सुनील कुमार ,वी एन आई ,नयी दिल्ली 03 -03-2018
उत्तर भारत में कोई शादी -ब्याह हो और ये गीत न बजे ये मुमकिन नहीं । ‘आज मेरे यार की शादी है’, ‘डोली चढ़के दुल्हन ससुराल चली’ और ‘बाबुल की दुआएं लेती जा’,मेरा यार बना है दूल्हा। या दूसरे लफ्जों में कहें की संगीत के जादूगर रवि की धुनों पर रचे ये गीत शादी ब्याह की ,बैंड वालों की पसंदीदा धुनें हैं। इसके अलावा हिंदी फिल्मों के मानव संवेदनाओं से जुड़े गीतों का जिक्र हो तो उन गीतों की धुनें भी रवी ने रची हैं जैसे- मेरा नाम करेगा रोशन जग में मेरा राजदुलारा ,चन्दा मामा दूर के पुए पकाएं बूर के , मेरे भईया मेरे चंदा मेरे अनमोल रत्न ,गरीबों की सुनो वो तुम्हारी सुनेगा ,संसार के हर शै का इतना ही फ़साना है,तोरा मन दर्पण कहलाये ,दर्शन दो घनश्याम आदि
जानकार कहतें हैं रवी सॉफ्ट म्यूजिक के शहंशाह थे ,अगर हिन्दी फिल्मों के सबसे लोकप्रिय गीतों का चुनाव किया जाये तो निसंदेह उसमे 100 गीत रवी के होंगे यानी लोकप्रिय गीतों की सेंचुरी मारी रवी ने कुछ अन्य फ़िल्में जिनमे रवी के संगीत ने चार चाँद लगा दिए , - ‘दिल्ली का ठग’, ‘गुमराह’, ‘काजल’, ‘खानदान’, ‘हमराज’, ‘आंखें’, ‘दो बदन’, ‘चौदहवीं का चांद’ ‘वक्त’, ‘एक फूल दो माली’, ‘दस लाख’, ‘नील कमल’,घूँघट ,घराना ,दो कलियाँ, , ‘एक महल हो सपनों का’, ‘आदमी सड़क का’ और ‘निकाह’ आदि
रवी का जन्म दिल्ली में 3 मार्च 1926 को हुआ , संगीत विद्वानो को वो बड़े शौक से सुनते थे ,महोम्मद रफ़ी के नग्मे उनकी जबान पर चढ़े रहते थे संगीत और मौसिकी को उन्होंने अपने भीतर बसा लिया ,1950 में वो नए धरातल की तलाश में मुंबई पहुंच गए और कुछ समय बाद हेमंत कुमार कुमार के सहायक बन गए बाद में संगीत निर्देशक रुप में उन्हें बीआर चोपड़ा के अलावा रामानंद सागर, एसडी नारंग, देवेन्द्र गोयल, नाडियाडवाला, गुरुदत, ओपी रल्हन के अलावा कई दक्षिण निर्माताओं ने अपने साथ जोड़ा । गायक महेंद्र कपूर को एक जाना पहचाना नाम रवी ने ही बनाया व् आशा भौंसले को उन्होंने एक नयी पहचान दी ।
रवी ने लगभग 150 फिल्मों में संगीत दिया और उन्हें राष्ट्रिय /फिल्म जगत के बड़े पुरस्कारों से नवाजा गिया उनका सबसे बड़ा पुरस्कार है संगीत प्रेमिओं की जबान पर चढ़े हुए उनके गीत जिनको समय की धारा और पक्का कर रही है
7 मार्च 2012 को मानव संवेदनाओं को को अपनी धुनों में पिरोने वाला संगीतकार , इस दुनिया से चला गया 86 साल की आयु में ।
रवी को ध्यान करते हुए बस यही जुबान पर आता है "संसार की हर शै का इतना ही फ़साना है,इक धुंध से आना है इक धुंध में जाना है "
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