नई दिल्ली, 9 दिसंबर (शोभना जैन/वीएनआई) माल्दीव की नयी सरकार के भारत से दूरी रखने की खबरों के बीच हाल ही में दुबई में सम्पन्न संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और माल्दीव के नव निर्वाचित राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू के बीच मुलाकात और दोनों देशों ्द्वारा रिश्तों को और प्रगाढ बनानें के लिये एक कोर ग्रुप बनाये जाने के फैसलें के बाद दोनों देशों के बीच दूरियों को ले कर उठे सवालों की पृष्ठ भूमि में एक नया सवाल पूछा जा रहा हैं कि माल्दीव की नयी सरकार का वहा तैनात भारतीय तकनीकि सैन्य विशेषज्ञ वहा से हटायें जानें की मॉग को ले कर रूख क्या कुछ ढीला पड़ गया हैं.?
अगर कुछ ही दिन पहले की बात करें तो सत्ता संभालतें ही राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू ने भारत से वहा तैनात भारतीय तकनीकि सैन्य कर्मियों को वापस बुलानें के पीछें विदेशी मामलों में उस की स्वायतता बनायें रखने की दलील भलें ही दी हो, यह बात स्पष्ट हैं कि माल्दीव की नयी सरकार का यह कदम हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के ब ढतें प्रभाव को दर्शाती हैं जिस के बड़ें भूराजनैतिक मायनें हैं.रणनीति की दृष्टि से अहम मालदीव के राष्ट्रपति चुनाव में चीन की समर्थक माने जाने वाली "प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ माल्दीव" के मोहम्मद मुइज़्ज़ू की जीत हिंद महासागर क्षेत्र के लियें,खास तौर पर भारत के लियें भी खासी अहम हैं. मुइज़्ज़ू की पार्टी के चुनाव प्रचार अभियान में जिस तरह से "भारत विरोधी" और‘इंडिया आउट’ पर जोर दिया गया और वे माल्दीव की "स्वतंत्रता की बहाली" की बात करते रहे है, जिस का आशय माल्दीव से भारतीय सैन्य मौजूदगी को हटानें और भारत को व्यापार के लियें ज्यादा तरजीह नही दियें जा्ना ही था. ऐसे में साफ था कि अगर उन का दल चुनाव जीत जाता हैं तो,उन की प्रमुखता चीन के प्रति झुकाव की रहेगी ऐसें में भारत के साथ पिछली सरकार की तरह के सकारात्मक रिश्तों को ले कर सवालियॉ निशान ्खड़े हो गये ,सवाल गहरे हैं, भारत विरोधी अपनी पार्टी के एजेंडा और अपने चीन झुकाव के साथ भारत के साथ रिश्तों में सांमजस्य कैसे बना पायेंगे. चीन वहा अपनी नौसेना को तेज़ी से बढ़ा रहा है और वो मालदीव में अपनी पहुंच बढ़ाने के प्रयास करता रहा है. माल्दीव में उस ने भारी निवेश किया है, बड़ी बड़ी परियोजनाओं के जरियें उसे रिण जाल में फंसा रखा हैं. भारत हमेशा से मालदीव में चीन के प्रभाव को सीमित करने के प्रयास करता रहा है. दोनों ही देशों का वहा भारी निवेश हैं ऐसी स्थति में नयी सरकार द्वारा वहा तैनात लगभग़ 77 भारतीय तकनीकि सैन्यकर्मियों को वापस ्भेजनें की मॉग करना और भारत के साथ हुयें लगभग 100 सौदों पर पुनृविचार करने का फैसला नयी सरकार के भारत के साथ भावी रिश्तों का स्वरूप की मंशा निश्चित तौर पर सकारात्मक नहीं कही जा सकती , लेकिन हाल में दोनों शीर्ष नेताओं के बीच हुई मुलाकात रिश्तों में एक सकारात्मकता की उम्मीद तो बंधाती हैं . चुनाव नतीजों मे की पार्टी की विजय के बाद इस तरह की आशंकाओं के बीच विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने भी कहा था " नयें प्रशासन के साथ वे सकारात्मक रूप से काम करने को उत्सुक हैं और आपसी रिश्तों को और मजबूत बनने के लियें काम करेंगे. अच्छी खबर यह हैं कि दोनों देश पेचीदा मुद्दों के समाधान को ले कर ऐसे समाधान धूंढ़नें पर विचार विमर्श कर रहे हैं, जिन का क्रियान्वन संभव हैं.
ग़ौरतलब हैं कि चीन के कर्ज के जाल में फंसे माल्दीव में लगभग 77 भारतीय तकनीकि सैन्य कर्मी मौजूद हैं जो कि वहा सेना के साथ माल्दीव के आर्थिक क्षेत्र की निगरानी, समुद्री सीमा की देख रेख के लियें रडार और टोही विमानो की देख रेख के लियें तैनात हैं, साथ ही वहा दो हेलीकॉप्टर माल्दीव राष्ट्रीय सुरक्षा बल को दियें गयें विमान और आपातकालीन स्थतियों में माल्दीव के लोगों के बचाव कार्यों और वहा दवायें पहुंचानें के लियें वहा तैनात हैं.मुइज़्ज़ू ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में गयें केन्द्रीय मंत्री किरेन रिजुजू से ्भारतीय सैनिकों को वह से हटाने की औपचारिक रूप से मॉग की.यह बात कही.,अलबत्ता इस के साथ हीउन के कार्यालय द्वारा जारी बयान में मुइज़्ज़ू ने यह भी माना कि भारत ने मालदीव को जो दो हेलिकॉप्टर दिए थे उन्हें ज़रूरत के अनुसार राहत कार्य में लगाया जा रहा है और कई अभियानों में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही है.
गौर करने लायक बात यह हैं कि मोहम्मद मुइज़्ज़ू को चीन समर्थक माना जाता है. जबकि चुनाव हार चुके निवर्तमान राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह भारत के साथ प्रगाढ़ संबंधों के समर्थक माने जाते हैं, उनके कार्यकाल के दौरान मालदीव के रक्षा, सुरक्षा व आधारभूत क्षेत्र सहित अनेक क्षेत्रों में भारत के साथ रिश्ते खासे मजबूत हुए थे. सोलिह इब्राहिम 2018 से सत्ता में हैं और उन की सरकार की नीति ‘इंडिया फ़र्स्ट’ यानी भारत को प्राथमिकता देने की रही. प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी सोलिह के शपथ ग्रहण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में वहां मौजूद थे.
शपथ ग्रहण समारोह के बाद मुइज़्ज़ू ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की विशेष दूत के रूप में स्टेट काउंसिलर शेन यीचिन से मुलाकात की और चीन और मालदीव के बीच संबंध और अधिक मजबूत करने पर चर्चा की.मुइज़्ज़ू ने मालदीव के सामाजिक-आर्थिक विकास में चीन की भूमिका की तारीफ की और कहा कि शनिवार का दिन दोनों देशों में ऐतिहासिक रिश्तों में नया अध्याय साबित होगा.
मोहम्मद मुइज़्ज़ू का चीन के प्रति झुकाव जगजाहिर है और वे माल्दीव की "स्वतंत्रता की बहाली" की बात करते रहे है, जिस का आशय माल्दीव से भारतीय तकनीकी सैन्य मौजूदगी को हटाने और भारत को व्यापार के लिये ज्यादा तरजीह नही दिए जाने पर जोर देते रहे हैं,ऐसे में वे भारत विरोधी अपनी पार्टी के एजेंडा और अपने चीन झुकाव के साथ भारत के साथ रिश्तों में सामंजस्य कैसे बना पाएंगे. चीन वहा अपनी नौसेना को तेज़ी से बढ़ा रहा है और वो मालदीव में अपनी पहुंच बढ़ाने के प्रयास करता रहा है. भारत हमेशा से मालदीव में चीन के प्रभाव को सीमित करने के प्रयास करता रहा है. दोनों ही देशों का वहा भारी निवेश हैं. इसी बीच मीडिया रिपोर्टों के अनुसार अच्छी खबर यह हैं कि दोनों देश पेचीदा मुद्दों के समाधान को ले कर ऐसे समाधान धूंढ़नें पर विचार विमर्श कर रहे हैं, जिन का क्रियान्वन संभव हैं.
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निश्चय ही हिंद महासागर में मालदीव की स्थति रणनीतिक रूप से बेहद अहम है और भारत का इस क्षेत्र बड़ा समुद्रीय पड़ोसी होने के नाते उस के साथ रिश्तों की बड़ी अहमियत हैं. सवाल यह हैं कि मुइज़्ज़ु सरकार की कार्य शैली कैसी होगी और हिंद महा सागर और द्वीप समूह क्षेत्र पर उस का कैसे और कितना असर पड़ेगा. बहुत अहम सवाल यह हैं कि क्या मुइज़्ज़ू चीन के प्रति झुकाव के बावजूद माल्दीव राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि मानते हुए वहां के विकास में भारत का महत्वपूर्ण योगदान और क्षेत्र में भारत की स्थिति को नजरअंदाज नहीं कर के भारत के साथ माल्दीव के संबंधों मे संतुलन बनाने की नीति अपनाएंगी. हाल के इस घटनाक्रम से उम्मीद तो बंधी हैं कि मुइज़्ज़ू सरकार जमीनी सच्चाई समझेगी और भारत के साथ सकारात्मक सोच के साथ रिश्तों मे संतुलन बनाने की नीति पर चलेगी जिस से न केवल उभयपक्षीय संबंध मजबूत होंगे बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में भी किसी प्रकार की उथल पुथल की बजाय शांति और स्थिरता बनी रहेगी. वी एन आई
माल्दीव - द्विपक्षीय रिश्तों में सकारात्मकता जरूरी
नई दिल्ली, 9 दिसंबर ( शोभना जैन/ वीएनआई) माल्दीव की नयी सरकार के भारत से दूरी रखने की खबरों के बीच हाल ही में दुबई में सम्पन्न संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी और माल्दीव के नव निर्वाचित राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू के बीच मुलाकात और दोनों देशों ्द्वारा रिश्तों को और प्रगाढ बनानें के लिये एक कोर ग्रुप बनाये जाने के फैसलें के बाद दोनों देशों के बीच दूरियों को ले कर उठे सवालों की पृष्ठ भूमि में एक नया सवाल पूछा जा रहा हैं कि माल्दीव की नयी सरकार का वहा तैनात भारतीय तकनीकि सैन्य विशेषज्ञ वहा से हटायें जानें की मॉग को ले कर रूख क्या कुछ ढीला पड़ गया हैं.?
अगर कुछ ही दिन पहले की बात करें तो सत्ता संभालतें ही राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू ने भारत से वहा तैनात भारतीय तकनीकि सैन्य कर्मियों को वापस बुलानें के पीछें विदेशी मामलों में उस की स्वायतता बनायें रखने की दलील भलें ही दी हो, यह बात स्पष्ट हैं कि माल्दीव की नयी सरकार का यह कदम हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के ब ढतें प्रभाव को दर्शाती हैं जिस के बड़ें भूराजनैतिक मायनें हैं.रणनीति की दृष्टि से अहम मालदीव के राष्ट्रपति चुनाव में चीन की समर्थक माने जाने वाली "प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ माल्दीव" के मोहम्मद मुइज़्ज़ू की जीत हिंद महासागर क्षेत्र के लियें,खास तौर पर भारत के लियें भी खासी अहम हैं. मुइज़्ज़ू की पार्टी के चुनाव प्रचार अभियान में जिस तरह से "भारत विरोधी" और‘इंडिया आउट’ पर जोर दिया गया और वे माल्दीव की "स्वतंत्रता की बहाली" की बात करते रहे है, जिस का आशय माल्दीव से भारतीय सैन्य मौजूदगी को हटानें और भारत को व्यापार के लियें ज्यादा तरजीह नही दियें जा्ना ही था .ऐसे में साफ था कि अगर उन का दल चुनाव जीत जाता हैं तो,उन की प्रमुखता चीन के प्रति झुकाव की रहेगी ऐसें में भारत के साथ पिछली सरकार की तरह के सकारात्मक रिश्तों को ले कर सवालियॉ निशान ्खड़े हो गये ,सवाल गहरे हैं, भारत विरोधी अपनी पार्टी के एजेंडा और अपने चीन झुकाव के साथ भारत के साथ रिश्तों में सांमजस्य कैसे बना पायेंगे. चीन वहा अपनी नौसेना को तेज़ी से बढ़ा रहा है और वो मालदीव में अपनी पहुंच बढ़ाने के प्रयास करता रहा है. माल्दीव में उस ने भारी निवेश किया है, बड़ी बड़ी परियोजनाओं के जरियें उसे रिण जाल में फंसा रखा हैं. भारत हमेशा से मालदीव में चीन के प्रभाव को सीमित करने के प्रयास करता रहा है. दोनों ही देशों का वहा भारी निवेश हैं ऐसी स्थति में नयी सरकार द्वारा वहा तैनात लगभग़ 77 भारतीय तकनीकि सैन्यकर्मियों को वापस ्भेजनें की मॉग करना और भारत के साथ हुयें लगभग 100 सौदों पर पुनृविचार करने का फैसला नयी सरकार के भारत के साथ भावी रिश्तों का स्वरूप की मंशा निश्चित तौर पर सकारात्मक नहीं कही जा सकती , लेकिन हाल में दोनों शीर्ष नेताओं के बीच हुई मुलाकात रिश्तों में एक सकारात्मकता की उम्मीद तो बंधाती हैं . चुनाव नतीजों मे की पार्टी की विजय के बाद इस तरह की आशंकाओं के बीच विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने भी कहा था " नयें प्रशासन के साथ वे सकारात्मक रूप से काम करने को उत्सुक हैं और आपसी रिश्तों को और मजबूत बनने के लियें काम करेंगे. अच्छी खबर यह हैं कि दोनों देश पेचीदा मुद्दों के समाधान को ले कर ऐसे समाधान धूंढ़नें पर विचार विमर्श कर रहे हैं, जिन का क्रियान्वन संभव हैं.
ग़ौरतलब हैं कि चीन के कर्ज के जाल में फंसे माल्दीव में लगभग 77 भारतीय तकनीकि सैन्य कर्मी मौजूद हैं जो कि वहा सेना के साथ माल्दीव के आर्थिक क्षेत्र की निगरानी, समुद्री सीमा की देख रेख के लियें रडार और टोही विमानो की देख रेख के लियें तैनात हैं, साथ ही वहा दो हेलीकॉप्टर माल्दीव राष्ट्रीय सुरक्षा बल को दियें गयें विमान और आपातकालीन स्थतियों में माल्दीव के लोगों के बचाव कार्यों और वहा दवायें पहुंचानें के लियें वहा तैनात हैं.मुइज़्ज़ू ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में गयें केन्द्रीय मंत्री किरेन रिजुजू से ्भारतीय सैनिकों को वह से हटाने की औपचारिक रूप से मॉग की.यह बात कही.,अलबत्ता इस के साथ हीउन के कार्यालय द्वारा जारी बयान में मुइज़्ज़ू ने यह भी माना कि भारत ने मालदीव को जो दो हेलिकॉप्टर दिए थे उन्हें ज़रूरत के अनुसार राहत कार्य में लगाया जा रहा है और कई अभियानों में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही है.
गौर करने लायक बात यह हैं कि मोहम्मद मुइज़्ज़ू को चीन समर्थक माना जाता है. जबकि चुनाव हार चुके निवर्तमान राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह भारत के साथ प्रगाढ़ संबंधों के समर्थक माने जाते हैं, उनके कार्यकाल के दौरान मालदीव के रक्षा, सुरक्षा व आधारभूत क्षेत्र सहित अनेक क्षेत्रों में भारत के साथ रिश्ते खासे मजबूत हुए थे. सोलिह इब्राहिम 2018 से सत्ता में हैं और उन की सरकार की नीति ‘इंडिया फ़र्स्ट’ यानी भारत को प्राथमिकता देने की रही. प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी सोलिह के शपथ ग्रहण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में वहां मौजूद थे.
शपथ ग्रहण समारोह के बाद मुइज़्ज़ू ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की विशेष दूत के रूप में स्टेट काउंसिलर शेन यीचिन से मुलाकात की और चीन और मालदीव के बीच संबंध और अधिक मजबूत करने पर चर्चा की.मुइज़्ज़ू ने मालदीव के सामाजिक-आर्थिक विकास में चीन की भूमिका की तारीफ की और कहा कि शनिवार का दिन दोनों देशों में ऐतिहासिक रिश्तों में नया अध्याय साबित होगा.
मोहम्मद मुइज़्ज़ू का चीन के प्रति झुकाव जगजाहिर है और वे माल्दीव की "स्वतंत्रता की बहाली" की बात करते रहे है, जिस का आशय माल्दीव से भारतीय तकनीकी सैन्य मौजूदगी को हटाने और भारत को व्यापार के लिये ज्यादा तरजीह नही दिए जाने पर जोर देते रहे हैं,ऐसे में वे भारत विरोधी अपनी पार्टी के एजेंडा और अपने चीन झुकाव के साथ भारत के साथ रिश्तों में सामंजस्य कैसे बना पाएंगे. चीन वहा अपनी नौसेना को तेज़ी से बढ़ा रहा है और वो मालदीव में अपनी पहुंच बढ़ाने के प्रयास करता रहा है. भारत हमेशा से मालदीव में चीन के प्रभाव को सीमित करने के प्रयास करता रहा है. दोनों ही देशों का वहा भारी निवेश हैं. इसी बीच मीडिया रिपोर्टों के अनुसार अच्छी खबर यह हैं कि दोनों देश पेचीदा मुद्दों के समाधान को ले कर ऐसे समाधान धूंढ़नें पर विचार विमर्श कर रहे हैं, जिन का क्रियान्वन संभव हैं.
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निश्चय ही हिंद महासागर में मालदीव की स्थति रणनीतिक रूप से बेहद अहम है और भारत का इस क्षेत्र बड़ा समुद्रीय पड़ोसी होने के नाते उस के साथ रिश्तों की बड़ी अहमियत हैं. सवाल यह हैं कि मुइज़्ज़ु सरकार की कार्य शैली कैसी होगी और हिंद महा सागर और द्वीप समूह क्षेत्र पर उस का कैसे और कितना असर पड़ेगा. बहुत अहम सवाल यह हैं कि क्या मुइज़्ज़ू चीन के प्रति झुकाव के बावजूद माल्दीव राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि मानते हुए वहां के विकास में भारत का महत्वपूर्ण योगदान और क्षेत्र में भारत की स्थिति को नजरअंदाज नहीं कर के भारत के साथ माल्दीव के संबंधों मे संतुलन बनाने की नीति अपनाएंगी. हाल के इस घटनाक्रम से उम्मीद तो बंधी हैं कि मुइज़्ज़ू सरकार जमीनी सच्चाई समझेगी और भारत के साथ सकारात्मक सोच के साथ रिश्तों मे संतुलन बनाने की नीति पर चलेगी जिस से न केवल उभयपक्षीय संबंध मजबूत होंगे बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में भी किसी प्रकार की उथल पुथल की बजाय शांति और स्थिरता बनी रहेगी. वी एन आई
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