारत) से हैं, मैं पाकिस्तान से हूं, लेकिन मैं भी एक सच्ची पंजाबी हूं," और अपने पिता, पाकिस्तान के पूर्व प्रधान मंत्री नवाज शरीफ को उद्धृत करते हुए कहा : "पड़ोसियों के साथ युद्ध मत लड़ो, दरवाजे खोलो।" दोस्ती के लिए, अपने दिल के दरवाजे खोलो"
घनिष्ठ द्विपक्षीय संबंधों की वकालत करने के लिए सीमा के दोनों ओर के राजनेताओं द्वारा कई अवसरों पर साझा पंजाबी पहचान की तो बात करते रहे है, लेकिन देखना होगा कि दोनों देशों के बीच संबंधों में पंजाबियत को कहां रखा गया है?
बंटवारे के बाद पाकिस्तान से भारत आये एक परिवार के बुजुर्गवार का कहना हैं"1947 में पंजाब के विभाजन के 75 से अधिक वर्षों के बाद, और भारत और पाकिस्तान के बीच चार युद्धों के बावजूद, ऐसे कई लोग हैं जो बंधन महसूस करना जारी रखते हैं. वे अपनी साझी संस्कृति और पहचान - पंजाबियत - द्वारा एकजुट महसूस करते हैं.“जहां विभाजन की दर्दनाक यादें हैं, वहीं सहानुभूति के बंधन और साझा संस्कृति भी हैं.
विदेश नीति और रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ सी राजा मोहन ने भी हाल ही में अपने एक लेख मे लिखा " सीमा के दोनों ओर के कई लोग इस भावना को साझा करते हैं कि अब समय आ गया है कि इस त्रासदी से उबरा जाए, नुकसान की भावना को बहाल किया जाए, दोनों देशों के लोगों के बीच संपर्क बढानेंसंपर्क और व्यापार (दोनों पंजाबों के बीच) अंततः भारत और पाकिस्तान के बीच राष्ट्रीय मेल-मिलाप के लिए एक पुल हो सकता है,'' ्पाकिस्तान के विदेश मंत्री मुहम्मद इशाक डार ने पिछले दिनों कहा था कि "पाकिस्तानी व्यापारी भी यही चाहते हैं,पाकिस्तान भारत के साथ व्यापार फिर से शुरू करने की 'गंभीरता से समीक्षा' कर सकता है:" भारत के साथ अटारी-वाघा भूमि मार्ग 2005 में खोला गया था, ट्रकों की आवाजाही 2007 में शुरू हुई थी. अटारी में आईसीपी ने भारत और पाकिस्तान के बीच तेज और लागत प्रभावी भूमि व्यापार के लिए सुविधाएं प्रदान कीं. वर्ष 2014 में एक सरकारी गणना के अनुसार, ICP के लिए व्यापार क्षमता 10 बिलियन डॉलर थी.अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद पाकिस्तान द्वारा व्यापार निलंबित करने के बाद 2019 में यह मार्ग बंद कर दिया गया था। लेकिन दोनों पक्षों के कई लोग आश्वस्त हैं कि दोनों पंजाबों के बीच और भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार पारस्परिक रूप से लाभप्रद है.
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार संयुक्त राज्य अमेरिका में पूर्व भारतीय राजदूत और अब अमृतसर लोकसभा सीट से भाजपा के उम्मीदवार तरनजीत सिंह संधू ्ने भी कहा कि वह एक बार फिर "व्यापार के लिए मार्ग खोलने पर जोर देंगे"।
्पंजाब से जुड़ी विशिष्ट हस्तियॉ अक्सर पंजाबियत की भावना से भी एक दूसरे देशों के बीच सांस्कृतिक पुल का काम करती रही रही हैं. आर्थिक संबंधो को बढा्वा देने की दृष्टि से पाकिस्तान द्वारा कुछ वर्ष पूर्व भेजा गया उर्जा आयात के प्रस्ताव पर भी भारत ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दिखाई तत्कालीन पाक प्रधान मंत्री नवाज शरीफ की 2014 की भारत यात्रा के बाद भारत के उपक्रम " गेल" द्वारा वाघा सीमा से प्राकृतिक गेस सप्लाई करने की बात थी लेकिन पाकिस्तानी सेना के अड़गे की वजह से प्रस्ताव कार्य रूप नही ले पाया. बहरहाल देखना होगा कि मरियम के इस बयान पर पाकिस्तानी सेना का कितना समर्थन हासिल है क्यों कि वहा सरकार सेना के समर्थन से ही टिकी हैं
. मरियम ने कहा कि वह पाकिस्तानी हैं, लेकिन "शुद्ध पंजाबी भी हैं", दोनों तरफ के पंजाबियों के बीच एक रिश्ता है, और "पंजाब हमारे दिलों में बसता है",बहरहाल दोनों देशों के बीच पंजाबियत की साझी संस्कृति का गहरा कनेक्ट है.बहरहाल दोनों देशों के बीच पंजाबियत की साझी संस्कृति का गहरा कनेक्ट है उम्मीद की जानी चाहिये कि यह कनेक्ट आपसी रिश्तों को मजबूती देने की स्थति मे होगा बहररहाल फिलहाल तो दोनों ही के संबंध पाकिस्तान के रूख के वजह से सुलझते कम उलझते ज्यादा रहे है. भारत का कहना हैं कि पाकिस्तान अपने यहा से प्रायोजित आतंकी गतिवि धियॉ रोके और कश्मीर उस का अभिन्न अंग हैं जब कि पाकिस्तान जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा वापस दिये जाने की मॉग कर रहा हैं . ऐसे में देखना होगा कि मरियम जैसे बयानों पर वहा की सेना क्या रूख जाहिर करती हैं.बहरहाल भारत में नयी सरकार उस वक्त भारत पाक रिश्तों पर पाकिस्तान की पोजीशन के अनुरूप ही फैसला लेगी, अलबत्ता तब तक बेक चेनल डिप्लोमेसी होती रहनी चाहिये. समाप्त
फोटो आभार- The Indian Express