नई दिल्ली, 24 मई, (शोभना जैन/वीएनआई) चीन के भारी प्रभाव में विश्व स्वास्थय संगठन ड्ब्ल्युएचओं द्वारा भयावह कोरोना महामारी से "अप्रभावी" ढंग से निबटने को ले कर उठे सवालों से बचने के लिये की गई तमाम पैंतरेंबाजी और ना नुकर के बावजूद आखिरकार ड्ब्ल्युएचओं असेंबली को सदस्य देशों के दबाव के आगे झुकना पड़ा और कोरोना महामारी को समय रहते अंकुश लगानें,रोकने में डब्ल्यूएचओ अपनी भूमिका को ले कर आखिरकार स्वतंत्र, निष्पक्ष जांच के लिए राजी होना पड़ा है.निश्चय ही चीन और ड्ब्ल्युएचओं को जिस तरह से 130 देशों के दबाव के चलते जॉच के इस सर्व सम्मत प्रस्ताव को मानना पड़ा, वह कोरोना की शुरूआती सूचनायें दुनिया भर से छिपाने के आरोपों को ले कर अलग थलग पड़ते जा रहें न/न केवल चीनके लियें अच्छी खबर नहीं है और न/न ही ड्ब्ल्युएचओं की साख के लियें. दुनिया भर के देशों के एक जुट होने के चलतें चीन तक को भी आखिर में प्रस्ताव का सह प्रस्तावक बनना पड़ा.
चीन के प्रभाव में इस महामारी के दुनिया भर को देर से सूचित करने और इस से निबटनें में विश्व समुदाय के प्रति अपनी भूमिका निहायत लचर तरीकें से निभानें को ले कर लगातर सवालों से घिरें, विशेष तौर पर इस मुद्दें पर अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कोप भाजन बने ड्ब्ल्युएचओं को अन्ततः भारत सहित दुनिया के करीब 130 देशों ्द्वारा कोरोना वायरस की उत्पत्ति और कोरोना वायरस के प्रसार पर वैश्विक प्रतिक्रिया का आकलन करने के लिए ‘‘निष्पक्ष, स्वतंत्रत एवं विस्तृत’’ जांच करवाने ्के लियें पारित महत्वपूर्ण प्रस्ताव स्वीकार करना पड़ा,जिस से यह पता लगाया जा सके कि चीन के वुहान नगर से "आया" कोरो्ना वायरस आखिर आया कैसे, दुनिया भर में मौत का तांडव मचाने वाले,अर्थ व्यवस्था को चौपट कर देने वाले इस वायरस से निबटने, इस के बारे में दुनिया को समय रहतें आगाह की डब्ल्यूएचओ की भूमिका की जांच/ समीक्षा की जा सकें.
प्रस्ताव में प्रावधान है कि महामारी से निबटने वाली प्रणाली का आकलन किया जाएगा, साथ ही जॉच के दायरें में वायरस की ‘‘जानवरों से इसकी उत्पत्ति’’ का पता लगाया जाएगा और यह पता लगाने के लिए वैज्ञानिक और सहयोगी क्षेत्रीय जांच की मांग की गई है ताकि भवि्ष्य में ऐसी स्थति से प्रभावी तरह से निबटा जा सकें.महामारी की भयावहता के मद्देनजर आस्ट्रेलिया और 27 देशों के संगठन योरोपीय यूनियन द्वारा रखे गये इस आशय के प्रस्ताव का भारत सहित लगभग ६० देश सह प्रस्तावक बने.भारत के लियें इस बीमारी से निबटनें की त्रासदी के अलावा एक बेहद अहम बात यह हैं कि अगले एक साल तक के लियें भारत की भूमिका विश्व स्वास्थय संगठन मे खास तौर पर भूमिका अहम होने जा रही हैं. कोरोना संकट के ऐसे नाजुक दौर में भारत ने कल ही इस विश्व स्वास्थय संस्था के कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष पद का कार्य भार संभाला हैं, जब कि सब की निगा्हें विश्व स्वास्थय संगठन की भूमिका को ले कर चिंताओं से भरी हैं, सवालों के घेरे में हैं.अमरीका और चीन के बीच तो ड्ब्ल्युएचओं तीखे आक्रोश का मंच बन गया हैं.इस अहम बोर्ड का काम ड्ब्ल्युएचओं की असेंबली के फैसलों और नीतियों को प्रभावी रूप देना होता हैं, इस के काम काज को प्रभावी बनाने के लिये सलाह देना होता हैं.भारत के स्वास्थय मंत्री के नातें, स्वास्थय मंत्री डॉ हर्षवर्धन अगले एक वर्ष के लिये बोर्ड के अध्यक्ष नामित किये गये हैं और यहीं वक्त हैं जब कि ड्ब्ल्युएचओं कोरोना से निबटनें में अपनी भूमिका की जॉच करेगा.
निश्चय ही न/न केवल भारत के लियें बल्कि इस दौर में यह जिम्मेवारी बहुत अहम होगी.सरकारी सूत्रों के अनुसार अपनी इस नई जिम्मेवारी में भारत इस तरह की चुनौतियों से निबटनें में बहुमंचीय फ्रेमवर्क को मजबूत बनायें जानें के साथ ही आपदाओं से निबटनें में नये नियम तथा नीतियॉ बनाये जाने पर जोर देगा. निश्चित तौर पर वह ऐसी स्वास्थय प्रणाली तथा संसाधनों पर ध्यान दिये जाने पर बल देगा जो कि अधिक जन केन्द्रित है,जिस का लाभ ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच सकें, जो सस्तें हैं, जिन्हें आसानी से अपनाया जा सकता हैं तथा दुनिया भर में हर देश इसे अपने यहा लागू कर सकें.बहरहाल यह यात्रा अभी शुरू ही हुई हैं, दौर चुनौती भरा है, और भारत की राय अहम होगी...
दरासल चीन द्वारा आस्ट्रेलिया के खिलाफ व्यापारिक प्रतिबंध लागू किये जाने की खुली धमकी के बावजूद आस्ट्रेलिया ने २७ देशों के योरोपीय यूनियन के साथ मिल कर कोरोना से निबटनें में विश्व स्वास्थय ईकाई की भूमिका तथा अन्य सम्बद्ध पहलुओं की जॉच/ समीक्षा करने का यह चर्चित प्रस्ताव रखा था,बाद भारत भी इस का सह प्रस्तावक बना और कुल मिला कर १३० देशों ने इस प्रस्ताव को सर्व सम्मति से पारित किया.भारत में आस्ट्रेलिया के मनोनीत उच्चायुक्त बेरी ओ'फरेल ने भी कोविड -१९ की निष्पक्ष, स्वतंत्र और व्यापक समीक्षा के लिये विश्व स्वास्थय संगठन असेंबली द्वारा पारित इस ऐतिहासिक प्रस्ताव का स्वागत किया हैं.उन्होंने कहा कि आस्ट्रेलिया का इस मामलें में बहुत स्पष्ट दृष्टिकोण हैं कि इस मामलें की "निष्पक्ष, स्वतंत्र और व्यापक समीक्षा हो और वह सहर्ष ही भारत सहित योरोपीय यूनियन नीत १३० देशों के इस आशय के प्रस्ताव से जुड़ा.इस प्रस्ताव में 'जल्द से जल्द उचित समय" पर कोविड-१९ की समीक्षा करने का आहवान किया गया हैं ताकि विश्व स्वास्थय संगठन द्वारा इस बारे में उठाये गयें कदमों की समीक्षा की जा सकें , उन से सबक लिया जा सकें.
भारत के इस विश्व स्वास्थय संगठन के कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष बनने पर उच्चायुक्त ने कहा कि भारत की ही तरह आस्ट्रेलिया ड्बल्युएचओ का मित्र और समर्थक हैं,वह भारत के इस दायित्व को ले कर निश्चय ही उत्सुक हैं. दोनों ही इस विश्व संस्था को वित्तीय सहायता देते रहे हैं उन्होंने कहा कि आस्ट्रेलिया का मत हैं कि यह उचित ही हैं कि इस वैश्विक महामारी के मद्देनजर इस बात पर गौर कि्या जाना चाहियें कि अगली महामारी/आपदा की स्थति में दुनिया उस से बेहतर ढंग से रोकने और निबटने के लिये कैसे तैयार की जा सकती हैं और इस काम के लिये संगठन सही मंच हैं और इसे उस का हिस्सा होना ही चाहियें.
दुनिया भर में वैश्विक महा मारी की चपेट में आने वालों की संख्या तेजी से बढ रही हैं, यह लेख लिखे जाने तक दुनि्य़ा भर में लगभग 50,९१,०००से अधिक लोग इस से ग्रसित हो चुके थे, 3,३०,००० काल कवलित हो चुके हैं जब कि राहत की बात यह हैं कि 2,२६,००० इस से ठीक भी हो चुके हैं.भारत की बात करें तो भारत दुनिया के उन ११ देशों में हैं ज्ज्जहा कोरोना मौतों का ऑकड़ा एक लाख को भी पार कर चुका हैं,भारत में यह संख्या तेजी से बढ रही हैं,हालांकि भारत में कोरोना से ठीक होने वालों की संख्या अब बढ कर ४० प्रतिशत हो गई हैं, जो राहत की बात हैं. बहरहाल सवाल यह हैं कि ड्बल्युएचओ द्वा की जाने वाली जॉच कैसी होगी, कब शुरू होगी ? इस का दायरा क्या होगा. और एक सवाल यह भी हैं कि क्या जॉच पूरी तरह से हो पायेगीं. सवाल बहुत हैं, जिन का जबाव आना बाकी हैं, हालांकि जॉच के दायरें में वुहान की जानकारी दुनिया भर से शुरूआत में छुपाने के आरोपों के मद्देंनजर चीन को दंडित करने का कोई प्रस्ताव इस में नही हैं. चीन के राष्ट्रपति शी जिन पिंग जो कोरोना वायरस की उत्पत्ति या इस से निबटने को ले कर जॉच नही होने देने के सख्त खिलाफ थे और चीन के प्रभाव में ड्बल्युएचओ इस जॉच को टालने की जुगत लगातार करता रहा हैं, आखिरकार जॉच करवानी ही पड़ी. वैसे प्रस्ताव में चीन के नाम का उल्लेख नहीं है. जिसके वुहान शहर से पिछले साल दिसंबर के अंत में यह महामारी पहली बार सामने आई थी और उसके बाद दुनिया के करीब दो सौ देशों में फैल गई.
गौरतलब हैं कि इस सप्ताह डब्ल्यूएचओ की निर्णय लेने वाली संस्था असेंबली की दो दिवसीय 73वीं बैठक में डब्ल्यूएचओ प्रमुख टेड्रोस एधनोम घेब्रेयेसस ने कहा कि वह कोविड-19 से निपटने में संगठन की भूमिका की जल्द से जल्द से स्वतंत्र जांच शुरू करेंगे. इस महामारी को लेकर डब्लूएचओ की भूमिका की जांच करने वाली पर्यवेक्षी सलाहकार निकाय की पहली रिपोर्ट सोमवार को प्रकाशित हुई. रिपोर्ट में सवाल उठाया गया कि क्या डब्ल्यूएचओ ने दुनिया को कोविड-19 के प्रकोपों के प्रति सही समय पर सचेत किया था और क्या सदस्य देशों को यात्रा सलाह प्रदान करने में डब्ल्यूएचओ की भूमिका का आकलन करने की आवश्यकता है. घेब्रेयेसस ने कहा कि जितनी जल्दी संभव होगा कोरोना वायरस को लेकर वैश्विक संगठन की भूमिका की स्वतंत्र जांच शुरू की जाएगी और चीन भी उसका समर्थन करेगा. उन्होंने कहा कि सभी देशों और संगठनों को इस महामारी से सबक मिला है और सभी को अपनी-अपनी भूमिका की समीक्षा करनी चाहिए.उन का कहना था कि डब्ल्यूएचओ भी जवाबदेही और पारदर्शिता को लेकर प्रतिबद्ध है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप लगातार इस मामले को ले कर चीन को निशाना बनाते रहे हैं. उनका कहना है कि अगर चीन ने शुरू में ही प्रभावी कदम उठाए होते, दुनिया को समय रहते सूचित किया होता तो आज यह महामारी इस कदर दुनिया भर में कोहराम नहीं मचा रही होती. ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को "चीन की कठपुतली" बताते हुए उसकी भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए और इस विश्व संस्था को अमेरिका से मिलने वाली फंडिंग फिलहाल न/न केवल रोक दी बल्कि अन्ततः हमेशा के लिए बंद करने की धमकी भी दी है. वे मांग करते रहे हैं कि विश्व संस्था जॉच करें कि चीन के वुहान शहर में यह वायरस कैसे पैदा हुआ और उसके बाद चीन ने उसे रोकने के लिए क्या कार्रवाई की.्खबरों के अनुसार राष्ट्रपति ट्रंप का कहना है कि अगर डब्ल्यूएचओ ने 30 दिन के भीतर अपनी कार्य प्रणाली में सुधार नहीं किया तो अमेरिका अपने आपको इससे अलग कर लेगा. उनका कहना है कि यह संस्था खुद को "चीन के प्रभाव से स्वतंत्र" दिखाने में नाकाम साबित हुई है.नब्बे, हजार से ज्यादा मौतों के साथ अमेरिका कोरोना से सबसे ज्यादा ग्रसित देश है.वैसे ट्रंप के आलोचक इस स्थिति के लिए शुरू में उनके ढीले रवैये को जिम्मेदार बताते हैं, वहीं ट्रंप आपदाओं में हर जगह के राजनैतिक नेतृत्व की तरह इस पूरे संकट के लिए चीन और डब्ल्यूएचओ पर उंगली उठाते रहे हैं.वैसे डब्ल्यूएचओं की बैठक में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने इन आरोपों को भी खारिज किया कि उनके देश ने इस बीमारी को गोपनीय रखा और उससे जुड़ी जानकारी दुनिया से छिपाई. उन्होने कहा कि चीन ने इस महामारी से संबंधित सभी जानकारी समय पर डब्ल्यूएचओ और अन्य देशों को दी थी. हमने बिना किसी भेदभाव के दुनिया के देशों के साथ इस महामारी को रोकने और उसके उपचार से संबंधित जानकारी भी साझा की.
वैसे डब्ल्यूएचए बैठक में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतेरस ने कहा कि महामारी से प्रभावित देशों को मदद पहुंचाने के लिए इसके संसाधनों को बढ़ाने की जरूरत है उन्होंने यह भी कहा कि कई देशों ने कोविड-19 पर डब्ल्यूएचओ के सुझावों पर ध्यान नहीं दिया और एक-दूसरे के विरोधी कदम उठाए, जिसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी.मसौदे का समर्थन करने वालों में भारत के साथ बांग्लादेश, भूटान, रूस, सऊदी अरब, तुर्की, ब्रिटेन, जापान समेत 120 देश शामिल हैं ,लेकिन आश्चर्यजनक ढंग से इसमें अमेरिका का नाम शामिल नहीं है, जो लगातार कोरोना वायरस के प्रसार को लेकर चीन और डब्ल्यूएचओ को जिम्मेदार ठहराता रहा है. इसके अलावा अमेरिका ताइवान को भी डब्ल्यूएचओ में शामिल करने पर जोर दे रहा है, जिसका चीन विरोध करता है, लेकिन शुरूआती जोर शोर के बावजूद अमरीका सहित किसी बड़े देश ने भी ताइवान को इस विश्व ईकाई में प्रेक्षक के रूप में शामिल करने की बात नहीं उठाई हालांकि ताईवान का कोरोना से निबटने में बहुत अच्छा रिकोर्ड माना जा रहा हैं.
बैठक में भारत की तरफ से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा, 'मुझे लगता है हमने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है. हमने अच्छा किया है.' डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि हमने कोविड-19 महामारी को बहुत गंभीरता से लिया है. राजनीतिक नेतृत्व के स्तर पर हमने महामारी से लड़ने में पूरी प्रतिबद्धता दिखाई है. उन्होंने कहा कि देश में आने वाले लोगों पर निगरानी रखने के साथ ही भारत ने सही समय पर सभी जरूरी कदम उठाए. सही समय पर विदेश में फंसे लोगों को निकाला गया, स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर किया गया, आने वाले महीनों में हम और बेहतर करेंगे.
बहरहाल, सदस्य देशों के लिये इस रिपोर्ट को मानना अनिवार्य नही हैं लेकिन फिर भी इंतजार इस बात का रहेगा कि क्या रिपोर्ट साफगोई से कारणों और स्थति की समीक्षा की करेगी या फिर धुरी में चीन जैसे शक्तिशाली राष्ट्र के होने की वजह से संतुलन बिठाने का रास्त निकाला जायेगा, क्या ऐसी नीति बन पायेगी जिस से भविष्य में ऐसी आपदाओं से प्रभावी ढंग से निबटा जा सके और ड्ब्ल्युएचओं अपनी भूमिका सही मायनें में प्रभावी तरह से निभा सकें.इंतजार रहेगा...समाप्त
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