नई दिल्ली, 10 अप्रैल, (सुनील कुमार/वीएनआई) किशोरी अमोनकर का जन्म 10 अप्रैल 1931 को हुआ व् निधन 3 अप्रैल, 2017 को हुआ ,वे हिंदुस्तानी शास्त्रीय परंपरा की प्रमुख गायिकाओं में से एक और जयपुर घराने की अग्रणी गायिका थीं।
हिंदुस्तानी संगीत में गायिकाएँ तो एक से एक हुई लेकिन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जो ख्याति किशोरी अमोनकर को मिली, वह किसी और को नसीब नहीं हुई। कोकिलकंठी किशोरी अमोनकर की सुरीली आवाज़ से देश विदेश के लाखों संगीत रसिक मंत्रमुग्ध हैं। ख़्याल, मीरा के भजन, मांड, राग भैरवी की बंदिश 'बाबुल मोरा नैहर छूटल जाए' पर उनका गायन तो जैसे संगीत रसिकों के दिल में नक्श सा हो गया है। इस समय किशोरी की गायकी के चहेते सारे देश में बड़ी संख्या में हैं।
गायन के अलावा वे एक श्रेष्ठ गुरु भी हैं। उनके शिष्यों में मानिक भिड़े, अश्विनी देशपांडे भिड़े, आरती अंकलेकर जैसी जानी मानी गायिकाएं भी हैं। किशोरी अमोनकर ने संगीत अपनी माँ से सीखा था ,किशोरी बताती थीं की उनकी माँ यानी आई जब उन्हें सिखाती थीं तो स्थाई ,अन्तरे को दोहराती थीं ,इसी से किशोरी को सीखना होता था ,उनके माँ बहुत अनुशासन प्रिय गुरु थीं !किशोरी को ये दुःख था की उनकी माँ को उचित सम्मान नहीं मिला !
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