सुनील कुमार ,वी एन आई ,नयी दिल्ली 07 -04-2018
पण्डित रवि शंकर का जन्म 7 अप्रैल 1920 को बनारस में हुआ व् निधन 11 दिसंबर 2012 को हुआ वे एक प्रसिद्ध सितार वादक और संगीतज्ञ थे। उन्होंने विश्व के कई मह्त्वपूर्ण संगीत उत्सवों में हिस्सा लिया है। रविशंकर ने भारतीय शास्त्रीय संगीत की शिक्षा उस्ताद अल्लाऊद्दीन खाँ से प्राप्त की। अपने भाई उदय शंकर के नृत्य दल के साथ भारत और भारत से बाहर समय गुजारने वाले रविशंकर ने 1938 से 1944 तक सितार का अध्ययन किया और फिर स्वतंत्र तौर से काम करने लगे। बाद में उनका विवाह भी उस्ताद अल्लाऊद्दीन खाँ की बेटी अन्नपूर्णा से हुआ।
उन्होंने सत्यजीत रे की फिल्मों में संगीत भी दिया। 1949 से 1956 तक उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो में बतौर संगीत निर्देशक काम किया। 1960 के बाद उन्होंने यूरोप के दौरे शुरु किये और येहूदी मेन्यूहिन व बिटल्स ग्रूप के जॉर्ज हैरिशन जैसे लोगों के साथ काम करके अपनी खास पहचान बनाई। उनकी बेटी अनुष्का शंकर सितार वादक हैं तो दूसरी बेटी नोराह जोन्स भी शीर्षस्थ गायिकाओं में शुमार की जाती हैं। उन्हें 1999 में भारत रत्नसे सम्मानित किया गया। रवि शंकर को कला के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन् 2009 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। भारतीय संगीत को दुनिया भर में सम्मान दिलाने वाले भारत रत्न और पद्मविभूषण से नवाजे गये पंडित रविशंकर को तीन बार ग्रैमी पुरस्कार से भी नवाजा गया था। उन्होंने भारतीय और पाश्चात्य संगीत के संलयन में भी बड़ी भूमिका निभाई।
किसी ने सच कहा है की किसी वाद्य के सही तार को सही समय पर छेड़ा जाये तो संगीत नहीं जादू सामने आता है ! हुनरमंद संगीतकारों के पास ये हुनर होता है
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