हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन-अफगान राष्ट्रपति ने पाकिस्तान को 'आतंक का अभयारण्य' बताया

By Shobhna Jain | Posted on 4th Dec 2016 | विदेश
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अमृतसर, 4 दिसम्बर (वीएनआई)। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए आज सीधे पाकिस्तान का नाम लेते हुए कहा कि यदि पड़ोसी देश से आतंकियों को समर्थन मिलना जारी रहेगा तो आर्थिक सहायता की कोई भी राशि युद्ध से तबाह देश को मजबूत होने में मदद नहीं कर सकती। गनी की यह कठोर टिप्पणी अफगानिस्तान पर छठे 'हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन-इस्तानबुल प्रक्रिया' में की। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में आतंकियों के खिलाफ सैन्य अभियान कुछ चुनिंदा आतंकियों को उनके ठिकानों से हटाने के लिए चलाए गए। संवाद समिति आईएएनएस के अनुसार गनी ने कहा, "पाकिस्तान में सरकार प्रायोजित अभयारण्य मौजूद हैं। तालिबान के एक अधिकारी ने हाल में कहा था कि यदि पाकिस्तान में उन्हें सुरक्षित पनाहगाह न मिले तो वे एक माह भी नहीं टिके रह पाएंगे।" अफगानिस्तान के विकास पर आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम में भाग लेते हुए अफगानिस्तान के राष्ट्रपति गनी ने यह बात कही। इस सम्मेलन में पाकिस्तान की विदेश नीति के सलाहकार सरताज अजीज भी हिस्सा ले रहे हैं। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति ने युद्ध से तबाह अपने देश के पुननिर्माण के लिए 50 करोड़ डॉलर दान देने के पाकिस्तान की पेशकश के लिए पाकिस्तान को धन्यवाद दिया, लेकिन सरताज अजीज को प्रत्यक्ष रूप से संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "जनाब अजीज, मैं आशा करता हूं कि महोदय आप इसका इस्तेमाल पाकिस्तान में आतंकियों एवं चरमपंथियों से लड़ने के लिए करेंगे।" गनी ने भारत की पाकिस्तान से होने वाले सीमा पार के आतंकवाद की चिंता को साझा किया और कहा कि दुनिया को इस बुराई से लड़ने की जरूरत है। उन्होंने कहा, "अफगानिस्तान में पिछले वर्ष सबसे अधिक संख्या में लोग हताहत हुए। यह अस्वीकार्य है। कुछ देश अब भी आतंकियों को सुरक्षित ठिकाना मुहैया करा रहे हैं।" राष्ट्रपति ने कहा कि वह पंजाब के इस शहर में आयोजित कार्यक्रम में आरोप-प्रत्यारोप के खेल में शामिल होना नहीं चाहते, सम्मेलन में दक्षिण और मध्य एशिया और कई पश्चिमी देशों के नेता शामिल हैं। उन्होंने कहा कि वह आतंक के निर्यात को रोकने के लिए क्या किया जा रहा है, इस बारे में स्पष्टीकरण चाहते हैं। इससे पहले गनी ने अफगानिस्तान के विकास के लिए भारत के बिना शर्त सहायता की सराहना की। उन्होंने कहा कि चाबाहार बंदरगाह का विस्तार भारत, ईरान और उनके देश के बीच क्षेत्रीय व्यापार और संपर्क के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

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