अपना दूरदर्शन

By Shobhna Jain | Posted on 16th Sep 2016 | मनोरंजन
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सुनील जैन ,नयी दिल्ली ,वी एन आई,16 /9 /16 "सादगी की ताकत को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता" "सादगी से ही बेजोड़ खूबसूरती सामने आती है" लगता है किसी ने दूरदर्शन के लिए ही ये पंक्तियाँ कही हैं ! कल ,15 /9 /2016 को दूरदर्शन का स्थापना दिवस था ,इसी अवसर पर कल नयी दिल्ली में एक रंगारंग कार्यक्रम "सत्यम शिवम् सुंदरम " आयोजित किया गया ,इस अवसर पर सुचना प्रसारण मंत्री श्री वेंकैय्या नायडू मौजूद थे ! सादगी में रच बसा दूरदर्शन भारतीय जनमानस के जीवन का अभिन्न हिस्सा रहा है! कौन भूल सकता है दूरदर्शन की वो लुभावनी सिग्नेचर ट्यून ,वो साधना श्रीवास्तव ,ज्योत्सना ,मुक्ता श्रीवास्तव ,जसलीन वोरा के सौम्य , सादगी भरे चेहरे, व् सलमा सुल्तान ,प्रतिमा पूरी ,रमन ,सरला जरीवाला का गंभीरता व् ठहराव से हिंदी समाचार पढ़ना और गीतांजलि अय्यर ,नीति रवीन्द्रन रिनी साइमन का स्टाइल व् ग्रेस से अंग्रेजी ख़बरें पढ़ना, हालत ये थी की लोगबाग तरीके से हिंदी ,अंग्रेजी बोलने की प्रेरणा इन से लेते थे! आज भी धारावाहिकों हम लोग,बुनियाद ,नुक्कड़ के चरित्रों को लोग नहीं भूले हैं और हाँ धारावाहिक रामायण , महाभारत जो घरों के टीवी को पूजा की वेदी बना देते थे ,घर को मंदिर , अगरबत्ती ,धूप का धुंआ माहौल को भक्तिमय बना देते थे !इस दौरान सड़कें , गलियां ,मोहल्ले सब सूने हो जाते थे ! रही बात रविवार की फिल्म की और चित्रहार की ,तो ये घर में उत्सव जैसा माहौल बना देते थे ! पडोसी और मित्रगण इक्कठे ही जाते थे और मेजबान द्वारा उन्हें गर्म गर्म नाश्ता भी परोसा जाता था! दूरदर्शन महज टीवी नहीं था बल्कि होली ,दिवाली ,राखी ,नवरात्र की तरह एक उत्सव था ! आज भी प्राइवेट चैनल्स की भीड़ में दूरदर्शन( (अपने विभिन्न चैनलों के जरिये ) अपनी सबसे ज्यादा पहुँच के साथ,अलग पहचान बनाये हुए हैं!दूरदर्शन साहित्य, कला ,भारतीयता को जिस तरह आगे बढा रहा है वो अतुल्य है

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