नयी दिल्ली/सोल,27 जून (शोभनाजैन/वीएनआई) एन एस जी की सदस्यता हासिल करने मे तीन पूर्व मिली निराशा के बाद आज भारत को बड़ी कूटनीतिक व सामरिक सफलत्त मिली. भारत आज मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था विशिष्ट समूह का (एमटीसीआर) का पूर्ण सदस्य बन गया. तीन दिन पहले चीन और कुछ अन्य देशों के कड़े विरोध के कारण भारत एनएसजी की सदस्यता हासिल करने से वंचित रह गया था. चीन एमटीसीआर का सदस्य नही है.वर्ष 2002 मे इस 34 सदस्यीय समूह ने उसकी सदस्यता का आवेदन नामंजूर कर दिया था क्योंकि उस पर चोरी छिपे पाकिस्तान और उत्तर कोरिया जैसे देशो को मिसायल् प्रद्योगिकी देने की शिकायते थे. हालांकि शुरूआत मे इटली भी भारत को एमटीसीआर का सदस्य बनाये जाने का विरोध कर रहा था लेकिन केरल तट के निकट दो भारतीय मछुआरों की हत्या के आरोपी दो इतालवी मरीनों को अपने मुल्क वापस लौटने की अनुमति देने के बाद इटली ने अपने विरोध के स्वर को नरम कर लिया और इस बार इटली ने भारत का विरोध नही किया. एमटीसीआर में भारत की सदस्यता किसी भी बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्था में भारत का पहला प्रवेश है.वह इस समूह का ३५ वां देश है.एमटीसीआर की सदस्यता से भारत उच्चस्तरीय मिसाइल प्रौद्योगिकी की खरीद करने में सक्षम होगा.
इस संबंध में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरुप ने कहा था कि हमने पिछले साल एमटीसीआर की सदस्यता के लिए आवेदन किया था और सारी प्रक्रियात्मक औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं. आज विदेश सचिव एस जयशंकर फ्रांस, नीदरलैंड और लक्जमबर्ग के राजदूतों की मौजूदगी में एमटीसीआर में शामिल होने के दस्तावेज पर हस्ताक्षरझो गये . उल्लेखनीय है कि चीन जिसने हाल में संपन्न 48 सदस्यीय परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की पूर्ण सत्र की बैठक में भारत के प्रवेश की राह में अड़चन डाली
भारत का असैन्य परमाणु करार अमेरिका के साथ है इसलिए वह एनएसजी, एमटीसीआर, ऑस्ट्रेलिया समूह और वेसेनार अरेंजमेंट जैसे निर्यात नियंत्रण व्यवस्था में शामिल होने का प्रयास कर रहा है. ये समूह पारंपरिक, परमाणु, जैविक और रासायनिक हथियारों और प्रौद्योगिकी का नियमन करते हैं.वी एन आई
एमटीसीआर में प्रवेश के भारत के प्रयासों को तब प्रोत्साहन मिला जब उसने इस महीने की शुरूआत में हेग आचार संहिता का हिस्सा बनने पर सहमति जताई. हेग आचार संहिता बैलिस्टिक मिसाइल की अप्रसार व्यवस्था से संबंधित है.वी एन आई