विवादास्पद क्षेत्र दोनों की सेनायें हटनी शुरू लेकिन आगे का रास्ता और भी चुनौतीपूर्ण

By Shobhna Jain | Posted on 26th Oct 2024 | विदेश
IC

नई दिल्ली, 26 अक्टूबर (  शोभना जैन/वीएनआई) भारत और चीन के बीच पू्र्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा- एलएसी  के विवाद को ले कर   हाल  में हुयें समझौतें के अनुरूप दोनों देशों ने  पहले कदम बतौर तनाव वाले सात बिंदुओं में से एक के तहत   विवादस्पद क्षेत्र से अपनी सेनायें तथा शिविर वगैरह हटाने शुरू कर दिया है.  ताकि   दोनों देशों की सेनाएं पूर्वी लद्दाख के  इन दोनों 2 पॉइंट देपसांग और डेमचोक  पर पेट्रोलिंग फिर से शुरू कर सकें जिस से दोनों पॉइंट पर पेट्रोलिंग  को ले करअप्रैल 2020 जैसी स्थिति बहाल हो सकेंगी. भारतीय जवान इन दो पॉइंट पर पेट्रोलिंग कर सकेंगे. अभी विवाद के कारण भारतीय सेना यहां पेट्रोलिंग नहीं कर पाती है., लेकिन चीन जिस तरह से अब तक हुयें ऐसे समझौतें  को कमोबेश तोड़ता रहा है, तमाम उम्मीदों के बावजूद  उस सब के चलते आगे का रास्ता और भी चुनौती पूर्ण लगता हैं.

 समझौते  का यह चरण  इस क्षेत्र  में सैनिकों की  गश्त को लेकर  पिछले साढें चार से चले आ  रहे  गतिरोध को दूर करने के  लिये हैं., लेकिन सवाल ्हैं" क्या चीन उस भरोसें को कायम करने के लिये  उपयुक्त कदम उठायेगा. चीन बार बार जिस तरह  से इस तरह के समझौतों को तोड़ता रहा हैं,और इस बात को बार बार साबित करता रहा हैं कि उस की कथनी और करनी ्में फर्क रहता हैं,  तो क्या माना जायें कि चीन  इस बार अपने  देश के बदलें  खराब घरेलू  और आर्थि्क हालात व अंतर राष्ट्रीय घटना क्रम के मद्देनजर संबंध सामन्य बनानें के लियें भारत के साथ मिल कर  उचित कदम उठायेगा  

 समझौतें के शुरूआती  कदम बतौर गश्त बहाल करने पर सहमति एक अच्छा संकेत हैं, लेकिन इन सालों मे चीन ने इन क्षेत्रों मे जिस तरह से आक्रामक गतिविधियों   का जाल बिछाया हैं उस के चलते  संबंध समान्य बनाने के अगले चरण काफी चुनौती पूर्ण होंगे जैसा कि एक पूर्व राजनयिक  का मानना हैं हालांकि  चीन अब समझ चुका हैं कि  भारत के साथ इस तरह की आक्रामक गतिधियॉ. ज्यादा नही चल सकती हैं, लेकिन फिर भी इतनी आसनी से   उस के  वहा हड़पी जमीन को  छोड़ने वाला नही हैं . यहा यह बात भी जानना  जरूरी हैं कि समझौते को ले कर  चीन की प्र्तिक्रिया भारत के  समझौतें संबंधी खुलासे के एक दिन बाद ही हुई. पीएम मोदी और शी जिनपिंग की मुलाक़ात के बाद दोनों देशों की ओर बयान जारी किया गया लेकिन दोनों देशों के बयानों में  फ़र्क़ है. हालांकि फ़र्क़ की बात पर एक मज़बूत तर्क ये भी दिया जाता है कि ये कोई संयुक्त बयान नहीं था. अगर संयुक्त बयान होता को शब्दशः एक होता.लेकिन  सच्चाई हैं कि यह सब बाते चीन की नीयत पर अंदेशा तो जताती हैं.

मोदी और जिनपिंग के बीच आखिरी बार 2019 में द्विपक्षीय मुलाकात हुई थी.जून २०२० पूर्वी लद्दाख में क्षेत्र के गलवान इलाकें  में चीन के कुछ सैनिको पी एल ए द्वारा वहा तैनात भारतीय सैनिकों की टुकड़ी पर  नृशंस हमला किये जाने के बाद  दोनों देशों के संबंध बेहद तनावपूर्ण हो गये.पिछले कुछ महीनों में कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर जो वार्ताएं हुई हैं, उस के परिणाम स्वरूप  स्वरूप तनाव कम करने पर इस समझौते की बात सामने आई है.दोनों नेताओं की 5 साल बाद बातचीत हुई है. दोनों नेताओं ने वास्तविक नियंत्रण रेखा  पेट्रोलिंग  के बारे मे हुये इस समझौते का स्वागत किया है.  

दोनों ्देशो के विदेश मंत्रियों व अन्य अधि कारियों  केबीच  संबंधों को गति देने के लिये  वार्ताओं के दौर शुरू होने की बात भी हैं . विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता  के अनुसार भारत और चीन के बीच मुद्दों को सुलझाने के लिए  विशेष प्रतिनिधि नियुक्त किए गए है. भारत की तरफ से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन की तरफ से विदेश मंत्री वांग यी इन मामलों  पर जल्द ही औपचारिक बैठक करेंगे.  जारी

वैसे मोदी शी के बीच  कजान मे  ही १६ वे ब्रिक्स सम्मेलन के इतर वार्ता होने के बारे मे जब वि्देश सचिव विक्रम मिस्त्री से पूछा गया कि क्या इस शांति प्रयासो में रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन  ्की भी भूमिका ्हैं. उन्होंने महज यही टिप्पणी की कि कजान का स्थान उन्हंने उपलब्ध कराया.गौरतलब हैं कि रूस युक्रेन युद्ध के समीकरणों मे रूस चीन, ईरान सहित कुछ देश रूस के सा्थ हैं जब कि अमरीका नी्त पशिमी  देश युक्रेन के आथ है. भारत इन स्थतियो  में निष्पक्ष की भूमिका निभाने का प्रयास कर रहा हैं

वैसे  जानकारो के  अन्सार वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सर्दियों के आते और  बर्फबारी होते ही  चीन अगर नेक नीयत  दिखाये तो भारत  के साथ ्मिल कर  दोनों  देशों की सेनाओं के  विवादास्पद क्षेत्रों से हटने के बारे मे आगे का रोड मेप तैयार किया जा सकता हैं लेकिन चीन  के कथनी और करनी में फर्क के  चलते  और भारत के पिछलें  तल्ख अनु भवों को देख्ते हुये  हाड़ कंपा देने वाली सर्दियॉ शुरू होते ही   चीन इस सीमा पर कैसी  सैन्य स्थति बनायेगा इस पर फिलहाल तो कुछ कह पाना मुश्किल रहेगा

रूस के कजान शहर मे प्रधान मंत्री नरेनद्र मोदी व चीन के राष्ट्रपति शी जिन पिंग के बीच हुई वार्ता मे मोदी ने  सीमा पर  शांति और स्थिरता बनायें रखनें  को सर्वोच्च प्राथमिकता दियें जानें पर जोर दियें जानें के साथ ही कहा कि आपसी विश्वास, सम्मान और संवे दनशीलता दोनों के रिश्तों का आधार होना चाहिये.  ऐसे में सवाल ्हैं  क्या चीन उस भरोसें को कायम करने के लिये  उपयुक्त कदम उठायेगा. चीन बार बार जिस तरह  से इस तरह के समझौतों को तोड़ता रहा हैं,और इस बात को बार बार साबित करता रहा हैं कि उस की कथनी और करनी ्में फर्क रहता हैं,  तो क्या माना जायें कि चीन  इस बार अपने  देश के बदलें  खराब घरेलू  और आर्थि्क हालात व अंतर राष्ट्रीय घटना क्रम के मद्देनजर संबंध सामन्य बनानें के लियें भारत के साथ मिल कर  उचित कदम उठायेगा  

 उम्मीद  तो यही की जा सकती हैं कि  चीन  आपसी विश्वास,  सम्मान और संवे दनशीलता से  आपसी संबंध बना्ने के लिये भारत के प्रयासों मे  सा झीदार  बनें   और  संबंध सामान्य बनाने  की  इस एक नयी शुरूआत  पर वह आगे ईमानदारी से अमल करे.निश्चय ही  संबंधों को पटरी पर लाने के आगामी चरण चुनौती पूर्ण होंगे, चीन के अगले ्कदमों से  उस की मंशा  काफी कुछ  साफ हो ्सकती हैं.  वी एन आई


Leave a Comment:
Name*
Email*
City*
Comment*
Captcha*     8 + 4 =

No comments found. Be a first comment here!

ताजा खबरें

Quote of Day -Winter
Posted on 13th Nov 2024

Connect with Social

प्रचलित खबरें

altimg
NDA back in power in Bihar

Posted on 11th Nov 2020

© 2020 VNI News. All Rights Reserved. Designed & Developed by protocom india