नयी दिल्ली,22 जून(शोभनाजैन/वीएनआई) परमाणु आपूर्तिकर्ता विशिष्ट समूह (एनएसजी) की सदस्यता के लिये समर्थन जुटाने के भारत के प्रयासों के क्रम में विदेश सचिव एस जयशंकर आज सोल रवाना हो गये जहा,कल से 48 सदस्यीय एनएसजी की पूर्ण बैठक शुरू हो रही है.सूत्रो के अनुसार एनएसजी की पूर्ण बैठक मे भारत का प्रयास होगा कि चीन सहित सभी सदस्य देशों का समर्थन हासिल करे और भारत सर्वसहमति से एनएसजी की सदस्यता हासिल कर सके. सदस्यता पाने की भारत की उम्मीदो के बीच चीन और कुछ अन्य देश फिलहाल उसका विरोध कर रहे हैं. हालांकि चीन का विरोध थोड़ा नरम पड़ा है. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने आज कहा कि तीन बार भारत व पाकिस्तान की एनएसजी सदस्यता पर एनएसजी में अनौपचारिक चर्चा कर चुके है. चीन उन देशों के समूह की अगुवाई कर रहा है जो एन एस जी में भारत की सदस्यता का विरोध कर रहे हैं. तुर्की सहित दक्षिण अफ्रीका, आयरलैंड और न्यूजीलैंड भी भारत की सदस्यता के विरोध में हैं.
सूत्रो के अनुसार विदेश सचिव कल से शुरू हुई 48 देशों वाले समूह की आधिकारिक स्तर की वार्ता के दौरान हो रहे घटनाक्रमों पर करीब से नजर रखे हुए थे. सूत्रों ने बताया कि विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी एवं ‘निरस्त्रीकरण तथा अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा' प्रभाग के प्रभारी अमनदीप सिंह गिल समर्थन ‘‘जुटाने' और भारत के मामले की ‘‘व्याख्या' करने के लिए पहले से ही सोल में हैं. परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह सर्वसम्मति के सिद्धांत के तहत काम करता है और यदि कोई एक देश भी भारत के खिलाफ मतदान करता है तो सदस्यता पाने का उसका प्रयास विफल हो जाएगा.
हालांकि, समूह के अधिकतर देशों ने भारत का समर्थन किया है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि चीन के साथ ही तुर्की, दक्षिण अफ्रीका, आयरलैंड और न्यूजीलैंड एनएसजी में भारत के प्रवेश के पक्ष में नहीं हैं. दूसरी ओर ताशंकद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल से शुरू शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन की बैठक के इतर चीनी राष्ट्रपति शी से मिल सकते हैं. मोदी चीनी राष्ट्रपति से एनएसजी मुद्दे पर बातचीत कर सकते हैं.चीन प्रक्रिया नियमो का तर्क दे कर भारत का विरोध कर रहा है उसका कहना है कि एन पी ्टी पर हस्ताक्षर नही किये जाने की वजह से उसे एन एस जी की सदस्यता नही दी जानी चाहिये हालांकि वह पाकिस्तान के लिये एन एस जी की सदस्यता की परोक्ष रू र्रोप से पैरवी कर रहा है लेकिन जानकारो का कहना है है कि पाकिस्तान के परमाणु रिकार्ड के लगातार शक के दायरे मे रहने की वजह से भारत और पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम की तुलना नही की जा सकती है. भारत का परमाणु रिकोर्ड बेदाग रहा है और उसने इस क्षेत्र मे तमाम प्रतिबद्धताओ का भलि भॉति पालन किया है, विश्व समुदाय यह बखूबी जानता है.
चीन ने प्रत्यक्ष विरोध का रास्ता छोड़ दिया है और नरम पड़ते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ शिंग चुइनिंग ने कहा था, 'हम किसी देश पर टारगेट नहीं कर रहे. भारत या पाकिस्तान. हमारी चिंता केवल परमाणु प्रसार संधि (एनपीटी) को लेकर है.' चीनी अधिकारियों ने कहा, 'गैर एनपीटी देशों के प्रवेश के लिए दरवाजे खुले हुए हैं लेकिन ेन एस जीके सदस्यों को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि क्या इसके लिए मानदंड बदला जाना चाहिए.'. दो दिन पूर्व ही विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा था कि भारत को उम्मीद है कि वह चीन को मना लेने मे कामयाब हो जायेगा.उन्होने कहा था कि भारत इस मसले पर सर्व र्सहमति कायम करने का प्रया्स कर रहा है और भारत को उम्मीद कि उसे इस साल एन एस जी की सदस्यता मिल जायेगी.वी एन आई