कश्मीर मुद्दे पर पाक फिर से चारों खाने चित्त

By Shobhna Jain | Posted on 9th Feb 2019 | VNI स्पेशल
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नई दिल्ली, 09 फरवरी, (शोभना जैन/वीएनआई) कश्मीर को ले कर पाकिस्तान के घड़ियाली आंसू  और इस मुद्दे  के अंतर्राष्ट्रीयकरण  करने की  उस की साजिश हर बार की तरह एक बार  फिर चारों खाने चित्त हुई हैं . एक तरफ जहा पाकिस्तान का अपने कब्जे वाले कश्मीर में कश्मीरियों पर दमन चक्र जारी है वही अपने दोहरे चरित्र को एक बार फिर साबित करते हुए उस ने इस सप्ताह  लंदन मे भारत विरोधी कश्मीर सम्मलेन कर कश्मीरियों के मानवाधिकारों हनन का रोना रो कर घड़ियाली आँसू  बहाते हुए   कश्मीर मसले के अंतर राष्ट्रीयकरण करने  की  फिर कोशिश  की लेकिन  पाक  का  यह तमाशा  इस बार भी बुरी तरह से टॉय -टॉय फिस्स हो गया।सूत्रों का भी मानना हैं की सम्मलेन मे जोकुछ घटा उस से साफ़ जाहिर है की सम्मलेन बुरी तरह से विफल रहा. 

 दरअसल  पाक के इन घड़ियाली  आंसुओ की हकीकत ब्रिटेन और पूरी दुनिया  बखूबी जानती हैं. सूत्रों के अनुसार सम्मलेन को ले कर चल रहे विवाद  के चलते  ब्रिटेन ने सम्मलेन से पूरी तरह से दूरी बनाये रखी।   ब्रिटेन  ने साफ़ तौर पर कहा सम्मलेन मे हिस्सा लेने आये  पाकिस्तान के विदेश मंत्री एस एम्  कुरैशी  की  ब्रिटेन यात्रा  निजी यात्रा थी और इसी वजह से कुरैशी की किसी ब्रिटिश नेता से कोइ द्विपक्षीय  मुलाक़ात नहीं हो सकी  और   ब्रिटेन के विदेश मंत्री जर्मी हंट  से   मुलाक़ात की कोशिशे भी बेनतीजा रही ।दरअसल इस पूरे मामले में भारत सतर्क था. उस ने ब्रिटेन को आधि कारिक साफ तौर पर  भी साफ़ तौर कहा  की वे यह सुनिश्चित करे की वह अपनी  भूमि को भारत विरोधी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल नहीं होने देगा. ब्रिटेन पहले ही कह चुका हैकि कश्मीर एक द्विपक्षीय मसाला है  और इस मुद्दे पर उस का पक्ष पहले वाला ही हैं इसे शिमला समझौते और लाहौर घोषणापत्र  के जरिये ही हल किया जायें। 

कश्मीर प्रलाप को ले कर पाकिस्तान  रह रह कर नए हथकंडे इस्तेमाल करता रहा हैं , और हर बार नाकाम होता रहा हैं , इसी सिलसिले की  नयी कडी  बतौर   इस बार भी  गत   5 फरवरी को   ब्रिटेन में  पाकिस्तान के समर्थन  से आयोजित कश्मीर  मुद्दे पर तथाकथित " एकजुटता" जाहिर करने के नाम पर    आयोजित  भारत विरोधी  सम्मलेन  भारत  के दृढ़ कूटनीतिक तेवरों के चलते कामयाब नहीं हो सका.  जाहिर है कि  एक बार फिर  पाकिस्तान का दाँव  उलटा पड़ा हैं.सूत्रों के अनुसार  सम्मलेन  मे जिन ११ सांसदों ने हिस्सा लिया,वे सभी  पाकिस्तान मूल के  थे. आलम यह रहा कि सम्मलेन में  पाकिस्तान के विदेश मंत्री की मौजूदगी के बावजूद कोइ भी ब्रिटिश संसद मौजूद नहीं था । एक वरिष्ठ  पूर्व राजनयिक के अनुसार  सम्मलेन में कथित तौर पर  पारित प्रस्ताव में कश्मीर में मानवाधिकारों के हनन के रोने की दुहाई  तो दी गयी  लेकिन  पाकिस्तान समर्थक  आयोजक यह भूल गए कश्मीर  में पाकिस्तान की शह पर  सीमा पार से आंतकवादी  गतिविधियॉ  चलाई जा रही  हैं जिस से  वहा के नागरिक  इस हिंसा मे मारे जा रहे हैं  और और यह साफ तौर पर पाकिस्तान द्वारा भारत के घरेलू मामलों में दखलदांजी करने का मामला  हैं.  

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने संबोधित किया।सम्मलेन में  नॉर्वे  के पूर्व प्रधान मंत्री के. बोंदेविक ने हिस्सा लिया जो की हाल ही मे अपनी श्रीनगर यात्रा को लेकर खासी सुर्खियों में रहे जहा उन्होंने अन्य कई  संगठनों के अलावा  हुर्रियत के नेताओं से भी बातचीत की थी.   गौरतलब है  की पाकिस्तान किसी न किसी आड़ में  अपने इसी कश्मीर प्रलाप को दुनिया भर  मे उठाने  के एजेंडा के तहत   हर  वर्ष 5  फरवरी  को यह सम्मलेन आयोजित  करता रहा हैं। यह कार्यक्रम ब्रिटेन के  हाउस ऑफ कॉमंस परिसर में  आयोजित किया गया , जहा की  अक्सर   इस तरह के निजी कार्यक्रम आयोजित किये जाते है रहे। सम्मलेन को हालाँकि बड़े जोर शोर  से कश्मीर के प्रति एकजुटता बताया गया लेकिन दिलचस्प बात  यह रही की पाक के कब्जे वाले कश्मीर के लोगो को ही सुरक्षा के लिए ख़तरा बताते हुए प्रवेश की अनुमति नहीं दी गयी   ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में पैदा हुए कंजरवेटिव सांसद रहमान चिश्ती ने की। सम्मलेन का आयोजन ब्रिटेन स्थित  पाकिस्तान पर सर्व दलीय  संसदीय ग्रुप ने किया। गौरतलब है कि   इस से पूर्व  कश्मीर के अलगाववादी नेता मीर  उमर  वॉयज से  पाकिस्तान  के विदेश मंत्री  कुरैशी की  कश्मीर को ले कर हुई विवादास्पद  टेलीफोन वार्ता  का  भी उसका दांव उलटा पड़ा  था।  मीर  वायज  व् कुरैशी की टेलीफोन वार्ता पर भारत ने कड़ा एतराज जताया था ।  भारत के विदेश सचिव विजय गोखले  ने पाकिस्तान  के उच्चायुक्त  सोहैल महमूद  को तलब  कर विरोध प्रदर्शन  किया और और कड़े शब्दों मे कहा की जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है  और पाकिस्तान को भारत के घरेलू मामलों में दखलदांजी करने का कोइ हक़ नहीं. एक पूर्व वरिष्ठ राजनयिक के अनुसार पाकिस्तान लगातार कश्मीर मुद्दे का अंतर राष्ट्रीयकरण करने से  बाज   नहीं  आता है. एक तरफ पाकिस्तान के नए प्रधान मंत्री इमरान भारत से दोस्ताना रिश्तों की बात का दिखावा करते है दूसरी  तरफ कुरैशी, तो उन जैसे  ही तत्व भारत विरोधी प्रलाप करते है, या फिर कश्मीर जैसे सम्मलेन आखिर यह सब क्या यह सब पाकिस्तान की बदनीयती नहीं बयान  करते हैं  .ऐसे मे जब वह   पाक कब्जे वाले कश्मीर  और गिलगित, बालिस्तान मे मानवाधिकारों की धज्जियॉं  उड़ाये और  दूसरी तरफ कश्मीर में  भारत पर  तथाकथित मानवअधिकारों के हनन का रोना  रोयें तो तो कश्मीर सम्मलेन जैसे आयोजन उस का असल एजेंडे का ही पर्दाफाश करते है। साभार - लोकमत (लेखिका वीएनआई न्यूज़ की प्रधान संपादिका है।


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