कछ अरब देशों मे बढती धार्मिक कट्टरता व आतंकवाद बेहद चिंताजनकः सुषमा

By Shobhna Jain | Posted on 11th Mar 2015 | VNI स्पेशल
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नयी दिल्ली 21 अगस्त (शोभना जैन -वी एन आई) भारत ने आज अरब जगत के साथ सदियों पुराने रिश्तों को और प्रगाढ बनाने की \" स्पष्ट प्रतिबद्धता \" व्यक्त करते हुए इस क्षेत्र के कुछ देशों कुछ देशों धार्मिक कट्टरपन, उग्रवाद तथा आतंकवाद बढने तथा इस सब के वहा क्षेत्रीय स्थिरता पर फैलने वाले प्रभाव पर गहरी चिंता जतायी लेकिन साथ ही उसने कहा कि भारत सदैव अरब देशो को समर्थन व सहायता देने को तैयार है लेकिन उसका दृढ मत है कि अरब देशो को बिना किसी बाहरी दखलदांजी या बाहरी फरमान के अपने भाग्य का फैसला खुद ही करना होगा.भारत ने एक बार फिर कहा कि फिलिस्तिनी मसले पर तीव्र समर्थन के साथ- साथ इजराईल के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाये रखने की उस की नीति में कोई बदलाव नही है. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज राजधानी मे पहले भारत- अरब लीग राष्ट्र मीडिया संगोष्ठी क़ा उदघाटन करते हुए यह घोषणा की. उन्होने कहा \" भारत सरकार क्षेत्र के सभी देशो के साथ, सभी के आपसी लाभ के लिये रिश्ते मजबूत करने के लिये प्रतिब्द्ध है. और इस मकसद को पूरा करने के लिये हमे एक दूसरे की स्थतियाँ तथा संवेदनाये समझने की पूरी समझ बूझ से कोशिशे करनी होगी विदेश मंत्री ने कहा \" अरब जगत के विभिन्न देशो के चुनौतीपूर्ण तथा निरंतर बदलाव के इस दौर मे, सकरात्मक बातचीत की जितनी ज्यादा जरूरत आज है शायद उतनी पहले कभी नही रही. उन्होने कहा \" भारत तथा अरब राष्टृ कोई नये मित्र अथवा नये साझीदार नही है बल्कि हमारे रिश्ते सदियो पुराने है.भारत सरकार सदियो पुराने इन रिश्तो को प्रगाढ बनाने के लिये प्रतिबद्ध है उन्होने कहा कि हमारे राष्ट्रीय विकास के लक्ष्यों के साथ साथ क्षेत्रीय शान्ति व स्थिरता के लिये ये संबंध बहुत महत्वपूर्ण हैं\". उन्होने कहा कि भारत अरब देशों के मौ्जूदा घट्नाक्रम- अरब स्प्रिंग के बाद के घटनाक्रम- को बहुत ध्यानपूर्वक देख रहा है.भारत निरंतर अपनी उसी नीति का पालन कर रहा है जो कि गैर दखलदांजी तथा किसी को सही, गलत नही ठहराने के सिद्धांतों पर आधारित है. लेकिन उसका दृढ मत है कि अरब देशो को बिना किसी बाहरी दखलंदाज़ी या बाहरी फरमान के अपने भाग्य का फैसला खुद ही करना होगा.\" विदेश मंत्री ने इस क्षेत्र की चर्चा करते हुए कहा कि अरब जगत का पुराना साथी होने के नाते भारत उन देशो की स्थिरता को लेकर चिंतित है जहां आतंकवाद व धार्मिक कट्टरता समाजिक ताने बाने को छिन्न भिन्न कर रही है, वह चिंतित है इस बात से कि इन सब का क्षेत्रीय स्थिरता पर असर फैल रहा है.यह चिंता बहुत स्वाभाविक भी है क्योंकि हम दोनो के भाग्य कई तरह से एक दुसरे से जुडे है.निश्चित तौर पर हमारे राष्टीय व उर्जा हित महत्वपूर्ण है लेकिन सबसे अहम है इंसानी रि्श्ते, उन्होने कहा \"मोर्सुल मे 40 निर्दोष भारतीयो को अभी तक बंधक बनाये रखने और सोमालिया मे समुद्री लुटेरो द्वारा 7 भारतीय कर्मियो को लंबे वक्त से बधंक बनाये जाने से निश्चय ही आम भारतीय भी इस क्षेत्रीय अस्थिरता से प्रभावित हुआ है. इजराईल -गजा संघर्ष की चर्चा करते हुए विदेश मंत्री ने कहा \" ऐसे संवेदन्शील मुद्दे पर भारत की नीति को लेकर किसी प्रकार के भ्रम या गलतफहमी कि कोई गुंजायश ही नही है हालांकि मीडिया के कुछ वर्गो मे इसे लेकर परस्पर विरोधी व्याख्याए चली. उन्होने जोर दे कर कहा \" मै एक बार फिर दोहराना चाहती हूं कि फिलिस्तिनी मसले पर तीव्र समर्थन के साथ साथ इजराईल के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाये रखने की भारत की नीति में कोई बदलाव नही है.साथ ही भारत गजा मे बडी संख्या मे निर्दोष नागरिको के मारे जाने पर बहुत चिंतित है. उसने दोनो ही पक्षो से अत्याधिक संयम बरतने तथा फिलिस्तीन मुद्दे का व्यापक समाधान खोजने की दिशा मे प्रयास किये जाने पर बल दिया है. भारत अंतराष्टीय, क्षेत्रीय तथा द्विपक्षीय स्तर पर इस मसले पर जम कर राजनैतिक समर्थन देने के अलावा फिलिस्तीन तथा उसकी जनता को आर्थिक तथा विकास कार्यो के लिये सहायता देता रहा है. भारत के पश्चिम एशिया के साथ संबंधो की चर्चा करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि इस क्षेत्र तथा भारत के बीच संबंध काफी बढे है लेकिन संबंधो के वि्स्तार की अब भी अपार संभावनाये है. अगर सभी अरब देशो को मि्ला दि्या जाये तो अरब जगत भारत का सबसे बडा व्यापारिक साझीदार है. 2012-13 मे 180 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ. यह क्षेत्र हमारे राष्ट्रीय हितो के लिये बहुत अहम है.यह क्षेत्र हमारी उर्जा सुरक्षा का मजबूत स्तंभ है,हमारी तेल तथा गैस जरूरतो का 60 प्रतिशत यही क्षेत्र पूरा करता है, लगभग 70 लाख प्रवासी भारतीय यहां काम करते है. भारत इनकी जन्म भूमि है तो खाडी देश इनकी कर्मभूमि. और इन लोगो ने दोनो को और करीबी से जोड़ा है,ये लोग दोनो के बीच पुल है वहां से ये लोग सालाना लगभग 40 अरब डॉलर भारत मे अपने घरो को भेजते है.भारत तथा अरब जगत के बीच सदियो पुराने भावनात्मक रिश्तो की चर्चा करते हुए उन्होने कहा\' अरब सागर दोनो देशो के तट चूमता है, मशहूर अरब विद्वान अल- बरूनी ने भारत अरब सांस्कृतिक रिशतो का इतिहास लिखा, अरब संस्कृति तथा विचारो पर भारतीय प्रभाव की बाबत लिखा, मुझे बताया गया है कि अरब के कई जाने माने घरानो के उपनाम अल-हिंदी है, अनेक अरब महिलायो मे \' हिंदी\' नाम बहुत लोकप्रिय है. भारत ने अपनी खरीफ तथा रबी फसलो के नाम भी शायद अरब शब्दावली से ही किये है. आठवी सदी मे भारत के संस्कृत ग्रंथ \' सूर्य सिद्धांत\' से अरब जगत मे खगोल विद्या आयी. भारतीय फिल्मे, खान, संगीत वहां बहुत लोकप्रिय है.शिक्षा के लिये भारत उनका एक पसंदीदा स्थल है. महात्मा गांधी जब 1931 मे गोल मेज सम्मेलन से वापस स्वेज नहर के रास्ते लौट रहे थे तो मि्स्त्र के मशहूर कवि अहमद शौकी ने उनकी शान मे कविता लिखी.विदेश मंत्री ने उम्मीद जताई कि दोनो देश के पत्रकारो के बीच के इस संवाद से दोनो के बीच सूचनाओं के आदान प्रदान का एक मज़बूत पुल बनेगा जिससे आपसी समझ बूझ और बढेगी, गहरी होगी. गौरतलब है है कि विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित इस संगोष्ठी मे अरब लीग के १६ राष्ट्रों के पत्रकार तथा अधिकारी हिस्सा ले रहे है, मकसद है इस तरह के द्विपक्षीय विचार विमर्श से आपसी समझ बू्झ तथा आपसी सहयोग बढाने की दिशा मे प्रयास किये जा सके

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