तीन पैरों के साथ पैदा हुई तीन साल की बच्ची ब बेहद जटिल सर्जरी के बाद अब दौड़ती, भागती है

By Shobhna Jain | Posted on 30th Apr 2017 | गजब दुनिया
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सिडनी, 30 अप्रैल (वी एन आई) बांग्लादेश की छोटी खातून तीन पैरों के साथ पैदा हुई,कुछ बड़ी होने पर व्ह बेबस सी बैठी बैठी अपने हम उम्र बच्चो को दौड़ते भागते देखा करती थे उस पर एक और त्रासदी थी कि वह ठीक से देख नेही पाती थी.लेकिन शुक्र है एक बेहद जटिल सर्जरी के बाद ये बच्ची अब दौड़ती, भागती है बांग्लादेश में पैदा हुई और इलाज के लिए ऑस्ट्रेलिया के सिडनी लायी गयी छोटी बिलकुल ठीक स्वदेश लौट गयी। शरीर में एक अतिरिक्त जुड़वा अंग बन जाने के कारण यह बच्ची तीन पैरों के साथ पैदा हुई थी और चलने फिरने में असमर्थ थी। 3 साल की इस बच्ची ्की बचने की बेहद कम सम्भावना थी। लेकिन उसे ऑस्ट्रेलिया की चिल्ड्रन फर्स्ट फाउंडेशन चैरिटी के द्वारा मेलबॉर्न लाया गया और फिर उसकी जिंदगी को बचाने और बेहतर बनाने का प्रयास शुरू हुआ। मोनाश चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल के पेडियेट्रिक सर्जरी हेड क्रिस किम्बर ने बताया कि सर्जन की एक पूरी टीम ने उसकी शारीरिक संरचना को फिर से बनाने की प्रक्रिया का खाका तैयार करने में कई महीने लगाए और अंत में सर्जरी का फैसला लिया गया।किम्बर ने यह भी बताया कि जब छोटी ऑस्ट्रेलिया पहुंची थी तब वह कुपोषण का शिकार थी यूरोप और अमेरिका के विशेषज्ञों के साथ परामर्श में कर रहे सर्जनों ने आख़िरकार एक ऐसी प्रक्रिया की योजना बनाई जिसमें अतिरिक्त तीसरे पैर के बचे हुए हिस्से को निकाल देना शामिल था - इस हिस्से को शुरुआत में बांग्लादेश में काटने की असफल कोशिश की गयी थी। साथ ही शरीर के सम्बंधित अंगों को दोबारा से डिस्कनेक्ट और रीकनेक्ट करना भी था। यह सर्जरी बहुत ज्यादा जटिल और दुर्लभ थी। आख़िरकार इस सर्जरी को नवंबर में पूरा किया गया जिसमें लड़कियों के अंगों की जानकारी रखने वाले 8 विशेषज्ञ डॉक्टर लगातार 8 घंटों तक लगे रहे। किम्बर ने बताया कि " हमने इसके लिए तीन से चार महीने सोचने में लगाए, साथ ही इस मामले को दुसरे डॉक्टरों के सामने भी रखा और विश्व भर से इसके लिए जानकारी हासिल की और फिर दुनियभर से हमें मिली रायों के आधार पर हम कुछ ऐसे तथ्यों तक पहुंचे जो यह काम करने में सक्षम थे। अब वह काफी ठीक है " इस छोटी बच्ची को आंशिक रूप से कम भी दिखाई देता है लेकिन अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ ने यह पाया कि उसकी दृष्टि में सुधार नहीं हो सकता। लेकिन पर्याप्त रूप से इतना तो दिखाई देता है कि वह अन्य दूसरे बच्चों की तरह दौड़ भाग कर सके। बच्ची की 22 साल की मां शीमा खातून अब बेहद खुश हैं। उन्होंने कहा " अब सब कुछ ठीक है ... वह हर बच्चे की तरह खेल सकती है सिडनी,३० अप्रैल (वी एन आई) बांग्लादेश की छोटी खातून तीन पैरों के साथ पैदा हुई,कुछ बड़ी होने पर व्ह बेबस सी बैठी बैठी अपने हम उम्र बच्चो को दौड़ते भागते देखा करती थे उस पर एक और त्रासदी थी कि वह ठीक से देख नेही पाती थी.लेकिन शुक्र है एक बेहद जटिल सर्जरी के बाद ये बच्ची अब दौड़ती, भागती है बांग्लादेश में पैदा हुई और इलाज के लिए ऑस्ट्रेलिया के सिडनी लायी गयी छोटी बिलकुल ठीक स्वदेश लौट गयी। शरीर में एक अतिरिक्त जुड़वा अंग बन जाने के कारण यह बच्ची तीन पैरों के साथ पैदा हुई थी और चलने फिरने में असमर्थ थी। 3 साल की इस बच्ची ्की बचने की बेहद कम सम्भावना थी। लेकिन उसे ऑस्ट्रेलिया की चिल्ड्रन फर्स्ट फाउंडेशन चैरिटी के द्वारा मेलबॉर्न लाया गया और फिर उसकी जिंदगी को बचाने और बेहतर बनाने का प्रयास शुरू हुआ। मोनाश चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल के पेडियेट्रिक सर्जरी हेड क्रिस किम्बर ने बताया कि सर्जन की एक पूरी टीम ने उसकी शारीरिक संरचना को फिर से बनाने की प्रक्रिया का खाका तैयार करने में कई महीने लगाए और अंत में सर्जरी का फैसला लिया गया।किम्बर ने यह भी बताया कि जब छोटी ऑस्ट्रेलिया पहुंची थी तब वह कुपोषण का शिकार थी यूरोप और अमेरिका के विशेषज्ञों के साथ परामर्श में कर रहे सर्जनों ने आख़िरकार एक ऐसी प्रक्रिया की योजना बनाई जिसमें अतिरिक्त तीसरे पैर के बचे हुए हिस्से को निकाल देना शामिल था - इस हिस्से को शुरुआत में बांग्लादेश में काटने की असफल कोशिश की गयी थी। साथ ही शरीर के सम्बंधित अंगों को दोबारा से डिस्कनेक्ट और रीकनेक्ट करना भी था। यह सर्जरी बहुत ज्यादा जटिल और दुर्लभ थी। आख़िरकार इस सर्जरी को नवंबर में पूरा किया गया जिसमें लड़कियों के अंगों की जानकारी रखने वाले 8 विशेषज्ञ डॉक्टर लगातार 8 घंटों तक लगे रहे। किम्बर ने बताया कि " हमने इसके लिए तीन से चार महीने सोचने में लगाए, साथ ही इस मामले को दुसरे डॉक्टरों के सामने भी रखा और विश्व भर से इसके लिए जानकारी हासिल की और फिर दुनियभर से हमें मिली रायों के आधार पर हम कुछ ऐसे तथ्यों तक पहुंचे जो यह काम करने में सक्षम थे। अब वह काफी ठीक है " इस छोटी बच्ची को आंशिक रूप से कम भी दिखाई देता है लेकिन अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ ने यह पाया कि उसकी दृष्टि में सुधार नहीं हो सकता। लेकिन पर्याप्त रूप से इतना तो दिखाई देता है कि वह अन्य दूसरे बच्चों की तरह दौड़ भाग कर सके। बच्ची की 22 साल की मां शीमा खातून अब बेहद खुश हैं। उन्होंने कहा " अब सब कुछ ठीक है ... वह हर बच्चे की तरह खेल सकती है

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