नागपुर, 30 जुलाई (वीएनआई)मुंबई मे 1993 में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों के दोषी याकूब मेमन को नागपुर जेल में फांसी दे दी गई है। सुबह 6.43 बजे याकूब को फांसी दे दी गई। याकूब को 9 लोगों के सामने फांसी दी गई। फांसी के दौरान जेल आईजी, जेलर, मजिस्ट्रेट, डॉक्टर, जल्लाद के अलावा दो गवाह, दो कांस्टेबल वहां मौजूद थे। सुप्रीम कोर्ट ने आज सुबह करीब 5 बजे याकूब को फांसी देने का फैसला सुनाया था। इसके बाद नागपुर जेल में याकूब को फांसी देने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। कसाब को फांसी पर चढ़ाने वाले बाबू जल्लाद ने ही याकूब को फांसी के फंदे पर लटकाया।
इससे पूर्व गत रात याकूब मेमन के भाई सुलेमान को नागपुर के होटल में गोपनीय चिट्ठी दी गई। ्प्राप्त जानकारी के अनुसार याकूब के भाई सुलेमान को चिट्ठी सौंपने के साथ ही सिपाही ने चिट्ठी पढ़ने के लिए कहा। सुलेमान ने चिट्ठी को पढ़ने से यह कहकर इनकार कर दिया कि वह जानता है कि उसमें क्या है।
याकूब को फांसी देने से पहले रात भर तेज़ी से घटनाक्रम चलता रहा । देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब किसी केस पर सुनवाई के लिए देर रात सुप्रीम कोर्ट खुली हो।सुप्रीम कोर्ट के कुछ वरिष्ठ वकील प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू के घर गए और इस आधार पर फांसी की सजा रूकवाने के लिए उन्हें तत्काल सुनवाई के लिए याचिका दी कि मौत की सजा पाए दोषी को 14 दिन का समय दिया जाए जिससे कि वह दया याचिका खारिज किए जाने को चुनौती देने और अन्य उद्देश्यों के लिए तैयार हो सके, तीन बजकर 20 मिनट पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। करीब डेढ़ घंटे चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने याकूब की फांसी को बरकरार रखते हुए वकीलों की याचिका खारिज कर दी।सुप्रीम कोर्ट ने मौत के वांरट पर रोक लगाने के लिए उसके वकीलों की ओर से दायर की गई याचिका खारिज कर दी थी। तीन न्यायाधीशों वाली पीठ के अध्यक्ष दीपक मिश्रा ने अदालत कक्ष संख्या 4 में एक आदेश में कहा कि मौत के वारंट पर रोक लगाना न्याय का मजाक होगा । याचिका खारिज की जाती है । सुनवाई के लिए अदालत कक्ष अभूतपूर्व रूप से रात में खोला गया । तीन बजकर 20 मिनट पर शुरू हुई सुनवाई 90 मिनट तक चली जो कुछ देर पहले खत्म हुई
न्यायालय के फैसले से फांसी रूकवाने के याकूब के वकीलों का अंतिम प्रयास भी सफल नही हो पाया । गौरतलब है कि बुधवार को कोर्ट ने याकूब की मौत के वारंट को बरकरार रखा था और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी तथा महाराष्ट्र के राज्यपाल विद्यासागर राव ने मेमन की दया याचिका को खारिज कर दिया था ।
याकूब के वकील का पक्ष था कि ः
याकूब को 14 दिन का समय मिलना चाहिए,-याकूब के पास दया याचिका पर अपील का अधिकार है, राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज करने की कॉपी नहीं मिली, उल्लेखनीय है कि 2014 में दया याचिका याकूब के भाई ने दाखिल की थी, इस बार उसने दाखिल की है।
सरकारी पक्ष का दलील दी कि बार-बार याचिका से सिस्टम कैसे काम करेगा?इस तरह मौत के वारंट की कभी तामील नहीं हो सकेगी, राष्ट्रपति के पास करने को और भी काम हैं, दया याचिका खारिज चुनौती न देने की बात कही, उनकी दलील थी कि याकूब की सहमति से दाखिल की गई थी दया याचिका।