भारत की एनएसजी की सदस्यता पर चीन का अलग अलग अलग राग- विरोध के बीच कहा नियमो के साथ सदस्यता का समर्थन करेगा

By Shobhna Jain | Posted on 16th Jun 2016 | VNI स्पेशल
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बीजिंग 16 जून (शोभनाजैन/वीएनआई) चीन ने आज भारत द्वारा परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता पर अलग अलग राग अलापा. एन एस जी की सदस्यता हासिल करने के भारत के प्रयासो को ले कर चीन ने एक तरफ जहा चौतरफा कड़ा विरोध जारी रखा वही उसने आज यह भी कहा कि चीन 48 सदस्यों वाले परमाणु क्लब में भारत को शामिल किये जाने का स्वागत कर सकता है बशर्ते यह ‘‘नियमों के साथ हो''. चीन के सरकारी ‘ग्लोबल टाइम्स' ने आज लिखा कि नयी दिल्ली को इस विशिष्ट परमाणु समूह में प्रवेश दिये जाने से भारत और पाकिस्तान के बीच का ‘परमाणु संतुलन' बिगड़ जायेगा.इस लेख में कहा गया कि एनएसजी में भारत का प्रवेश ‘‘दक्षिण एशिया में रणनीतिक संतुलन को बिगाड़ देगा और साथ ही इससे पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता पर संकट के बादल मंडराने लगेंगे.' हालांकि साथ ही इस लेख में यह भी कहा गया कि चीन 48 सदस्यों वाले परमाणु क्लब में भारत को शामिल किये जाने का स्वागत कर सकता है बशर्ते यह ‘‘नियमों के साथ हो''. सरकारी थिंक टैंक ‘चाइना इंस्टीट्यूट्स ऑफ कंटेंपररी इंटरनेशनल रिलेशन्स' के रिसर्च फेलो फू शियाओकियांग द्वारा लिखे गये इस लेख के जरिये एनएसजी में भारत के प्रवेश के प्रति चीन के कड़े एवं मुखर विरोध को रेखांकित किया गया. इसके साथ ही चीन ने अपनी इस बात को फिर उठाया कि भारत को सदस्यता मिल जाने पर चीन का सर्वकालिक सहयोगी पाकिस्तान पीछे छूट जायेगा क्योंकि ‘‘एनएसजी में प्रवेश मिलने से भारत एक ‘वैध परमाणु शक्ति' बन जाएगा.‘‘इससे पहले एनएसजी के सभी मौजूदा सदस्यों के बीच आम सहमति के जरिये एक निष्पक्ष एवं न्यायपूर्ण सिद्धांत बनाया जाये न कि नियमों को तोड़ने की शर्त पर अमेरिका और भारत लगातार दबाव बनाते रहें.'' लेख में कहा गया, ‘‘अब तक, एनएसजी के सभी सदस्यों ने एनपीटी पर हस्ताक्षर किये हैं. तो सवाल यह है कि यदि संधि पर हस्ताक्षर न करने वाला कोई देश समूह से जुड़ना चाहता है तो उसे किस स्थिति में स्वीकार किया जा सकता है? यदि एक दिन ऐसा कोई मापदंड बना दिया जाता है तो भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए ही समूह का हिस्सा बनना संभव होगा.'' इसमें कहा गया, ‘‘बीजिंग वैश्विक शासन में एक बड़ी शक्ति के रूप में नयी दिल्ली की भूमिका का स्वागत करता है. इस भूमिका में परमाणु अप्रसार संगठन में एक सकारात्मक प्रभाव पैदा करना भी शामिल है.गौरतलब है कि इसी अखबार में 14 जून को छपी एक समीक्षा में कहा गया कि एनएसजी में भारत का प्रवेश चीन के राष्ट्रीय हित को ‘खतरे में डाल' सकता है और यह पाकिस्तान की एक ‘कमजोर नस' को छू सकता है.गौरतलब है कि चीन के इसी विरोध के बीच प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने कल चीन् के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के जन्म दिन पर उन्हे कल बधाई दी चीन की सोशल नेट वर्किंग साईट वेइबो पर भेजा गया यह शुभकामना संदेश चीन मे खासा लोकप्रिय हुआ. भारत द्वारा पहली बार मेक्सिको और स्विट्जरलैंड का समर्थन जुटा लिए जाने का जिक्र करते हुए लेख में कहा गया, ‘‘इस माह की शुरुआत में विशिष्ट परमाणु क्लब में शामिल होने के प्रयास में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अमेरिका, स्विट्जरलैंड अैर मेक्सिको का समर्थन जुटा लेने के बाद ऐसा लगता है कि भारत नयी दिल्ली एनएसजी की सदस्यता हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ चुका है.' इस लेख का शीर्षक था, ‘एनएसजी की सदस्यता हासिल करने का बीजिंग समर्थन कर सकता है बशर्ते वह नियमों के साथ चले'. लेख में कहा गया, ‘‘दुनिया भर में असैन्य परमाणु व्यापार का संचालन करने वाले ब्लॉक एनएसजी का सदस्य बनने से भारत को एक वैध परमाणु शक्ति के रूप में वैश्विक स्वीकार्यता मिल जायेगी. ग्लोबल टाइम्स के लेख में कहा गया, ‘‘यदि नयी दिल्ली इस समूह से जुड़ती है तो वह असैन्य परमाणु प्रौद्योगिकी और ईंधनों को अंतरराष्ट्रीय बाजार से ज्यादा आराम से आयात कर सकेगी और अपनी घरेलू परमाणु सामग्री को वह सैन्य इस्तेमाल के लिए बचा लेगी.'' सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के प्रकाशन समूह से जुड़े टेबलॉयड पेपर ग्लोबल टाइम्स ने आरोप लगाया, ‘‘एनएसजी की सदस्यता से जुड़ी भारत की महत्वाकांक्षा का सबसे बड़ा उद्देश्य परमाणु क्षमताओं में इस्लामाबाद पर बढ़त हासिल करना है. यदि नयी दिल्ली को पहले सदस्यता मिल जाती है तो भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु संतुलन टूट जायेगा. लेख में कहा गया, ‘‘परिणामस्वरुप, पाकिस्तान के रणनीतिक हित खतरे में आ जायेंगे, जिससे दक्षिण एशिया में रणनीतिक संतुलन हिल जायेगा और इससे पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता पर खतरा भी मंडरा सकता है.'वी एन आई.

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