यांगून 9 नवंबर (वीएनआई) म्यांमार में 25 साल के लंबे अंतराल के बाद हुए ऐतिहासिक आम चुनाव के लिए कल (रविवार) को हुई वोटिंग के बाद आज दोपहर या शाम तक चरणबद्ध तरीके से आधिकारिक तौर पर नतीजों की घोषणा ्हो जाएगी। हालांकि चुनाव में 90 से ज्यादा दल लड़ रहे हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला सू की की नेशनल लीग फोर डेमोक्रेसी पार्टी और वर्ष 2011 से सत्तारूढ़ यूनियन सोलिडेरिटी डेवलपमेंट पार्टी के बीच है जिसे सेना का समर्थन प्राप्त है, पर इस बार उम्मीद की जा रही है कि कई साल तक नजरबंद रहीं विपक्ष की नेता आंग सान सू की की पार्टी के इस चुनाव में जीत हासिल करेगी।
गौरतलब है कि सेना द्वारा बनाए गए संविधान के अनुसार राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति पद का चुनाव कोई ऐसा व्यक्ति नहीं लड़ सकता जिसके बच्चे विदेशी नागरिकता वाले हों इसलिये इस व्यवस्था के तहत ही विपक्ष की नेता आंग सान सूकी राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति का चुनाव नहीं लड़ सकतीं । सू की ने कहा, "यदि हम जीतते हैं और एनएलडी सरकार बनाती है तो मैं राष्ट्रपति से भी ऊपर रहूंगी। यह बहुत ही सामान्य संदेश है।"
उन्होने इस तरह की व्यवस्था से संविधान का उल्लंघन होने के आरोपों को भी उन्होंने नकार दिया है। सू की के ानुसार संविधान में राष्ट्रपति से ऊपर रहने वाले व्यक्ति के बारे में कुछ भी नहीं कहा गया है। विदेशी पति या पत्नी या बच्चों वाले नागरिक राष्ट्रपति पद के योग्य नहीं होंगे। म्यांमार की मीडिया के मुताबिक चुनाव जीतने पर निचले सदन के अध्यक्ष और एनएलडी के वरिष्ठ नेता या फिर सू की के निजी डॉक्टर राष्ट्रपति बन सकते हैं। हालांकि, सू की ने इसे सिरे से खारिज किया है।
म्यांमार की सत्तारूढ़ यूनियन सॉलिडेरिटी एंड डेवलपमेंट पार्टी से निष्कासित पूर्व जनरल श्वे मान ने संसद में सू की के साथ मिलकर काम करने की बात कही है। संसद में उनका खासा प्रभाव माना जाता है। सू की के साथ नजदीकी रिश्तों के चलते पार्टी से निकाले जा चुके मान ने कहा कि अगली संसद में भी उन दोनों के बीच सहयोग जारी रहेगा। मतलब यह है कि चुनाव में पर्याप्त बहुमत नहीं मिलने पर वह सू की की पार्टी का समर्थन करेंगे।
उल्लेखनीय है कि म्यांमार में तकरीबन तीन करोड मतदाता हैं ,यह चुनाव संसद की केवल 75 फीसदी सीटों के लिए कराया गया, एक चौथाई सीटें गैर निर्वाचित सैनिक अधिकारियों के नॉमिनेशन के जरिए भरी जाएंगी। संसद आैर क्षेत्रीय असेंबली की एक हजार सीटों के लिए राजनीतिक दलों के कुल 6038 आैर 310 निर्दलीय उम्मीदवारों ने चुनाव लडा है।चूंकि चुनाव में 40 लाख वोटर्स अपने अधिकार का इस्तेमाल नहीं कर पाए इससे इस चुनाव के निष्पक्षता को लेकर कुछ सवाल ्भी हैं। एनएलडी ने मतदान से पहले आरोप लगाया था कि कुछ इलाकों में भारी संख्या में अतिरिक्त वोटिंग टिकट जारी किए गए। फिर भी माना जा रहा है कि 80 फीसदी नागरिकों ने मतदान किया है और इसे सैन्य शासन पर लोकतंत्र की जीत के के लिये शुभ संकेत माना हा रहा है