भारत चीन के बीच पहली रणनीतिक वार्ता अहम होगी-वार्ता 22 फरवरी से बीजिंग मे

By Shobhna Jain | Posted on 17th Feb 2017 | विदेश
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बीजिंग, 17 फरवरी (शोभना जैन/वी एन आई)विदेश सचिव एस जयशंकर चीन के साथ पहली अहम रणनीतिक वार्ता के लिये अगले सप्ताह चीन जा रहे है.सूत्रो के अनुसार इस बातचीत मे दोनो पक्षो के द्विपक्षीय संबंधो के अलावा पाक आतंकी मसूद अजहर पर चीन के 'नकारात्मक' एक बार फिर उठने की संभावना है. वार्ता से ठीक पहले एक बार फिर चीन ने आतंकी मसूद को संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकी घोषित किये जाने के भारत की मॉग पर अड़गा डालते हुए कहा कि भारत इस बारे मे सबूत दे. भारत का बराबर यही कहना है कि पाकिस्तान पोषित आतंकी जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद को संयुक्त राष्ट्र आतंकी घोषित करे लेकिन चीन दो बार संयुक्त राष्ट्र मे भारत द्वारा रखे गये इस आशय के प्रस्ताव को दो बार वीटो कर चुका है. इस वार्ता मे दोनो देशो के बीच तनाव कम करने, एन एस जी परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह एन एस जी मे भारत की सदस्यता मे चीन द्वारा अवरोध खड़ा करनाआदि अनेक मुद्दो पर्चर्चाहोनेकी संभावना हैइसी बीच इस वार्ता से ठीक पहले चीनी की सरकारी मीडिया का कहना है कि अगले हफ्ते रणनीतिक वार्ता के दौरान भारत और चीन को संबंधों को सुधारने के लिए अपनी कूटनीतिक रणनीति में बदलाव करना चाहिए क्योंकि टकरावों को दूर करने में बफर के रूप में काम करने वाले आर्थिक रिश्ते बाजारों में कड़ी प्रतिस्पर्धा के चलते कमजोर हो रहे हैं। सरकारी अखबार ग्लोबल टाईम्स में आज छपे एक लेख में कहा गया है, ''जब प्रतिस्पर्धा बढ़ती है तो व्यापारिक टकराव को दूर करने के रूप में काम करने वाला आर्थिक रिश्ता कमजोर होता है। ऐसे में दोनों पड़ोसियों को जटिल राजनीतिक स्थिति से और सावधानी से निबटने की जरूरत है। '' इस दैनिक वेबवाइट का यह लेख कहता है कि पहला भारत चीन रणनीतिक वार्ता 22 फरवरी को बीजिंग में होने की संभावना है।यह अपनी कूटनीतिक रणनीति में बदलाव के लिए दोनों देशों को एक बड़ा मौका प्रदान करेगा। संभावना है कि दोनों पक्ष विभिन्न मुद्दों पर बढ़ते तनाव के समाधान के लिए कदमों पर चर्चा करेंगे। इन मुद्दों में जैश ए मोहम्मद के नेता मसूद अजहर को आतंकवादी घोषित करने और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत के प्रवेश के मार्ग में चीन द्वारा अवरोध खड़ा करना शामिल है। अखबार कहता है, ''ताईवान के महिला प्रतिनिधिमंडल के भारत दौरे के बाद भारत-चीन संबंध गंभीर इम्तिहान से गुजर रहा है। ऐसे मुद्दों को भविष्य में और सावधानी से संभाला जाना चाहिए। '' रिपोर्ट कहती है कि आर्थिक रिश्ते अब बफर के रूप में काम नहीं करते क्योंकि एक नये अध्ययन के मुताबिक अन्य दक्षिण एशियाई देशों की तुलना में चीन का भारत के साथ निम्न औद्योगिक पूरकता है, फलस्वरूप वैश्विक बाजार में दोनों देशों के उत्पादों के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा पैदा होती है। सरकारी थिंक टैंक चाइनीज एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज के एक नये अध्ययन का हवाला देकर इस आलेख में कहा गया है कि अधिक आर्थिक प्रतिस्पर्धा की संभावना है जिससे भावी चीन-भारत रिश्ते में अधिक अनिश्चितता के बादल मंडराने की आशंका है। पिछले दो दशकों में तेजी से बढ़े भारत चीन व्यापार एवं निवेश संबंधों को दोनों देशों के बीच सीमा एवं रणनीतिक प्रतिस्पर्धा जैसे जटिल मुद्दों से निबटने के लिए बीच का रास्ता माना जाता है।

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