नई दिल्ली 5 अगस्त ( शोभना जैन/वीएनआई)बंगलादेश में पिछलें चौबीस घंटे में तेजी से घटे नाटकीय घटनाक्रम में पिछले कुछ माह से शेख हसीना की सरकार के खिलाफ चल रहे सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों के लगातर उग्र और हिंसक होनेंऔर स्थति अराजक होने के बाद प्रधानमंत्री शेख़ हसीना ने इस्तीफ़ा दे दिया और बंगलदेश सेना के संरक्षण देश छोड़ यात्रा के पहले पड़ाव में नयी दिल्ली के निकटवर्ती हिंडन एयर बेस पहुंच गयी शेख हसीना के इस्तीफे के बाद वहा सेना ने अठारह सद्स्यीय अंतरिम सरकार ने सत्ता संभाल ली,फिलहाल वे दिल्ली के निकटवर्ती हिंडन एयर बेस पर हैं जहा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल शेख हसीना के नये पड़ाव और ठिकानें के बारें चर्चा कर रहे हैं. फिलहाल इस बारे में अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है. पहले ऐसे समाचार थे कि हसीना शायद लंदन जाये लेकिन ब्रिटेन द्वारा उन्हे राजनीतिक शरण दिये जाने से इंकार किये जाने के बाद फिलहाल इस बारे में अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है. लेकिन ्भारत के पड़ोसी और मित्र देश के इस घटनाक्रम से भारत मे भी गहरी चिंता के बादल छा गये हैं. भारत हालात पर नजर रखे हुए है , उस की तरफ से अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नही आयी हैं.स्थिति के कुछ स्पष्ट होने के बाद वह अपना अगल कदम तय करेगा. मामले की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता हैं कि विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी को पूरे हालात से अवगत कराया. प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी विदेश मंत्री से भेंट कर बंगलादेश के घटनाक्रम पर चिंता जाहिर की. बंगलादेश भारत का ना केवल पड़ोसी मित्र देश हैं ्बल्कि उस की सीमायें भी भारत से जुड़ी हुई है . इसी के मद्देनजर सीमा पर सतर्कता बढ़ा दी गई हैं. हसीना के इस्तीफे के बाद वहा प्रदर्शनकारी पूरी तरह से अनियंत्रित हो गये.विमान सेवा एयर इंडिया ने ढाक़ा जाने वाली तमाम उड़ानें फिलहाल रद्द कर दी गई हैं आगजनी और हिंसा की घटनाओ के बाद वहा रहने वाले लगभग एक करोड़ अल्प संख्यक हिंदूओ के घरो को भी निशाना बनायी जाने की खबर हैं. जो भारत के लिये और भी चिंताजनक हैं . इस के अलावा वहा फिलहाल 6,000 भारतीय छात्र और दूतावास कर्मचारी फंसे हुए हैं, जिन को सुरक्षित स्वदेश लाना भारत की पहली प्राथमिकता हैं
इस समूचे घटनाक्रम ने दुनिया को 15 अगस्त 1975 की उस भयावह त्रासदी की याद दिला दी जब कि बंगलादेश के जनक शेख मुजीबुर रहमान के पूरी परिवार की हत्या कर दी. शेख हसीना उस वक्त अपने पति और बहन के साथ विदेश मे थी, इस लिये वे बच गयी.
गौरतलब हैं कि बंगलादेश में नौकरियों में आरक्षण को ले कर हसीना सरकार की नीतियों के खिलाफ शुरू हुए प्रदर्शन धीरे धीरे उग्र हो गये और न्यायालय के दखल के बावजूद स्थिति नियंत्रण मे नही आ पायी.सुरक्षाबलों के बीच भिड़ंत में पिछले महीने में लगभग 300 लोग मारे गए थे.रविवार को दोबारा शुरू हुई हिंसा में कम से कम 90 लोग मारे गए हैं. इस के बाद आरक्षण को लेकर चल रहा आंदोलन सोमवार को और व्यापक हो गया है.
बांग्लादेश में जुलाई महीने से ही छात्र आंदोलन कर रहे हैं. उनकी मांग है कि देश में ज्यादातर बड़े सरकारी नौकरी में मौजूद आरक्षण को खत्म किया जाए.
पीएम हसीना के देश छोड़ने के बाद आर्मी चीफ जनरल वकार-उज़-ज़मान ने कहा कि बांग्लादेश में एक अठारह सदस्यीय अंतरिम सरकार बनाई जाएगी.उन्होंने बताया कि इसके लिए उन्होंने अलग अलग पक्षों से बात भी की है.आर्मी चीफ ने देश को संबोधित करते हुए लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है.
हसीना के देश छोड़ते हीबांग्लादेश की राजधानी ढाका में हजारों प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री शेख़ हसीना के आधिकारिक आवास पर धावा बोल दिया और लूटपाट की यहा तक किर बंग बंधु और हसीना के पिता शेख मुजीबुरह्मान की मूर्ति को ध्वस्त कर दिया.
इसी के साथ बांग्लादेश की सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहीं शेख़ हसीना के राज का भी अंत हो गया. कुल 20 सालों तक शेख़ हसीना ने मज़बूत पकड़ के साथ बांग्लादेश पर शासन किया है.शेख़ हसीना को दक्षिण एशियाई देश बांग्लादेश की आर्थिक प्रगति का श्रेय दिया जाता है लेकिन हाल के सालों में उन पर तानाशाही चुनावों मे धॉधली के आरोप भी लगे.
हालाँकि छात्रों के आंदोलन के बाद शेख़ हसीना सरकार ने कुछ कोटे को कम ज़रूर किया है, लेकिन लगातार जारी हिंसा के बीच छात्र प्रधानमंत्री शेख़ हसीना के इस्तीफ़े की मांग पर अड़े हुए थे.. रविवार से छात्रों ने 'सविनय अवज्ञा' आंदोलन की अपील कर रखी थी.इसमें लोगों से सरकारी टैक्स न देने की अपील की गई थी.
किसी देश के आंतरिक घटनाक्रम पर आम तौर पर भारत की टिप्पणी नही करने की नीति रही है.इसके अलावा, बांग्लादेश में अस्थिर समय के दौरान, दिल्ली का लक्ष्य अपने कर्मियों और हितों की रक्षा करना है. वो कोई ऐसा कदम उठाने से बचेगा जिस से भारत बंगलादेश के बीच प्रगाढ संबंधों के विरोधी भारत विरोधी भावना भड़क सकें
1971 में बांग्लादेश की आज़ादी के लिए लड़ने वालों स्वतंत्रता सेनानियों के रिश्तेदारों के लिए कई सिविल सेवा नौकरियों में दिए गए आरक्षण को लेकर पिछले महीने छात्र सड़कों पर उतर आए थे.
हालांकि सरकार ने अधिकांश कोटा वापस ले लिया था, लेकिन छात्रों ने अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा और हसीना सरकार के इस्तीफडे की मांग पर अड़े रहे.
पिछले दो सप्ताह में सुरक्षा बलों की बड़ी कार्रवाई में कथित तौर पर लगभग 10,000 लोगों को हिरासत में लिया गया, जिनमें विपक्षी समर्थक और छात्र प्रदर्शनकारी भी शामिल हैं.
आज के नाटकीय घटनाक्रम के बादसाथ बांग्लादेश की सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहीं शेख़ हसीना के राज का भी अंत हो गया. कुल 15 सालों तक शेख़ हसीना ने मज़बूत पकड़ के साथ बांग्लादेश पर शासन किया है.शेख़ हसीना को दक्षिण एशियाई देश बांग्लादेश की आर्थिक प्रगति का श्रेय दिया जाता है लेकिन हाल के सालों में उन पर तानाशाही चुनावों मे धॉधली के आरोप भी लगे.
बहरहाल बंगलादेश 1975 के बाद आज एक बार फिर उसे मोड़ पर खड़ा हैं जब कि बंगलादेश के जनक शेख मुजीब और उन के परिवारजनों की हत्या कर दी था. देखना हैं कि बंगलादेश में स्थति कब और कैसे सामान्य स्थति बहाल होगी , सेना सता कब छोड़ने को तैयार होगी और चुनाव होते है तो किस दल की सरकार बनेगी और भारत के साथ उस के रिश्ते कैसे होगे, इन्ही सवालों के बीच भारत सतर्कता से स्थति पर नजर रखे हुये हैं और राष्ट्रीय हितों के अनुरूपअगला कदम उसी के आधार पर उठायेगा. समाप्त
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