नई दिल्ली, 5 अक्टूबर (शोभनाजैन/वीएनआई) बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की मौजूदा भारत यात्रा को जहा दोनो पड़ोसी देशों के बीच बढती आपसी समझ बूझ और दोस्ती के एक और बढते कदम के रूप में देखा जा रहा है, वही दोनों देशों के बीच प्रगाढ उभयपक्षीय रिश्तों के साथ साथ कुछ संवेदनशील पेचीदा मुद्दें भी हैं, जिन्हें दोनो देश मिल कर आपसी भरोसे से मिल कर हल करने का प्रयास कर रहे हैं. उम्मीद जताई जा रही हैं कि दोनों देशों के बीच इस दौरान विचार विमर्श से उभयपक्षीय संबंधों को गति मिलने के साथ ही दोनों देशों के बीच राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर एन आर सी को लेकर ्संबंधों में उपजे संशय को दूर करने, बंगलादेशियों की अवैध घुसपैंंठ जैसे मुद्दों को ले कर आपसी चिंताओं और सरोकार को ले कर आपसी समझ बूझ बढ सकेगी और ऐसे मुद्दों का सर्व मान्य मानवीय समाधान निकालने की दिशा में सकारात्मक प्रगति हो सकेगी.हालांकि पेंच वाले एक अन्य मुद्दे, तीस्ता जल विवाद जैसे चर्चित या यूं कहें विवादास्पद जैसे मुद्दें पर तो फिलहाल यही लगता हैं कि इस यात्रा में बात कुछ खास बनती नजर नही आती.
वैसे तो श्रीमति हसीना द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने और आर्थिक एवं आपसी संपर्क को मजबूत करने के एजेंडे के साथ भारत यात्रा पर हैं लेकिन इस दौरें में एन आर सी ,बंगला देश घुसपैंठियों की समस्या के मानवीय हल का समाधान खोजने की दिशा में लगी 'साईलेंट डिप्लोमेसी' को आगे बढाते हुए शिखर नेताओं के बीच अहम चर्चा होने की संभावना हैं .इस दौरे की खास बात यह हैं कि बांग्लादेश और भारत में संसदीय चुनाव होने के बाद हसीना बेगम की यह पहली भारत यात्रा है.ऐसे दौर में जब कि दोनों देशों के बीच् राजनैतिक,आर्थिक, सुरक्षा संबंधी मुद्दे, राजनयिक स्तर पर बेहतरीन दौर में है. वैसे भी पीएम नरेंद्र मोदी के पहले शासनकाल के दौरान ही बांग्लादेश और भारत के बीच लंबित ज़मीन के मुद्दे को हल किया गया था जिसके तहत ज़मीन का आदान-प्रदान भी हुआ. अब इस दौरे पर खास निगाहें हैं, देखना होगा कि इन पेचीदा मुद्दों पर बात कैसे आगे बढती हैं.दिलचस्प बात यह हैं कि पिछले कुछ समय से पाकिस्तान और बंगलादेश के बीच बढती दूरियों को नजरदांज करते हुए पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान ने हसीना बेगम की भारत यात्रा के चंद घंटों पहले उन्हें फोन कर उन की कुशल क्षेम पूछी. स्वाभाविक था कि इस खैरियत के समय को ले कर सवालिया निशान उठते.कश्मीर मुद्दे को लेकर खान जिस तरह से भारत विरोधी अभियान चला रहे हैं. इसी क्रम में वह दुनियाभर के मुस्लिम नेताओं से फोन पर बात कर कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के पक्ष में समर्थन जुटाने का प्रयास कर रहे हैं.
बंगलादेश का कहना हैं कि १९७१ के बंगलादेश स्वतंत्रता युद्ध के दौरान कोई प्रवासी बंगलादेशी भारत में अवैध रूप से नही घुसा. बंगलादेश भारत के इस पक्ष से भी बराबर सहमति जताता रहा रहा हैं कि असम में अवैध प्रवासियों का मामला भारत का आंतरिक मामला हैं. लेकिन भारत में राजनैतिक तूल पकड़ने के साथ ही यह मुद्दा भारत बंगलादेश के रिश्तों के बीच भी चिंता वाला भी मुद्दा हैं .इस रजिस्टर के अंतिम मसौदे में असम में १९ लाख लोग अवैध प्रवासी माने गये हैं.एक तरफ जहा भारत और बांग्लादेश की सीमा पर कंटीले तारों को लगाने का काम जारी है. उधर असम में एनआरसी की प्रक्रिया के बाद बांग्लादेश को लगता है कि उसके पास और शरणार्थियों को रखने की क्षमता नहीं है.अगर भारत से भी लोगों को एनआरसी की प्रक्रिया के बाद बांग्लादेश भेजा जाता है तो रोहिंग्या शरणार्थियों से जूझ रहे बांग्लादेश के लिए ये भी बड़ी चुनौती होगी. ऐसे में लगता हैं कि श्री मति हसीना फिर से इस बारे मे भारत से नये सिरे से आशवासन लेना चाहेगी. गौरतलब हैं कि वर्ष 2014 में भारतीय जनता पार्टी ने अवै्ध घुसपैंढियों को चुनावी मुद्दा बनाया था. फिर ये मुद्दा दोबारा इस साल आम चुनावों में भी उठाया गया.
वर्ष 2017 के बाद से लगभग सात लाख रोहंग्या शरणार्थी म्यांमार से भाग कर बंगलादेश मे शरणागत हैं. बंगलादेश का प्रयास हैं कि ये शरणार्थी अपने देश म्यांमार में लौट जाये और अंतर राष्ट्रीय समुदाय इन की वापसी सुनिश्चित करने केलिये प्रयास करे. बंगलादेश भारत से इन शरणार्थियों की वापसी सुनिश्चि्त करने के प्रयासों में समर्थन जुटाने में साथ देने का आग्रह कर रहा हैं, वैसे दिलचस्प बात यह हैं कि वापसी के मध्य्स्थता प्रयासों मे चीन अपनी चौधराहट खासी सक्रियता से दिखा रहा हैं. वी एन आई
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