वियना,28 जून ( शोभना जैन,वीएनआई) ईरान के परमाणु कार्यक्रम परं अंकुश लगाने संबंधी वार्ता का निर्णायक दौर उम्मीदो और आशंकाओ के बीच वियना मे शुरू हो गया हैं.अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी, ईरान के विदेश मंत्री जवाद जारिफ , फ्रांस के विदेश मंत्री लॉरेंट फेबियस, योरोपीय यूनियन की विदेश नीति प्रमुख फ्रेड्रेका सहित सभी सम्बद्ध पक्ष इस वार्ता मे हिस्सा ले रहे है. प्रेक्षको का मानना है कि गतिरोध मे फंसी ईरान परमाणु वार्ता के कुछ मुद्दे अब भी निश्चय ही गंभीर है, उन पर सहमति कायम नही हो सकी है लेकिन प्रयास है कि विवाद के हल के लिये गत दो अप्रैल को लुसान स्विटजर्लेंड मे तय हुए मसौदे के अनुरूप समाधान निर्धारित की गयी अंतिम समय सीमा ३० जून तक सर्व सम्मतिसे समाधान निकल आये. इसी के चलते उम्मीद जाहिर की जा रही है कि यह वार्ता का निर्याणक दौर है
तेहरान के विवादास्पद परमाणु कार्यक्रम पर अंकुश लगाने के लिए एक दीर्घकालिक समझौते पर पहुंचने की कोशिश में यह वार्ता एक ताजा प्रयास है।्सम्बद्ध पक्षों के बीच दो अप्रैल को स्विटजरलैंड में वार्ता मे कुछ प्रगति हुई थी, लेकिन प्रतिबंध राहत और ईरान की विवादास्पद परमाणु गतिविधियों पर स्पष्टीकरण को लेकर काफी मतभेद बरकरार रह गया था।उसी के बाद अब यह नये दौर की वार्ता है.इसी बीच वार्ता के बीच मे र्श्री केरी की इरान के विदेश मंत्री से दो दौर के लंबी बातचीत भी हुई। श्री केरी हालांकि इस बार इस मसले का हल निकल आने के लिये आशान्वित है, लेकिन जानकारो का मत है कि समझौते तक पहुंचने के लिये अभी काफी लंबा सफर तय करना है . गौरतलब है कि इरान के परमाणु कार्यक्रम पर अंकुश लगाने और बदले मे उसके खिलाफ लागू आर्थिक प्रतिबंध हटाने को लेकर इस वार्ता पिचळे १८ माह से अनेक दौर हो चुके है. ब्रिटेन,अमरीका, जर्मनी, फ्रांस,रूस और चीन (सुरक्षा परिषद के पॉच स्थाई सदस्य+ १ ) इस वार्ता से जुड़े है.
इस वार्ता से पूर्व श्री जारिफ ने कहा था, \"यदि दूसरे पक्ष.. सकारात्मक कदम उठाते हैं और अत्यधिक मांग नहीं करते हैं, तो हम निश्चित रूप से एक समझौते पर पहुंच जाएंगे जो हर किसी के लिए लाभकारी होगा।\"
ऐसा लग रहा है कि तेहरान और पश्चिमी देश इस संबंध मे समझौते के बिल्कुल करीब है, यद्यपि कुछ कठिन मुद्दों को सुलझाने की जरूरत है। इसी बीच
फ्रांस के विदेश मंत्री फेबियस ने कहा कि समझौते के लिए कम से कम तीन शर्ते जरूरी बताई हैं।उन्होंने कहा, \"अनुसंधान एवं उत्पादन में ईरान की परमाणु क्षमताओं की एक अंतिम सीमा। दूसरी शर्त आवश्यकता पड़ने पर सैन्य ठिकानों सहित परमाणु स्थलों का ठोस सत्यापन। तीसरा समझौते का उल्लंघन होने की स्थिति में प्रतिबंधों का स्वत: फिर से लागू हो जाना।\" कुछ पक्षो को यह भी आशंका है कि तमाम प्रयासो के बीच हो सकता है कि वार्ता इस बार भी निर्ण्याक नही हो पाये लेकिन समझौते के लिये आशान्वित होने वालो की भी कमी नही है
लेकिन उन्होंने कहा कि अभी तक सभी पक्षों ने इसे स्वीकार नहीं किया है. पश्चिमी देशों को संदेह है कि ईरान अपने असैन्य परमाणु कार्यक्रम की आड़ में परमाणु हथियार विकसित कर रहा है, जबकि ईरान इस बात से इंकार करता रहा है। वी एन आई