भूटान से "अनूठे रिश्तें "जैसे को तैसा नीति' आधारित नहीं

By Shobhna Jain | Posted on 11th Feb 2020 | VNI स्पेशल
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नई दिल्ली, 11 फरवरी, (शोभना जैन/वीएनआई) दशकों तक भारतीय पर्यटकों को पड़ोसी मित्र देश भूटान द्वारा दी जाने वाली  निर्बाध और  निशुल्क प्रवेश करने  की सुविधा अब हटायी जा रही हैं. भूटान सरकार ने पर्यटन नीति में एक बड़े बदलाव के तहत अब  भारतीय,बंगलादेश और माल्दीव के पर्यटकों पर प्रति व्यक्ति 1200 रूपये प्रति दिन "सतत विकास शुल्क" लगाने का निर्णय  लिया है. यह प्रणाली आगामी जुलाई से लागू होगी.इस  कदम के साथ ही इस छोटे से प्राकृतिक सौन्द्रय से भरपूर इस पर्वतीय देश में लगातार बढती पर्यटकों की भीड़ की वजह से  आधारभूत सुविधाओं, पर्यावरण आदि पर पड़ने वाले भार से निबटने के लिये विदेशी वाहनों पर लगभग 2000 रूपये का  "हरित शुल्क" लगाये जाने पर भी विचार  किया जा रहा हैं. 

भारत ने जहा भूटान की इस पर्यटन नीति के बदलाव पर समझ बूझ भरी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि भूटान के साथ हमारे खास रिश्तें हैं और इन्हें "जैसे को तैसा नीति " के आधार पर कतई नही रखा जा सकता हैं. भारत ने कहा हैं कि भूटान सरकार ने भी  उसे आश्वस्त किया हैं कि इस से भारतीय सैलानियों को कोई असुविधा नहीं होगी.भूटान का भी कहना हैं कि भारत के साथ अपने  प्रगाढ तथा विशेष संबंधों के मद्देनजर  वह भारत से आने वाले पर्यटकों का उस के यहा स्वागत  रहेगा.उस ने कहा हैं कि भूटान भारत के साथ निकट सहयोग से मिल कर यह सुनिश्चित करेगा कि इस नियम को लागू होने के बाद भारतीय पर्यटकों को कोई असुविधा नहीं हो. लेकिन निश्चय ही  भारतीय सैलानियों के लिये भूटान घूमना अब काफी महंगा पर सकता है और इस से  वहा जाने के इच्छुक भारतीय सैलानियों की संख्या में भी कमी आने का  भी अंदेशा हैं.हालांकि भूटान सरकार इस शुल्क को अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों पर लगाए जाने वाले 65 अमेरिकी डॉलर शुल्क की तुलना में काफी सस्ता मान रही है, यानि  क्षेत्र के पर्यटकों के लिये यह शुल्क एक चौथाई बताया गया  हैं.इस कदम को छोटे से पर्वतीय देश में सैलानियों की बढती भीड़ को नियंत्रित किये जाने के ईरादे से लाया गया है जो उस की इस पर्यटन नीति का अंग हैं कि पर्यटन से आधारभूत सुविधाओं पर कम से कम भार पड़े साथ ही  राजस्व कमाई ज्यादा हो,इसी  के मद्देनजर  वह सुनिश्चित करेंगे किकितने विदेशी पर्यटक उन के  वहा आ सकते हैं. 

भूटान भारत का पड़ोसी मित्र देश  है, और मोदी सरकार की "नेबरहुड  फर्स्ट  नीति " का भरोसेमंद साथी.खबर हैं कि  भूटान  ने इस कदम से पहले भारत को इस बाबत जानकारी दे दी थी जिसे भूटान की तरफ से आपसी भरोसा बढाने वाला समझ  बूझ भरा कदम माना जा रहा हैं.भूटान  और चीन में भारत के राजदूत रहे गौतम बंबावले का मानना हैं कि भारत सरकार के साथ साथ हमारी जनता भी इसे मामलें की संवेदन्शीलता आपने प्रगाढ पड़ोसी भूटान की दिक्कतें समझें और इसे फायदे नुकसान के दायरें से बाहर रख कर सोचें.उन का कहना हैं कि  भारत का सरकार  भी ्जिस तरह से इस मामलें को जैसे को तैसा नीति से दूर रख रखा हैं,ऐसी समझदारी आपसी रिश्तों को मजबूती देती है.इस नियम के आने के बाद भारत ने कहा हैं कि भूटान के साथ भारत के रिश्तें अपने आप में "अनूठे" हैं, वह  जैसे को तैसा नीति के दायरें से कहीं हट कर हैं.वह भाईचारें की भावना पर आधारित हैं ,वह भूटान की विकास यात्रा में  साझी दार है.हाल के बजट मे जहा विदेशों को दी जाने वाली विकास कार्यक्रम सहायता में जहा इस बार नेपाल को दी जाने वाली विकास सहायता में कटौती की गई वही भूटान इस बार भी  सब से अधिक विकास सहायता पाने वाला देश रहा हैं.इस बात पर विशेष ध्यान देना होगा कि भूटान के साथ रिश्तों के इस पड़ाव को "असहजता" की बजाय "संवेदन्शीलता" और "सहजता" से लिया जायें. गौरतलब हैं कि आर्थिक प्रगति के साथ साथ  "प्रसन्नता " को प्रगति का पैमाना वाले लगभग 7.6 लाख की आबादी वाले भूटान में हर वर्ष लगभग दो लाख भारतीय सैलानी यहा घूमने आते हैं और पिछले तीन वर्षों मे यानि 2017 के बाद से सैलानियों की संख्या में  लगभग10 प्रतिशत  से बढोतरी दर्ज की गई हैं.कहा गया कि सैलानियों की संख्या में इस अभूत पूर्व वृद्धि से भूटान के सीमित आधारभूत पर्यटन ढॉचें और संवेदनशील इको सिस्टम के साथ साथ पर्यटन नीति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा भूटान द्वारा जारी ऑकड़ोंके अगर बात करें तो  अकेले वर्ष  2018 में भूटान में कुल 2,74,097 पर्यटक आयें जिस में से 202,290क्षेत्र से थे और इस में से 1,91,831 भारत से थे.दरसल इस पूरे मामलें को समूचें परिपेक्षय में देखने की जरूरत हैं' क़ार्बन नेगटिव" भूटान की "हरित और स्वच्छ "  नीति बहुत सफल   रही हैं. भूटान का मानना हैं कि पर्यावरण नियंत्रण के साथ ही इस ही इस ्नयी नीति से देश के  साथ ही  पर्यटन से जुड़े स्थानीय लोगों को रोजगार के ज्यादा अवसर मिलने की भी संभावना हैं इस के साथ ही देश के सीमित आधार भूत ढॉचें पर  पर्यटको के आने की वजह से प्रणाली पर पड़ने वाले भारी बोझ को कम किया जा सकेगा.दर असल पर्यटन पर काफी बड़े पैमानें पर आश्रित भूटान की अर्थ व्यवस्था में पर्यटन की खास अहमियत हैं.भूटान के अनुसार   इस नीति का मकसद हैं कि भूटान के पास वो पर्यटक आयें जो संख्या  में कम हो और जिन से   पर्यटन से उसे  राजस्व ज्यादा मिलें.भूटन का कहना हैं कि इस शुल्क का मकसद क्षेत्र के देशों के सैलानियों को क्वालिटी सर्विस देना हैं. अगर  भारत सहित इन दो  देशों के पर्यटकों की बात करें तो उन्हे जुलाई से अब करीब 65 डॉलर यानि 4631 रुपए सतत विकास  शुल्क  भूटान यात्रा के लिए दे ्देना होगा जब कि अन्य देशों के यात्रियों को 250 डॉलर यानि 17,811 रुपए का फ्लैट कवर चार्ज भी देना  होता है. 

्वैसे इन नये नियमों  के तहत   देश के कुल २० जिलों मे से ११ में यह शुल्क लागू नहीं किया गया. ये  देश का पूर्वी  क्षेत्र हैं जहा अपेक्षाकृत कम सैलानी आते है. वहा पर्यटन को बढावा देने की दृष्टि से ्यह शुल्क लागू नही किया गया है . भारत  से ज्यादातार पर्यटक देश के पश्चिमी भागों में घूमने जाते हैं जो कि अधिक विकसित हैं.इन्हीं नौ जिलों में यह शुल्क लागू किया गया हैं. बच्चों को भी रियायतें दी गई हैं .इस नये नियम के तहत देश के कुल २० जिलों मे से ११ में यह शुल्क लागू नहीं किया गया. ये  देश का पूर्वी  क्षेत्र हैं जहा अपेक्षाकृत कम सैलानी आते है. वहा पर्यटन को बढावा देने की दृष्टि से ्यह शुल्क लागू नही किया गया है  भारत  से ज्यादातार पर्यटक देश के पश्चिमी भागों में घूमने जाते हैं जो कि अधिक विकसित हैं.इन्हीं नौ जिलों में यह शुल्क लागू किया गया हैं.

बहरहाल  भारत ने भूटान में पर्यटन क्षेत्र में हो रहे बदलाव पर  उस के पक्ष को संवेदनशीलता  से समझा है. भूटान ने भी उसे आश्वासन दिया हैं कि  इस नये नियम के लागू होने के बाद वह भारत के साथ मिल कर दोनों देश  से मिल कर  काम  करेगा  जिस से  ्वहा घूमने के जाने के लिये भारतीय पर्यटकों को असुविधा नही हो. उम्मीद की जानी चाहियें कि  मामलें की संवेदनशीलता समझते हुए  पड़ोसी मित्र देश का यह बदलाव भारत के पर्यटकों  की संख्या पर भी बहुत ज्यादा असर नही डालेगा .समाप्त 


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