16 दिसंबर 2016 यानि आज निर्भया कांड के 4 साल हो गए. आज से ठीक 4 साल पहले 16 दिसंबर 2012 की एक भयावह घटना ने राजधानी दिल्ली को शर्मसार कर दिया था और दिल्ली के साथ पूरा देश निर्भया को न्याय दिलाने के लिए एक साथ खड़ा हो गया था.
लेकिन आज भी न्याय के लिए निर्भया का इंतजार खत्म नहीं हुआ है.आज भी उसके मां- बाप अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं निर्भया का केस फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. निर्भया की मां आशा देवी ने कहा, 'चार साल हो गए लेकिन अभी तक मेरी बेटी को न्याय नहीं मिल पाया है. शुरू में लोगों का काफी साथ था, लेकिन अब धीरे-धीरे लोग भूलते जा रहे हैं.'
आशा देवी के अनुसार , 'मेरी बेटी नहीं रही. अब यह सब मैं अपने लिए नहीं कर रही हूं. दूसरी बच्चियों के साथ ऐसा ना हो इसलिए जरूरी है कि इन्हें सजा मिले.
गौरतलब है कि 16 दिसंबर की रात 23 साल की फिजियोथेरेपी की छात्रा निर्भया अपने एक मित्र के साथ जब एक प्राइवेट बस में घर जाने के लिए चढी तो कुछ दूर जाने के बाद ही ड्राइवर राम सिंह और उसके पांच साथियों ने उसके साथ गैंगरेप करने के साथ ही दोनों को बुरी तरह पीटा और घायलावस्था में मरा हुआ समझकर निर्जन स्थान पर छोड़कर भाग गए. होश में आने के बाद निर्भया के मित्र ने किसी तरह मदद ली और गंभीर अवस्था में दोनों को अस्पताल पहुंचाया गया.
उसके बाद 11 दिनों तक निर्भया जिंदगी और मौत के बीच झूलती रही. हालत बिगड़ने पर इमरजेंसी ट्रीटमेंट के लिए उसे सिंगापुर ले जाया गया लेकिन वहां पहुंचने के दो दिन उसकी मौत हो गई.
घटना के बाद सभी छह आरोपियों को पुलिस ने पकड़ लिया था, उनमें से एक नाबालिग था. उनके खिलाफ बलात्कार, अपहरण और हत्या का मामला दर्ज हुआ. 2013 में बस के ड्राइवर राम सिंह ने तिहाड़ में खुदकुशी कर ली. बाकियों के खिलाफ फास्ट ट्रैक में मामला चला. 13 सितंबर, 2013 को चार को फांसी की सजा सुनाई गई और नाबालिग को तीन साल की अधिकतम सजा के साथ सुधार केंद्र में भेज दिया गया. 13 मार्च, 2014 को दिल्ली हाई कोर्ट ने भी इस सजा को बरकरार रखा. निर्भया कांड में दोषी नाबालिग दिसंबर 2015 को सुधार गृह से रिहा कर दिया गया था, लेकिन फिलहाल वह दिल्ली के एक एनजीओ की संरक्षण में है.