नई दिल्ली 25 अक्टूबर (वीएनआई ) भारत के कुछ ऐसे अद्वितीय स्थल हैं, जो अपनी खूबसूरती और प्राकृतिक संरचना के बावजूद आम लोगों की पहुंच से दूर हैं। ये जगहें न केवल भारत की विविधता को दर्शाती हैं, बल्कि उनकी विशिष्टता और संवेदनशीलता के कारण यहां का प्रवेश बाहरी लोगों के लिए प्रतिबंधित है।
चोलामू लेक, सिक्किमः जिसे त्सो ल्हामो झील के नाम से भी जाना जाता है, यह झील दुनिया की सबसे ऊंची झीलों में से एक है। यह तिब्बत की सीमा से कुछ ही किलोमीटर दूर स्थित है, जिससे इसका सामरिक महत्व बढ़ जाता है। चोलामू लेक का प्राकृतिक सौंदर्य और ऊंचाई उसे अद्वितीय बनाते हैं, लेकिन इस पर विशेष नियंत्रण रखा गया है। केवल भारतीय सेना, सिक्किम पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को ही यहां जाने की अनुमति है। पर्यटकों के लिए यह स्थल देखने का सपना ही रह जाता है।
लक्षद्वीप के कुछ द्वीपः भारत के लक्षद्वीप में कुल 36 द्वीप हैं, जिनमें से कुछ पर ही पर्यटकों का जाना संभव है। यहां स्थानीय हितों की रक्षा और नौसेना के बेस की सुरक्षा को देखते हुए अधिकांश द्वीपों पर बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश वर्जित है। पर्यटक अगत्ती, बंगाराम, कदमत, कावारत्ती और मिनिकॉय जैसे द्वीपों का आनंद ले सकते हैं, लेकिन अन्य द्वीपों पर जाना प्रतिबंधित है। लक्षद्वीप के ये प्रतिबंधित द्वीप पर्यावरण और संस्कृति के संरक्षण की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
बैरन आइलैंड,अंडमानः अंडमान सागर में स्थित बैरन आइलैंड भारत का इकलौता सक्रिय ज्वालामुखी है। यह अद्वितीय द्वीप अपनी भव्यता और ज्वालामुखी के कारण पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। हालांकि, सुरक्षा कारणों से यहां किसी का प्रवेश वर्जित है, लेकिन इस द्वीप को समुद्र से गुजरते जहाजों से देखा जा सकता है। यह दूरी से भी बेहद आकर्षक नजर आता है, लेकिन आग के इन लपटों और धुएं के पास जाने का जोखिम सरकार ने सीमित कर रखा है।
अक्साई चिन, लद्दाखः अक्साई चिन का क्षेत्र नमक के तालाबों, अद्वितीय घाटियों और कराकाश नदी की सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। यह क्षेत्र लद्दाख का हिस्सा माना जाता है और भारत का अधिकार क्षेत्र होने का दावा किया जाता है। हालांकि, 1962 के भारत-चीन युद्ध में इस क्षेत्र पर चीन का कब्जा हो गया था, और तब से यहां जाना भारतीय नागरिकों के लिए असंभव है। इसका विवादित और सामरिक महत्व इस क्षेत्र को पर्यटकों के लिए बंद किए रखता है।
नॉर्थ सेंटिनल आइलैंड्सः अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में स्थित नॉर्थ सेंटिनल आइलैंड्स पर रहने वाली सेंटिनली जनजाति अपनी आदिम संस्कृति में लीन है। यह दुनिया की सबसे पुरानी आदिवासी जनजातियों में से एक है, और माना जाता है कि वे 60,000 साल से अस्तित्व में हैं। बाहरी दुनिया से ये लोग कोई संपर्क नहीं रखना चाहते और कोई भी अजनबी उनके क्षेत्र में प्रवेश करता है तो वे हिंसक हो सकते हैं। इनकी सुरक्षा को देखते हुए भारतीय सेना और प्रशासन ने यहां का प्रवेश पूरी तरह से प्रतिबंधित किया हुआ है।
No comments found. Be a first comment here!