पटना/नई दिल्ली,25 अप्रैल (सुनीलकुमार/वीएनआई)'चडडी पहन कर फूल खिला है' जैसे कितने ही बच्चो के गीत और कविताओ के जरिये बाल मनोभावनाओ के चितेरे गुलजार ने उन्हे लेखन के गुरू मंत्र दिये है.गुलजार का कहना है "कविता लिखने का मंत्र है,जो आपके मन में भावनाएं आये उसे बस लिख डालो. अगर आपको लेखक बनना है तो लिखो, लिखो और खूबलिखो "
गुलजार ने बच्चों के एक कार्यक्रम में बताया कि वह पढ़ने में काफी कमजोर थे. उनका पढ़ने में दिल नहीं लगता था. पढ़ना उन्हे अच्छा भी नहीं लगता था और होमवर्क से उन्हे सिर दर्द होता , उस पर उनकी हैंडराइटिंग भी बहुत खराब थी अलबत्तआ खेल उन्हे सबसे अच्छे लगते थे वे हर तरह के खेल खेलते थे लेकिन स्कूल के दिनो मे वे अपने वह अपने क्लास के उस मित्र से ज्यादा प्रभावित थे जो हर बात में तुकबंदी करता था. बस फिर क्या था उन्होंने भी तुकबंदी शुरू कर दी और धीरे धीरे वे आहिस्ता-आहिस्ता कविताएं लिखने लगे. गुलजार ने कल पटना मे बाल साहित्य की मासिक पत्रिका प्लूटो के विमोचन में बच्चों को यह गुरू दीक्षा दी. कार्यक्रम में बच्चों ने भी गुलजार से खूब सवाल-जवाब पूछे. गुलजार भी बच्चों को ऐसे अनेक मंत्र दिये . गुलजार ने कुछ समय पूर्व नई दिल्ली मे एक समारोह मे कहा था कि बच्चों के लिए कहानियां लिखना किसी चुनौती से कम नहीं है। गुलजार ने कहा कि उनकी बेटी बोस्की जब छोटी थी तो वे उसे ये कहानियां सुनाया करते थे, और ये कहानियां हमेशा ुनकी साथी रही इन्ही दिनो उन्होने पंच तंत्र की कहानियो पर आधारित ' बोस्की का पंच तंत्र' भी लिखी
उन्होंने कहा, "बच्चों की भाषा सीखना एक चुनौतीपूर्ण काम है। जैसे पीढ़ियां बदलती हैं, वैसे ही भाषा भी परिवर्तित होती हैं। वे
दूरदर्शन के 'द जंगल बुक', 'एलिस इन वंडरलैंड', 'गुच्छे' और 'पोटली बाबा की' सरीखे बाल कार्यक्रमों में संवाद और कुछ गीत लिख चुके हैं।वी एन आई