नई दिल्ली 2 दिसंबर(वीएनआई) राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई के मद्देनज़र सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण अहम फैसला ्दिया है है। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा है कि हत्यारों की रिहाई नहीं की जाएगी, इस फैसले के बाद दोषियों को राहत नही मिल सकेगी
कोर्ट ने कहा है कि सजा माफ़ी का अधिकार राज्यों को नहीं है। वहीं, कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि केन्द्र को ही सज़ा माफ़ी का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि उम्रक़ैद का मतलब ताउम्र जेल में रहना ही है। उल्लेखनीय है कि प्रधान न्यायाधीश आज ही सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
गौरतलब है कि राजीव गांधी हत्याकांड में मौत की सजा ्के मद्देनज़र सात दोषियों को रिहा करने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ सुनवाई के दौरान ये फैसला सुनाया।दोषियों को रिहा करने के तमिलनाडु सरकार के फैसले के ख़िलाफ़ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था पीठ ने केंद्र की ओर से पेश सालिसिटर जनरल रंजीत कुमार और एक दोषी वी श्रीहरन उर्फ मुरूगन और तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ताओं राम जेठमलानी और राकेश द्विवेदी सहित अन्य की दलीलें 11 दिन सुनने के बाद 12 अगस्त को फैसला सुरक्षित रखा था। इस पीठ में न्यायमूर्ति एफएमआई कलीफुल्ला, न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष, न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे और न्यायमूर्ति यूयू ललित शामिल हैं।
राज्य सरकार ने राजीव गांधी हत्याकांड में मौत की सजा से राहत पाने वाले सभी दोषियों संथन, मुरुगन, पेरारीवलन और उम्रकैद की सजा काट रहे नलिनी श्रीहरन, रॉबर्ट पायस, रविचंद्रन और जयकुमार को रिहा करने का आदेश दिया था। लेकिन, इसके खिलाफ केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि मामले की जांच सीबीआई ने की थी और इस केस में केंद्रीय कानून के तहत सजा सुनाई गई। ऐसे में रिहा करने का अधिकार केंद्र का है।
सुप्रीम कोर्ट ने जयललिता सरकार के फैसले पर रोक लगाकर मामले को 5 जजों की संविधान पीठ को भेज दिया था। कोर्ट ने सारे राज्यों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था और फैसला आने तक उम्रकैद के कैदियों को रिहा न करने के आदेश दिए थे।