सुनील कुमार ,वी एन आई ,नयी दिल्ली 29 -04-2017
शमशाद बेगम का जन्म- 14 अप्रैल, 1919 को , पंजाब; में हुआ और मृत्यु- 23 अप्रैल, 2013, मुम्बई में हुई , वे भारतीय सिनेमा की गोल्डन एरा की जानी जानी मानी पार्श्वगायिकाओं में से एक थीं। हिन्दी सिनेमा के प्रारम्भिक दौर में उनकी खनखती और सुरीली आवाज़ के बहुत प्रशंसक और फैंस थे और आज भी हैं । हिन्दी फ़िल्मों के कई सुपरहिट गीत, जैसे- 'कभी आर कभी पार', 'कजरा मोहब्बत वाला', 'लेके पहला-पहला प्यार', 'बूझ मेरा क्या नाम रे' शमशाद बेगम के ही गाये हुए हैं। इन गीतों की लोकप्रियता ने शमशाद बेगम को प्रसिद्धि की बुलन्दियों पर पहुँचा दिया था। वर्ष 2009 में भारत सरकार ने शमशाद बेगम को कला के क्षेत्र में उनके विशिष्ट योगदान के लिए 'पद्मभूषण' से सम्मानित किया था।
आधुनिकता के दौर में रीमिक्स गाने बाजार में बेहिसाब आ रहे है और पुराने गायक गायिकाओं के पुराने नगमों को आधुनिक वाद्य यंत्रों से संवार कर /सजा कर रीमिक्स की शक्ल में पेश किया जाता है पर उसके असली गायक /गायिका कोई क्रेडिट नहीं दिया जाता चाहे वो कानन देवी हों ,नूरजहाँ या शमशाद बेगम या गीता दत्त आदि !पर आज जो भी रीमिक्स गाने सुनने को मिलतें है उनमे अधिकतर शमशाद बेगम के नग्मों पर ही आधारित होते हैं !आज के युवा उनके रेमिक्सेक्स को सुनते है पर शमशादजी के नाम से वाकिफ नहीं!शमशाद बेगम को वो पहचान वो सम्मान नहीं मिला जिसकी वो हकदार थी !कोई संगीत कार उनकी आवाज को जादुई कहता था तो कोई मंदिर की घंटी जैसी पाक ,पर हर संगीतकार उनसे गीत गवाना अपने लिए गर्व की बात समझता था !