पठानकोट हमला - कौन थे वे जाबांज ,जो लौट कर घर न/न आये

By Shobhna Jain | Posted on 4th Jan 2016 | VNI स्पेशल
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पठानकोट,4 जनवरी (अनुपमा जैन/वीएनआई ) पठानकोट एयरबेस आतंकी हमले को निरस्त करने के लिए 57 घंटे से सेना और सुरक्षा बलो . का संयुक्तऑपरेशन अभी भी जारी है. ऐसी आशंका है कि अभी भी दो आतंकी यहां छिपे हैं जिन्हें मारने की कोशिश जारी है. शनिवार तड़के 3 बजे यहां जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने इस हमले को अंजाम दिया था. तब से अब तक लगातार फायरिंग और धमाके जारी हैं. अबतक 4 आतंकी मारे जा चुके हैं जबकि सेना के 7 कमांडो और जवान इस ऑपरेशन के दौरान शहीद हुए हैं.इस सफल अॅापरेशन ने हमारे जांबाजो ने अपने प्राणो की आहुति देकर देश को सुरक्षित किया .कौन थे वे जाबांज जिन्होंने हमें सुरक्षित करने के लिए अपने प्राणोंको बलिदान कर दिया . आइए जानें इन जांबाज सिपाहियों को और इन्हे नमन करे : - लेफ्टिनेंट कर्नल निरंजन सिंह : एनएसजी का यह 34 वर्षीय युवा कमांडो उस वक्त शहीद हो गया, जब वे तलाशी अभियान चला रहे थे.एक आतंकी के शरीर पर बंधे आईईडी को निरस्त करते वक्त विस्फोट में इनकी शहादत हुई हुई. कैप्टन फतेह सिंह : आर्मी से रिटायर होने के बाद 51 वर्षीय फतेह सिंह डिफेंस सिक्यूरिटी कॉर्पस के लिए कार्यरत थे. कुछ समय पहले ही उनकी पोस्टिंग पठानकोट में हुई थी. 25 वर्षीय गरुड़ कमांडो गुरुसेवक सिंह,पठानकोट एयरबेस को आतंकियों से बचाने के क्रम में शहीद हुए. हवलदार कुलवंत सिंह (डीएससी) : 49 वर्षीय कुलवंत सिंह ने आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दिया और बहादुरी के साथ लड़ते हुए शहीद हुए.कुलवंत ने 1985 में 19 साल की उम्र में सेना जॉइन की थी हवलदार जगदीश चंद्रा : जब आतंकियों ने हमला किया, 58 साल के जगदीश चंद्रा किचन में काम कर रहे थे. लेकिन उन्होंने आतंकियों का पीछा किया और एक आतंकी को मार गिराया. हालांकि वे शहीद हो गये. हवलदार संजीवन सिंह राणा (डीएससी) : संजीवन सिंह पठानकोट एयरबेस में हुए आतंकी हमले के पहले दिन शहीद हुए थे. वे आतंकियों के साथ बहादुरी से लड़े. हवलदार मोहित चंद : पठानकोट हमले के शहीदों में हवलदार मोहित चंद का नाम भी आता है. जिन्होंने बहादुरी के साथ लड़ते हुए खुद को वतन पर कुर्बान कर दिया.वी एन आई

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