कोलंबो, सात मार्च ( शोभनाजैन,वीएनआई ) प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की अगले सप्ताह की प्रस्तावित श्री लंका यात्रा से ठीक पहले श्री लंका के प्रधान मंत्री रानिल विक्रम सिंघे की भारतीय मछुआरो को ले कर की गयी विवादास्पद टिप्पणियो को ले कर दोस्ती के एक नये अध्याय की और बढ रहे दोनो देशो के बीच एक नया \'अस्थाई सा\' विवाद उठ खड़ा हुआ है. भारत ने आज इस मामले पर विरोध जताते हुए श्री लंका के साथ यह मामला उठाया और कहा कि मछुआरो के अधिकारो संबंधी मसले मानवीय है, जो कि मछुआरो की रोजी रोटी से जुड़े है.
श्री लंका यात्रा पर यहा आयी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज यहा श्री विक्रम सिंघे से मुलाकात के दौरान यह मुद्दा उठाया.बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस बारे मे पूछे गये सवालो के जबाव मे कहा कि विदेश मंत्री ने इस मछुआरो के मामले पर भारत के पक्ष को फिर से स्पष्ट किया ,दोनो नेताओ ने उम्मीद जताई कि बातचीत के जरिये दोनो देशो के बीच के इस मसले का मानवीय आधार पर समाधान किया जायेगा.प्रवक्ता सैयद अकबरूद्दीन ने कहा कि इस बातचीत मे विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने साफ तौर पर कहा कि इतालवी नौ सैनिको द्वारा दो भारतीय मछुआरो को गोली मारे जाने के हत्या का मामला और मछुआरो के ये मामले दो अलग अलग मामले है और इनकी तुलना नही की जा सकती है . प्रवक्ता ने कहा कि इन इतालवी नौ सैनिको का मामला एक कानूनी मामला है जबकि दोनो देशो के बीच मछुआरो का यह मामला एक् मानवीय मसला है . गौरतलब है कि तमिलनाडु के एक निजी चेनल को दिये एक इंटरव्यु मे ्श्री लंका के प्रधान मंत्री ने भारतीय मछुआरो के खिलाफ श्री लंका की नौ सेना द्वारा भारतीय मछुआरो के खिलाफ कड़ी कार्यवाही किये जाने को सही ठहराते हुए कहा था \' अगर कोई मेरे घर मे घुसता है तो, कानून मे उसे गोली मारने का प्रावधान है.\' उन्होने यह भी कहा कि उनकी सरकार मछुआरो के अधिकारो को ले कर भारत के साथ \'तर्कसंगत समझौता\' करने को तैयार है. लेकिन साथ ही कहा था कि भारतीय मछुआरो को श्री लंका के जल क्षेत्र मे अपनी नौकाये ले जाने की अनुमति नही दी जा सकती है.श्री विक्रम सिंघे ने आरोप लगाया था कि भारतीय् मछुआरे उनके जल क्षेत्र मे घुस कर मछलिया पकड़ कर उत्तरी श्री लंका के मछुआरो की आजीविका छीन रहे है.
श्री विक्रम सिंघे की यह टिप्पणिया उस वक्त आयी है श्रीमति स्वराज प्रधान मंत्री नरेन्द्र मो्दी की अगले सप्ताह प्रस्तावित श्री लंका यात्रा की तैयारियो को अंतिम रूप देने कल से श्री लंका की दो दिवसीय यात्रा पर है. भारतीय प्रधान मंत्री अठाईस बरस बाद श्री लंका की द्विपक्षीय यात्रा कर रहे है. इससे पूर्व श्री मति स्वराज ने श्री लंका के विदेश मंत्री मंगला समरवीरा के साथ शिष्टमंडल स्तर की वार्ता के बाद प्रधान मंत्री श्री विक्रमसिंघे से मुलाकात् की इन टिप्पणियो के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरूदीन ने कहा था कि इस मुद्देपर दोनो देशो के बीच पहले से ही बातचीत चल रही है, . गौरतलब है किचीन की संवाद समिति सिन्ह्वा के अनुसार गत चार मार्च को श्रीलंका के सशस्त्र मछुआरो ने सात भारतीय मछुआरो का अपहरण कर लिया था और उनकी रिहाई के बदले उनके परिजनो से फिरौती की मांग की थी.श्री विक्रम् सिंघे की यह टिप्पणी इस घटनाक्रम् के बाद आयी, इसी आज रामेशवरम मे मछुआरो के एक नेता ने मीडिया से कहा कि ये सातो लोग अपने घरो को लौट आये है. इन्ही खबरो के बीच श्री लंका के समाचार पत्रो के अनुसार भारत के कोस्ट गार्ड ने छह श्रीलंकाई मछुआरो को भारतीय जल सीमा मे प्रवेश के लिये हिरासत मे लिया . श्रीमति स्वराज ने कल यहा पहुचने पर श्री लंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना से मुलाकात की थी.राष्ट्रपति सिरिसेना ने दोनो देशो के बीच संबंध और मजबूत करने की वचन बद्धता जाहिर की थी. आज श्री मति स्वराज ने वहा बौढ भिक्षुको के एक शिष्टंमंडल से भी मुलाकात् की.
प्रधान मंत्री मोदी का सेशल्स,मॉरीशस व श्री लंका यात्रा के तीसरे चरण मे आगामी १३-१४ मई को श्री लंका यात्रा का कार्यक्रम है.श्रीलंका मे भी किसी भारतीय प्रधान मंत्री की 28 बरस बाद श्री लंका की द्विपक्षीय यात्रा होगी. श्री लंका की नव निर्वाचित मैत्रीपाला सिरीसेना सरकार के भारत के साथ रिश्ते और प्रगाढ बनाने की इच्छा और पहल के मद्देनजर प्रधान मंत्री मोदी की इस यात्रा को दोनो देशो के बीच रिश्तों को और मजबूत करने बतौर देखा जा रहा है. श्री लंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला ने इस जनवरी हुए चुनाव के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा के लिये भारत को ही चुना था और इस दौरान गत माह अपनी भारत यात्रा के दौरान भारत पर भरोसा जताते हुए श्रीलंका ने भारत के साथ द्विपक्षीय असैन्य परमाणु सहयोग संधि की, जो श्रीलंका की किसी देश के साथ पहली इस तरह की संधि थी.वे उत्तरी श्रीलंका में जाफना भी जाएंगे जहां 1980 के दशक में गृहयुद्ध चला और लिट्टे और श्रीलंका सरकार के बीच कभी भीषण युद्ध हुआ था। श्री मोदी जाफना जाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री होंगे। वे जाफना में भारत की सहायता और सहयोग से चलाए जा रहे पुनर्निर्माण कार्यों का जायजा लेंगे। ततकालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी ने 1987 मे श्री लंका का दौरा किया था जिस दौरान उन्होने भारत श्री लंका शांति करार किया था, विदेशी मामलो के जानकारो का मानना है कि दोनो देशो के बीच मछुआरो के अधिकारो को लेकर समय समय पर बातचीत होती रही है हाल ही मे राष्ट्रपति सिरीसेना की भारत यात्रा के दौरान भी दोनो देशो ने इसे मानवीय आधार पर् हल करने पर जोर दिया था. श्री विक्रम सिंहे सही स्थति समझते है और इस विवाद का स्थाई समाधान निकाल लिया जायेगा. वी एन आई