वाशिंगटन, 12 नवंबर (सुनीलजैन/वीएनआई) अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव की घोषणा के लगभग एक सप्ताह बाद भी जो बाइडन से चुनाव हारने के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हार को स्वीकार नहीं कर रहे हैं, और चुनाव नतीजों को चुनौती देते हुए इस के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने की तैयारी कर रहे हैं.लेकिन एक और गंभीर बात यह हैं कि ट्रंप राष्ट्रपति के सरकारी आवास व्हाईट हाउस को नहीं छोडने पर अड़े हैं, उस से अमरीका में एक अलग तरह का संवैधानिक संकट उत्पन्न हो रहा हैं. निश्चय ही अमरीका के 244 वर्ष के इतिहास में यह पहली बार हैं कि जब ऐसी स्थति बनती लग रही हैं जब कि कोई पूर्व राष्ट्रपति अगर 20 जनवरी के सत्ता हस्तातंरण से पहले व्हाईट हाउस खाली नहीं करने पर अड़ा रहता है, अब यह एक बड़ी चुनौती बनती जा रही हैं कि ऐसी स्थति में क्या किया जायें.वैसे खबरों के अनुसार ्बाइडन ने कहा कि अगर ट्रंप नहीं हटते हैं तो संघीय अधिकारी उन्हें राष्ट्रपति भवन से बाहर ले जा सकते हैं.
अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव का इतिहास देखें तो ऐसा नही हैं कि चुनाव नतीजों की वैधता को ले कर खूब आरोप प्रत्यारोप न/न लगते रहे हैं लेकिन परंपरागत रूप से शपथ ग्रहण की तारीख 20 जनवरी से पहले बात खत्म हो जाती थी और पूर्व राष्ट्रपति व्हाईट हाउस खाली कर देता था और सत्ता हस्तातंरण शांति पूर्ण ढंग से हो जाता था,.वर्ष १९६० रिचर्ड निक्सन और जॉन केनेडी और फिर 2000 में जॉर्ज बुश और अल-गोर के मुकाबलें में ऐसा ही हुआ लेकिन सत्ता हस्तातंरण शांतिपूर्ण ढंग से हो गया।
अपने कार्यकाल के दौरान ट्रंप तीसरे ऐसे राष्ट्रपति रहे हैं जिन पर महाभियोग भी चल चुका है. ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि राष्ट्रपति पद से हटने के बाद ट्रंप को कई मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है. ट्रंप मतगणना में धांधली के आरोप लगातार लगा रहे हैं,जबकि ट्रंप के पास कानूनी रास्ते बहुत कम बचे हैं.अमेरिकी चुनाव में डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बाइडन ने ट्रंप के 214 मतों के मुकाबलें 270 से ज्यादा इलेक्टोरल कॉलेज के वोट जीते हैं इसलिए उन्हें राष्ट्रपति बनने का पूरा अधिकार है.दरअसल अमरीकी संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं हैं कि अगर कोई राष्ट्रपति ऐसे आरोप लगा कर हटने से इंकार कर दे तो क्या हो.
इसी बीच जानकारों का कहना हैं कि ट्रंप के कार्यकाल में हुए कथित घोटालों की जांच से पता चलता है कि उन्हें राष्ट्रपति पद से हटने के बाद आपराधिक कार्यवाही के अलावा मुश्किल वित्तीय हालात का सामना करना पड़ सकता हैं.कुछ का कहना हैं कि राष्ट्रपति पद पर रहते हुए ट्रंप पर आपराधिक मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है लेकिन पद से हटने के बाद उन्हें जेल भी भेजा जा सकता है.न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक डोनाल्ड ट्रंप को भारी वित्तीय घाटे का सामना भी करना पड़ सकता है। इनमें बड़े पैमाने पर निजी कर्ज और उनके कारोबार की मुश्किलें शामिल हैं. अखबार ने कहा है कि अगले चार वर्षों में ट्रंप को 30 करोड़ डॉलर से अधिक का कर्ज चुकाना है जबकि सच्चाई यह है कि ट्रंप का निजी निवेश बहुत अच्छी स्थिति में नहीं है.
एक और हैरानी की बात यह हैं कि चुनाव में हार के बाद भी ट्रंप प्रशासनिक फैसलें कर रहे हैं. उन्होंने कल ही अपने रक्षा मंत्री मार्क एस्पर को बर्खास्त कर उनकी जगह पर राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केंद्र के निदेशक क्रिस्टोफर मिलर को कार्यवाहक रक्षा मंत्री बनाया गया है. वे ट्रंप के बेहद करीबी हैं.अमेरिका के अटॉर्नी जनरल विलियम बर ने 2020 के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान अनियमितताओं के आरोपों के मामले में जांच की अनुमति देश के संघीय अभियोजकों को दे दी. इस आदेश के बाद अमेरिकी न्याय विभाग की चुनाव अपराध शाखा के निदेशक रिचर्ड पिलर ने इस्तीफा दे दिया है. पिलर ने यह कदम ट्रंप द्वारा नतीजों को चुनौती देने के लिए न्याय विभाग का इस्तेमाल करने संबंधी आरोपों के बाद जांच की अनुमति मिलने पर उठाया है.
एक और अहम बात यह हैं कि ट्रंप प्रशासन ने एक बार फिर पूर्ववर्ती राष्ट्रपति बराक ओबामा के वक्त पारित स्वास्थ्य बीमा कानून (ओबामाकेयर) को रद्द कराने की कोशिश तेज कर दी है. अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में इस पर तीसरी बार होने वाली सुनवाई में रिपब्लिकन पार्टी शासित 18 राज्यों के अटॉर्नी जनरल चाहते हैं कि यह कानून रद्द किया जाए. इससे 2.3 करोड़ लोगों का बीमा कवर छिन जाएगा. ट्रंप ने खाद्य व औषधि प्रशासन (एफडीए) और दवा कंपनी ‘फाइजर’ पर आरोप लगाया कि राष्ट्रपति चुनाव से पहले जानबूझकर कोविड-19 टीके की घोषणा रोकी गई, ताकि वे चुनाव न जीत सकें. ट्रंप ने ट्वीट किया कि चुनाव से पहले एफडीए और डेमोक्रेट्स उन्हें टीके का श्रेय नहीं देना चाहते थे. इसलिए इसकी घोषणा पांच दिन बाद की गई.
‘फाइजर’ ने कहा था, कि विश्लेषण से पता चला है कि उसका टीका कोविड-19 को रोकने में 90 प्रतिशत तक कारगर हो सकता है. ‘फाइजर’ ने इस बारे में विस्तार से कुछ नहीं बताया है लेकिन कहा कि अध्ययन के अंत तक परिणाम में बदलाव हो सकता है.ट्रंप ने आरोप लगाया कि यदि बाइडन राष्ट्रपति होते तो आपको अगले चार साल तक टीका नहीं मिलता और ना ही एफडीए ने इसे तुरंत मंजूरी दी होती.
अमेरिका की नवनिर्वाचित उप राष्ट्रपति कमला हैरिस ने कहा कि वह और नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन अमेरिकी इतिहास का एक नया अध्याय लिखने को तैयार हैं.हैरिस ने बाइडन-हैरिस प्रशासन की प्राथमिकता सूची जारी करते हुए कहा, हम पहले दिन से, कामकाजी परिवारों को लाभ पहुंचाने वाली अर्थव्यवस्था का निर्माण करेंगे। यही हमारी सकारात्मक शुरुआत होगी.वी एन आई/शोभना