नई दि्ल्ली, 22 अक्टूबर ( शोभना जैन/ वीएनआई) भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा- एलओसी पर सैनिकों की गश्त को लेकर पिछले साढ़े चार से चले आ रहा सीमा विवाद को हल करने के लिये एक अहम समझौता हो गया हैं.
रूस में 22-23 अक्टूबर को हो रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रवानगी से ठीक पहले विदेश मंत्रालय की ओर से कल ये घोषणा की गई. चीन ने भी इस समझौते की आधिकारिक तौर पर पुष्टि कर दी है.वैसे कुछ जानकारों का मानना है कि अतीत में भी चीन के साथ ऐसे समझौते हुए हैं. लेकिन उसके बाद चीन की ओर से आक्रामकता सामने आई है इस में अभी हमें सावधानी से चीन के कदमों पर नजर रखनी होगी.हालांकि इस समझौते से जुड़ी विस्तृत जानकारी अभी नहीं दी गई है लेकिन कुछ जानकार इसे संबंधों को सामान्य करने की ओर एक अहम कदम मान रहे हैं.गौरतलब हैं कि विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने भी ्क् एक निजी टेलीविजन में कहा था, ''साल 2020 में सीमा पर हुये तनाव दे पूर्व भारत के सैनिक चीन से लगी सरहद पर जहाँ तक पेट्रोलिंग करते थे, वहाँ फिर से कर पाएंगे.' समझा जाता हैं कि समझौते से पूर्वी लद्दाख के डेमचोक और देपसांग में पेट्रोलिंग फिर से शुरू होगी यहां से दोनों देश अपनी सेना पीछे हटाने पर सहमत हो गयें हैं
'विदेश मंत्री ने कहा, ''तनाव कम करने के लिए भारत और चीन के बीच वार्ता पूरी हो चुकी है. आपसी सहमति पर दोनों पक्ष आज ही पहुंचे हैं. और आने वाले समय में और जानकारियां सामने आएगी.'' उनका कहना था, "एलओसी पर 2020 से पहले वाली स्थिति बहाल होगी. यह एक महत्वपूर्ण सकारात्मक हटानेघटनाक्रम है लेकिन इसके पूरे असर का आकलन करना जल्दबाजी होगी. हमें इंतज़ार करना होगा." उन्होंने कहा, ''अभी समझौता ‘डिसएंगेजमेंट’ का हुआ है. इसका मतलब है कि कुछ इलाक़े में ये हो चुका है और कुछ इलाकों में ये होना है. पिछले महीने ही भारतीय सेना अध्यक्ष ने भी कहा था कि कुछ मुद्दों को हल कर लिया गया है और अब आने वाले समय में कठिन समस्याओं का भी समाधान होने की संभावना है.''
जून 2020 में क्षेत्र के गलवान इलाकें में चीन के कुछ सैनिको द्वारा वहा तैनात भारतीय सैनिकों की टुकड़ी पर नृशंस हमला किये जाने के बाद दोनों देशों के संबंध बेहद तनावपूर्ण हो गये.
पिछले कुछ महीनों में कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर जो वार्ताएं हुई हैं, उसका ही नतीजा है कि तनाव कम करने पर एक समझौते की बात सामने आई है.. जानकारों का मानना हैं कि उसमें ये साफ़ नहीं है कि विवाद के बाकी बिंदुओं पर इस समझौते का क्या असर पड़ेगा.
बहरहाल यह समझौता ना केवल सीमा तनाव कम करने, द्विपक्षीय संबंधों के लियें बल्कि यह भारत चीन के साथ प्रशांत क्षेत्र के लिए भी बहुत अच्छी ख़बर है उम्मीद हैं कि चीन इस समझौते का पालन करेगा. वी एन आई/ शोभना
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