नई दिल्ली 1 दिसम्बर शोभना जैन (वीएनआई ) राजनैतिक अस्थिरता में फंसे बांग्लादेश में हालात दिनों दिन बद से बदतर होते जा रहे हैं.इसी अस्थिरता की स्थति में धार्मिक कट्टरता हावी होती जा रही हैं अल्पख्यक हिंदू समुदाय के लोगों के उत्पीड़न, उन के धार्मिक स्थलों,व्यापारिक ठिकानों, घरों पर दिनों दिन हमलें, लूटपाट और आगजनी की घटनायें बढती जा रही हैं.बंगलादेश के चटगाँव में इस्कॉन मंदिर से जुड़े चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ़्तारी और जेल भेजने के बाद माहौल तनावपूर्ण है. भारत में भी लगातार हिंदुओं पर बढते इन हमलों , उत्पीड़न को ले कर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. भारत के अनेक राजनेताओं, धर्म गुरुओं ने इन घटनाओं की तीव्र आलोचना करते हुए चिन्मय दास की अविलंब रिहाई की मॉग की हैं. गौरतलब हैं कि बांग्लादेश के "भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन" ने इस्कॉन पर रेडिकल ग्रुप होने का आरोप लगाया और इस्कॉन पर सांप्रदायिक अशांति फैलाने का आरोप लगा्ते हुयें उस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है और इस संबंध में एक कानूनी नोटिस भी भेजा गया है, दूसरी तरफ बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने एक तरह से अतिवादियों को यह कह कर संरक्षण दे दिया कि हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलों के घटनाओं को जरूरत से ज्यादा तूल दिया जा रहा हैं जब कि स्वयं उन्हीं के देश के पूर्व विदेश मंत्री हसन महमूद ने युनूस के इस बयान पर अपना विरोध व्यक्त करते हुयें कहा कि यूनुस हिंदुओं पर हिंसा की घटनाओं को नजरअंदाज करते हुए स्थिति की गंभीरता को कम आंकने के प्रयासों में जुटे हैं. उधर बांगलादेश की पूर्व प्रधान मंत्री शेख हसीना अपने सरकार के खिलाफ उग्र प्रदर्शनों के बाद पनी सरकार के तख्ता पलट के बाद देश छोड़ कर जा चुकी हैं. और फिलहाल देश में युनूस की अगुवाई में अंतरिम सरकार बनी. दिलचस्प बात यह हैं कि इस सब के बीच एक नाटकीय घटनाक्रम में बांग्लादेश की पूर्व प्रधान मंत्री तथा बांगलादेश नेशनल पार्टी की अध्यक्ष खालिदा जिया को ्कल 2018 में भृटाचार के एक मामले में दोष मुक्त कर दिया हैं , खालिदा को इस अपराध मे सात साल की सजा सुनाई गई थी. बंगलादेश जब कि घोर अस्थिरता और उथल पुथल के दौर में से गुजर रहा हैं ऐसे में खालिदा की रिहाई के आखिर क्या मायने हैं , राजनैतिक पटल पर उन की भूमिका क्या हो सकती हैं. अहम सवाल यह हैं कि कुछ समय पूर्व तेजी से विकास की सीढियां चढता बंगलादेश आखिर इस मुहाने पर कैसे पहुंचा, आखिर वह किस दिशा में बढ रहा हैं ?
भारत के अनेक प्रतिपक्षी नेताओं ने केन्द्र सरकार से इस मामलें मे तुरंत हस्तक्षेप की मॉग की हैं.बांग्लादेश के एक जानकार के अनुसार स्वतंत्रता के बाद से यहां कभी भी ऐसा माहौल नहीं रहा जहां अल्पसंख्यक अपने आपको इतना असुरक्षित महसूस करते हों. ऑकड़ों के अनुसार बांगलादेश की आजादी में लगभग दस प्रतिशत हिस्सेदारी हिंदू आबादी की हैं.
भारत ने बंगलादेश सम्मित सनातन जागरण के प्रवक्ता चिन्मय दास की गिरफ्तारी और उन्हें जमानत नही दियें जाने पर गहरी चिंता जताई हैं .भारत ने बंगलादेश से वहा हिंदुओं और वहा सभी अल्पसंख्यको , की सुरक्षा सुनिश्चित करने और शांतिपूर्ण तरीकें से एकत्रित होने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को सुनिश्चित करने का आह्वान किया हैं . शेख हसीना सरकार का तख्ता पलटे जने के बाद से निरंतर बढती ऐसी घटनाओं पर भारत विभिन्न स्तरों पर अपनी चिंतायें व्यक्त करता रहा हैं
बांगलादेश से ना / ना केवल भारत का महत्वपूर्ण भू राजनैतिक सहयोगी है, बल्कि सामरिक दृष्टि से भारत के लियें काफी अहम हैंइस की भूमि तीन और से भारत की सीमाओं से घिरी हैं और चौथी और बंगाल की खाड़ी हैं.सब से अहम हैं कि दोनों देशों की जनता भावनात्मक गहरे रिश्तों से जुड़ी हैं, दोनों के गहरे सांस्कृतिक और समाजिक रिश्ते हैं.कई बार दोनों देशों के संबंधों मे उतार चढाव भी आयें लेकिन यहां कभी भी ऐसा माहौल नहीं रहा जहां अल्पसंख्यक अपने आपको इतना असुरक्षित महसूस करते हों. उम्मीद की जानी चाहिए कि बंगलादेश में जल्द राजनैतिक अस्थिरता समाप्त होगी जिस से सामाजिक समरसता का माहौल बहाल हो सकेगा. शांतिपूर्ण स्थिर बंगलादेश ना केवल भारत के साथ उस के द्विपक्षीय संबंधों के लियें अच्छा हैं, साथ से भी वह ही इस क्षेत्र के लियें भी बेहतर हैं. और निश्चय ही ऐसा माहौल स्वयं उस के विकास के लिये बेहद जरूरी हैं. समाप्त
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