मणिपुर के मुख्यमंत्री इबोबी सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ेंगी इरोम शर्मिला

By Shobhna Jain | Posted on 7th Feb 2017 | VNI स्पेशल
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इंफाल 7 फरवरी (वीएनआई) जानी-मानी मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम चानू शर्मिला अगले महीने होने वाले मणिपुर विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने वाली हैं. वो राज्य के मुख्यमंत्री और कांग्रेस उम्‍मीदवार ओकराम इबोबी सिंह के खिलाफ थोबल विधानसभा सीट से मैदान में उतरेंगी. इरोम की पार्टी 'प्रजा' (PRAJA) या पीपुल्‍स रिसर्जेंस एंड जस्टिस अलायंस (पीआरजेए) के ्समन्वयक एरेंड्रो लीचनबाम ने बतया कि शर्मिला थोबाल सीट से चुनाव लड़ेंगी. सशस्त्र बल विषेश अधिकार कानान या ऑर्म्‍ड फोर्सेस स्‍पेशल पावर्स एक्‍ट (अफस्‍पा) के विरोध के लिए जानी जाने वाली शर्मिला राजनैतिक रूप से नयी हैं ओकराम इबोबी सिंह के नेतृत्‍व में कांग्रेस राज्य में लगातार तीन बार से सत्ता में है. वो थुबल विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित होते आ रहे हैं. कांग्रेस ने मणिपुर विधानसभा चुनाव के लिए 60 उम्‍मीदवारों की अपनी सूची जारी की थी. जिसमें मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी का नाम थोबाल सीट से शामिल था. गौरतलब है कि अगस्‍त 2016 में 44 वर्षीय लौह महिला शर्मिला ने 16 साल तक चला अपना आमरण अनशन समाप्त किया था. पूरी दुनिया में ऐसा अभियान चलाने वाली वह इकलौती शख्सियत हैं. भूख हड़ताल खत्म करने के मौके पर उन्होंने मुख्‍यमंत्री बनने की इच्छा जताई थी. उन्होंने कहा था कि ्वो अफस्पा निरस्त करने के मकसद से मुख्यमंत्री बनना चाहती हैं। अक्‍टूबर 2016 में अपनी पार्टी पीआरजीए को लॉन्‍च करते हुए शर्मिला ने कहा था कि उनकी पार्टी न्याय, समझदारी, प्रेम और शांति के मूल सिद्धांतों पर आधारित होगी, वह दो सीटों- थोबाल और खुराई से चुनाव लड़ेंगी. वह खुराई से संबंध रखती हैं जबकि थोबाल मुख्‍यमंत्री का विधानसभा क्षेत्र है. लीचनबाम के अनुसार पार्टी ने पहले से ही थोबाल में शर्मिला के लिए प्रचार शुरू कर दिया है. हालांकि खुराई सीट से उनके चुनाव लड़ने पर अभी तक कुछ कहा नहीं गया है. पीआरजीए को निर्वाचन आयोग से ‘सीटी’ चुनाव चिन्‍ह मिला है. लीचनबाम ने कहा कि 4 और 8 मार्च को होने वाले मणिपुर विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी कुल 10 उम्‍मीदवार मैदान में उतारेगी. पड़ोसी राज्य नागालैंड की सत्ता पर काबिज नागा पीपुल्‍स फ्रंट ने भी मणिपुर विधानसभा चुनावों के लिए 15 उम्‍मीदवारों के नामों की घोषणा की है. गौरतलब है कि भूख हड़ताल समाप्त करने के बाद शर्मिला ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की थी. विधानसभा चुनाव लड़ने की रणनीति तय करने के बारे में सलाह लेने के लिए शर्मिला ने पीएम मोदी से भी मिलने की इच्छा जताई थी. इरोम शर्मिला ने नवंबर, 2000 में सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (आर्म्ड फोर्सेज़ स्पेशल पॉवर्स एक्ट - अफस्पा - AFSPA) के विरुद्ध अनशन शुरू किया था। इस एक्ट के तहत सेना को मणिपुर में अतिरिक्त शक्तियां मिली हुई हैं. दरअसल, इरोम शर्मिला के अनशन शुरू करने से 10 दिन पहले ही कथित रूप से असम राइफल्स के सैनिकों ने 10 लोगों को गोलियों से मार डाला था, जिनमें दो बच्चे भी शामिल थे. इसके बाद अफस्पा हटाए जाने की मांग को लेकर उनका अनशन लगातार 16 साल तक जारी रहा, जिसे उन्होंने गत वर्ष 9 अगस्त को खत्म किया.

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