सुनील कुमार ,वी एन आई ,नयी दिल्ली 15 -04-2017
15 अप्रैल, 1918 को जन्मे हसरत जयपुरी का मूल नाम इकबाल हुसैन था। उन्होंने जयपुर में प्रारंभिक शिक्षा हासिल करने के बाद अपने दादा फिदा हुसैन से उर्दू और फारसी की तालीम हासिल की। बीस वर्ष का होने तक उनका झुकाव शेरो-शायरी की तरफ होने लगा और वह छोटी-छोटी कविताएं लिखने लगे।
वर्ष 1940 मे नौकरी की तलाश में हसरत जयपुरी ने मुंबई का रुख किया । इस बीच उन्होंने मुशायरा के कार्यक्रम में भाग लेना शुरू किया।
राजकपूर उन दिनों अपनी फिल्म बरसात के लिए गीतकार की तलाश कर रहे थे। राजकपूर के कहने पर शंकर जयकिशन ने हसरत जयपुरी को एक धुन सुनाई और उसपर उनसे गीत लिखने को कहा। शंकर जयकिशन की इस धुन को सुनकर हसरत जयपुरी ने गीत लिखा- जिया बेकरार है छाई बहार है, आजा मेरे बालमा तेरा इंतजार है।
वर्ष 1949 में प्रदर्शित फिल्म बरसात में अपने इस गीत की कामयाबी के बाद हसरत जयपुरी गीतकार के रुप में अपनी पहचान बनाने में सफल हो गए। बरसात की कामयाबी के बाद राजकपूर, हसरत जयपुरी और शंकर जयकिशन की जोड़ी ने कई फिल्मों मे एक साथ काम किया।
हसरत जयपुरी के सिने कैरियर पर निगाह डालने पर पता चलता है कि उनकी जोडी़ संगीतकार शंकर जयकिशन के साथ खूब जमी। इस जोडी़ के गीतों में शामिल कुछ गीत है- छोड़ गए बालम मुझे हाय अकेला... (बरसात,1949), हम तुम से मोहब्बत करके सनम... (आवारा,1951), इचक दाना बीचक दाना... (श्री 420,1955), आजा सनम मधुर चांदनी में हम... (चोरी चोरी,1956), जाऊं कहा बता ए दिल... (छोटी बहन,1959), एहसान तेरा होगा मुझपर... (जंगली,1961), तेरी प्यारी प्यारी सूरत को... (ससुराल,1961), तुम रूठी रहो मैं मनाता रहूं... (आस का पंछी,1961), इब्तिदाए इश्क में हम सारी रात जागे... (हरियाली और रास्ता,1962) बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है... (सूरज,1966), दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समाई... (तीसरी कसम,1966), कौन है जो सपनों में आया... (झुक गया आसमान, 1968), रूख से जरा नकाब उठाओ मेरे हुजूर... (मेरे हुजूर,1968), पर्दे में रहने दो पर्दा ना उठाओ... (शिकार,1968) जाने कहां गए वो दिन... (मेरा नाम जोकर,1970) और जिंदगी एक सफर है सुहाना... (अंदाज,1971)।
1985 में आई राम तेरी गंगा मैली का गीत "सुन साहिबा सुन ........ " उन्ही का लिखा था
1999 में क़लम का ये जादूगर इस दुनिया को अलविदा कह गया
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