नयी दिल्ली 20 अगस्त (वी एन आई) भारत चीन रिश्तो के नए समीकरण के बीच विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इस माह की 28-29 तारीख को चीन की यात्रा करेंगी. प्रेक्षक इस यात्रा को खासा अहम मान रहे है क्योंकि यह यात्रा चीन के राष्ट्र्पति शी जिनपिंग की अगले माह की भारत यात्रा से ठीक पहले हो रही है. विदेश मंत्री बनने के बाद लगातार पडोसी देशो की यात्रा कर रही श्रीमति स्वराज की यह पहली चीन यात्रा होगी.
सुत्रो के अनुसार हालांकि श्री शी की भारत यात्रा की तारीखो को अभी अंतिम रूप नही दिया गया है पर चीन के राष्ट्र्पति सम्भवतः अगले माह 17 सितंबर से भारत यात्रा पर रहेंगे, चीन के राष्ट्र्पति के भारत के साथ साथ इस क्षेत्र के दौरे मे पाकिस्तान तथा श्रीलंका की भी यात्रा करने की भी सम्भावना है, सुत्रो के अनुसार वैसे श्रीमति स्वराज, रूस, भारत तथा चीन त्रिपक्षीय - आर आई सी - समूह के विदेश मंत्रियो की बैठक मे हिस्सा लेने चीन जा रही है लेकिन वे इस बैठक मे हिस्सा लेने के अलावा चीन के राष्ट्र्पति श्री शी जिनपिंग , प्रधान मंत्री श्री ली कु च्यांग से मुलाकात के अलावा विदेश मंत्री वांग यी से उभयपक्षीय वार्ता करेंगी. सूत्रो के अनुसार इस बातचीत मे श्री जिनपिंग की भारत यात्रा की तारीखो को अंतिम रूप देने के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व श्री जिनपिंग के बीच नयी दिल्ली मे होने वाली शिखर वार्ता के केन्द्र बिन्दुओ पर चर्चा होगी.
सूत्रो के अनुसार पहले चीन के राष्ट्र्पति का आगामी 14-15 सितंबर को भारत आने का कार्यक्रम था लेकिन उनकी भारत यात्रा की तारीखे व राष्ट्पति प्रणव मुखर्जी की आगामी वियतनाम यात्रा की तारीखो का भी लगभग वही समय होने की वजह से अब श्री जिनपिंग के राष्टृपति मुखर्जी के स्वदेश वापिसी के फौरन बाद भारत आने की उम्मीद है.
विदेश मन्त्री स्वराज भी आगामी 25-26 अगस्त को वियतनाम जा रही है. गौरतलब है कि् प्रधानमंत्री मोदी व चीन के राष्ट्र्पति जिनपिंग की फोर्टेलाज़ा (ब्राज़ील) मे गत 14 जुलाई को ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान मुलाकात हो चुकी है. इस पहली मुलाकात मे दोने नेताओ के बीच आपसी अहम सझीदारी बढाने के लिये 'एक नया महत्वाकांक्षी एजेंडा' बनाने पर सहमति हुई थी.
इस बातचीत को श्री मोदी ने अत्यंत'लाभप्रद 'बताते हुए दोनो देशो के बीच आपसी विश्वास बढाने पर ज़ोर देते हुए सीमा पर शान्ति बनाये रखने पर ज़ोर दिया था इस बातचीत मे दोनो पक्षों ने आपसी आर्थिक संबंध व व्यापार बढाये जाने पर भी ज़ोर दिया था विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस संबंध मे हुई बातचीत का व्योरा देते हुए कहा था कि राष्ट्रपति जिनपिंग का भी मानना है कि भारत से सेवा क्षेत्र मे व्यापार बढाने, भारत का निर्यात बढाने की काफी संभावना है गौरतलब है कि दोनो देशों के बीच फिलहाल तक़्रीबन 75 अरब डॉलर का व्यापार होता है जिसके 2015 तक 100 अरब डॉलर होने की उम्मीद है लेकिन भारत बढते हुए भारी व्यापार् घाटे को लेकर चिंता जता चुका है.
अर्थशास्त्रियों का भी मानना है कि अगर यह व्यापार घाटा इसी तरह बना रहा तो दोने नेताओ के बीच आर्थिक संबंधों की निरंतरता के लिए बड़ा झटका हो सकता है. सनद रहे श्रीमति स्वराज ने हाल ही मे म्यानमार मे आसिआन मे मंत्री स्तरीय सम्मेलन के दौरान चीन के विदेश मंत्री से से अलग से भी मुलाकात की थी,इससे पूर्व मोदी सरकार के सत्ता मे आते ही चीन के विदेश मंत्री चीन के प्रधानमंत्री के विशेष दूत के रूप मे जून के प्रथम सप्ताह मे भारत आये थे व उन्होने प्रधानमंत्री मोदी तथा विदेश मंत्री स्वराज से मुलाक़ात की थी.दोनो विदेश मंत्रियो के बीच इस बातचीत को सौहार्द्पूर्ण तथा लाभप्रद बताया गया था और कहा गया था कि सभी प्रमुख मुद्दों पर व्यापक बातचीत हुई.
ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान चीन के प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री श्री मोदी को चीन आने का न्योता दिया था जिसके जवाब मे श्री मोदी ने कहा था कि वे चीन की 'शीघ्र यात्रा' के उत्सुक हैं श्री मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान कई बार चीन यात्रा कर चुके हैं गौरतलब कि चीन के प्रधानमंत्री पिछले वर्ष भारत आये थे उसके पश्चात तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह भी चीन की यात्रा पर गये थे
विदेश नीति के जानकारों के अनुसार दोनो देशों के बीच दशकों पुराने सीमा विवाद व अन्य कुछ अन्य विवादास्पद मुद्दो पर तीव्र असहमति के बावजूद सामरिक तथा आर्थिक संबंध बढाने को सर्वोपरी मानते हुए इस संबंध मे आगे निरंतर कदम बढा रहे , निश्चय ही एशिया की दो बड़ी महाशक्तियों की परिपक्व सोच का परिचायक है.