गलियारे में जरा संभल के चलना होगा

By Shobhna Jain | Posted on 30th Nov 2018 | VNI स्पेशल
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नई दिल्ली, 30 नवंबर, (शोभना जैन/वीएनआई) पाकिस्तान द्वारा लगातार संघर्ष विराम का उल्लंघन करने और भारत पाकिस्तान रिश्तों के ठंडेपन के  बीच अंतर राष्ट्रीय सीमा पर, पाक स्थित सिख श्रद्धालुओं के पवित्र आस्था स्थल दरबार साहिब करतारपुर तक पहुंचने के लिये दोनो देशों द्वारा कॉरीडॉर बनाने के फैसले  को जहा विश्वास बहाली का एक अहम कदम मान कर इस का स्वागत किया जा रहा था तभी पाकिस्तान ने आनन फानन मे  इस फैसले के पीछे छिपे अपने "हिडन एजेंडा" को उजागर कर के एक बार फिर संबंधों को तल्खियों  और अविश्वास के उ्सी  मुकाम पर पहुंचा दिया जो  पाकिस्तान अब तक भारत के  विश्वास बहाली के तमाम सकारात्मक कदमों के बदले  उठाता रहा है.दरअसल दो दशक तक  कॉरीडोर बनाने के भारत के प्रस्ताव पर नकारात्मक रूख अपनाने के बाद इस बार  पाकिस्तान ने भारत के इस प्रस्ताव को आखिरकार मान  तो लिया , जिस के तहत  भारत के पंजाब प्रांत के डेरा नानक और पाकिस्तान के दरबार साहिब करतारपुर गुरूद्वारे के बीच वीजा मुक्त गलियारा बनाया जायेगा, सिख श्रद्धालुओं के लिये यह निश्चित तौर पर एक "अच्छी,  उम्मीद' भरी खबर है लेकिन इस कदम की आड़ में पाकिस्तान का जो "हिडन एजेंडा" है उस के चलते इस गलियारें मे  काफी संभल संभल कर चलना होगा.

दरअसल भारत की तरफ से अपनी सीमा मे गलियारे बनाने के काम का शिलान्यास होने के बाद पाकिस्तान की तरफ से शिलान्यास की रस्म  अभी  पूरी भी नही हुई थी और इस मौके पर भारत से गुरूद्वारे मे दर्शनार्थ पहुंचे श्रद्धालु अभी अरदास कर ही रहे थे, गुरूद्वारे मे शबद कीर्तन चल ही रहा   था तभी पाकिस्तान ने वही पुरानी पैतरेबाजी,साजिश  शुरू कर दी जैसा कि वह करता आया है. तत्कालीन प्रधान मंत्री वाजपेई  की लाहोर बस यात्रा के बाद कारगिल , भारत की संसद भवन पर आतंकी हमला, पठानकोट और उड़ी   जैसी और भी अनेक पाक आतंकी   घटनाओं जैसा ही इस बार भी वही घट गया जिस का अंदेशा जताया जा रहा था.पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान ने न/न केवल धार्मिक आस्था से जुड़े इस समारोह में कश्मीर का मुद्दा फिर से उछाल दिया बल्कि इस समारोह में पाक आतंकी हाफिज सईद के खास साथी खालिस्तानी समर्थक गोपाल चावला न/न की मौजूदगी और इमरान खान और पाक सेनाध्यक्ष कमर बाजवा के साथ अग्रिम पंक्ति मे घुल मिल कर बाते करना हकीकत बयान कर गया . वैसे भी आस्था से जुड़े इस समारोह में पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष कमर बाजवा की मौजूदगी ने साफ तौर पर संकेत दे दिया कि  पाक सेना की बैसाखी के सहारे चल रही इमरान सरकार और सेना का करतारपुर के पीछे पाक एजेंडा क्या है या यूं कहे कि सिविलियन सरकार  और सेना के बीच कोई फर्क नही रखने वाली पाक सरकार करतारपुर साहिब को न/न  भारत के खिलाफ एक मोहरे के रूप में इस्तेमाल करने की चाल चल रहे है, बल्कि उस के पीछे उस का खालिस्तानी समर्थको को प्रश्रय देने का एजेंडा भी साफ  है, यही नही मौके का फायदा उठा कर  पाकिस्तान ने  अंतरराष्ट्रीय जगत में अपनी छवि सुधारने की साजिश बतौर पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों की वजह से रद्द कर दिये गये दक्षेस शिखर बैठक में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी को  दक्षेस शिखर बैठक मे न्यौतने और  दोनो देशो के बीच १९९५ से ठप्प पड़ी वार्ता भी दोबारा शुरू करने की साजिश से भरी पेशकश भी उछाल दी. पाकिस्तान  के इसी दॉव के जबाव में्विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने   एक बार फिर ्दो टूक शब्दों में साफ कर दिया कि पाकिस्तान जब तक आतंकवाद नहीं रोकेगा, की तब तक भारत किसी भी मुद्दे पर बातचीत नहीं करेगा. स्वराज ने कहा कि करतारपुर कॉरिडोर खुलने से पाकिस्तान के साथ बातचीत शुरू नहीं हो जाएगी, इसके लिए पाकिस्तान को पहले आतंकवाद पर रोक लगानी होगी.भारत  के विदेश मंत्रालय ने इमरान की कश्मीर टिप्पणी पर गहरा विरोध जताते हुए कहा कि यह बहुत खेद की बात है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने करतारपुर कॉरिडोर विकसित करने की सिख समुदाय की अरसे से लंबित मांग को पूरा करने के "पवित्र मौक़े" पर जम्मू-कश्मीर की अवांछित चर्चा की जो भारत का अखंड और अटूट हिस्सा है. पाकिस्तान को याद रखना चाहिए कि वह अपनी अंतरराष्ट्रीय जवाबदेही पूरी करे और अपनी ज़मीन से सीमा पार आतंकवाद को हर तरह का समर्थन और पनाह देने से बचने की भरोसेमंद कार्रवाई करे.

पाकिस्तान ने  यह कदम उठाया ऐसे  वक्त  में जबकि पाकिस्तान में सेना, आईएसआई  जिस तरह से  इमरान सरकार पर हावी है,आतंकवादी ताकतों के हौंसले चरम पर है और वहा की  आर्थिक स्थतियॉ और घरेलू परिस्थियॉ  जिस तरह से जटिल होती जा रही है,उसे  देखते हुए  गलियारे को उम्मीद के  गलियारे के रूप मे देखना तो ठीक लेकिन पाकिस्तान के अगले कदम को ले कर सतर्कता  बरतना जरूरी है, साथ ही पंजाब से जुड़े इस क्षेत्र मे इस के सुरक्षा संबंधी पहलुओं विशेष तौर पर खालिस्तान समर्थको को हवा दिये जाने की साजिश पर विशेष ध्यान देना होगा.ज्यादा पीछे नही जाये तो ्पिछले दिनों ही इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग के राजनयिको को  परेशान करने और उन्हे २१-२२ नवंबर को  मंजूरी दिये जाने के बावजूद गुरूद्वारा ननकाना साहिब और गुरूद्वारा सच्चा सौदा मे भारतीय श्रद्धालुओं  से मिलने देने के अनुमति नही देने और पाक स्थित गुरूद्वारो मे खालिस्तान समर्थक पोस्टर लगने की घटनाये हुई.गौरतलब है कि कुछ माह पूर्व जब ्श्री  सिद्धू  इमरान सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में इमरान खान के बुलावे पर पाकिस्तान की यात्रा पर गए थे, तब सिखों के इन दो धर्मस्थलों के बीच कॉरिडोर खोले जाने का सालों पुराना मामला फिर से चर्चा में आ गया था।सिद्धू ने दावा किया था कि पाक सेनाध्यक्ष कमर बाजवा ने उन्हे यह गलियारा खोलने का संकेत दिया था, उस पर खूब राजनीति भी हुई.एक वरिष्ठ पूर्व राजनयिक के अनुसार दरअसल पाकिस्तान की बदनीयति की आशंका तो तभी उत्पन्न हो गई थी जबकि िइमरान खान की सरकार के बजाय यह पेशकश सैन्य अधिकारी बाजवा ने की. पाकिस्तान के अड़ियल रूख के चलते  अब तक भारतीय  श्रद्धालु  अपने देश की भूमि से ही दूरबीन के जरिये ही इस गुरूद्वारे के दर्शन कर पाते थे. साभार - लोकमत (लेखिका वीएनआई न्यूज़ की प्रधान संपादिका)


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