नई दिल्ली 21 जून (शोभना जैन,वीएनआई) भोर की पहली किरण फूटी ही है ,पूरे आसमान मे हल्की सिंदूरी आभा बिखर रही है, राजधानी दिल्ली के एक पार्क मे बड़ी तादाद मे युवा , बुजुर्ग योग करने के लिये हाथो मे चटाइयाँ लिये एकत्र हो रहे है,ऐसा ही एक मंजर भारत से हजारो मील दूर आईसलेंड की राजधानी रेक्याविक के एक हो्टल और एक योग स्टूडियो मे है, विदेशी प्राणायाम कर रहे है, विभिन्न योगासन कर रहे है. विश्व मे सर्वाधिक उंचाई वाला(समुद्र स्तर से 12,000 फुट की ऊंचाई पर) सियाचिन का सैन्य क्षेत्र पर हमारे जॉबाज बहादुरो द्वारा योग किया जा रहा हो या भारत के जंगी जहाज पर जियालो द्वारा की जा रही यौगिक क्रियायें हो, राजधानी दिल्ली के जवाहर लाल स्टेडियम मे विशाल जन समुदाय का योगाभ्यास हो या हरियाणा के पंचकूला मे योग गुरू रामदेव के साथ राज्य के मुख्य मंत्री मनोहर लाल खट्टर विशाल जन समुदाय के साथ मिल कर योग करते हो अथवा फिर सुदूर पूर्वोत्तर मणिपुर मे बच्चो का योगाभ्यास हो अथवा फिर उत्तर प्रदेश मे एक धर्मिक स्थल के बाहर एक पार्क मे योगाभ्यास करती अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाये और बच्चि्याँ हो, भारत मे कश्मीर से लेकर कन्या कुमारी तक और दुनिया मी अमरीका से लेकर सुदूर्वर्ती आईसलेंड मेयोग साधना हो रहीहै. भारत के अलावा वैश्विक स्तर पर भी भारतीय योग दिनोदिन \'सदभाव व शांति\' के साथ एक \'जनांदोलन\' का रूप लेता जा रहा है.पिछले एक दशक मे विशेष तौर पर भारत मे तो योग करने वालो के संख्या अभूतपूर्व ढंग से वृद्धि हुई है.
भारत की पहल पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा आज दुनिया भर मे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस समारोह विश्व के 192 देशों मे से 191 देशो मे दिव्यता एवं भव्यता के साथ मनाया जा रहा है. आंकड़ो के अनुसार ऐसी उम्मीद है कि दुनिया के लगभग दो अरब लोग इस दिन भारत की अमूल्य धरोहर \'योग साधना\' कर रहे है .चाहे दिल्ली का राजपथ हो या पेरिस की एफिल टॉवर के निकट का मैदान , न्यूयॉर्क का विशाल टाईम्स स्कावयर हो या बीजिंग, चीन के हॉल मे हो रहा योग . अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर सभी जगह योग ही छाया है .पांच बार की विश्व मुक्केबाजी चैंपियन मेरीकॉम के साथ 100 से अधिक देशों के करीब 15,000 लोग दुबई में योग कर रहे है। मलेशिया तथा ताईवान मे भी सुबह सुबह लोग योग करते नज़र आये| केन्द्र सरकार के तत्वाधान मे देश भर मे मनाये जा रहे इस समारोह का भारत मे मुख्य समारोह राजधानी के राजपथ मे हुआ जिसमे प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने योग गुरू बाबा रामदेव और अन्य योग गुरूओ की मौजुदगी मे बच्चो, सुरक्षा कर्मियो सहित लगभग 40,000 लो्गो के साथ अलग अलग तरह के योग आसन और क्रियाये की , जिस दौरान अनेक केन्द्रीय मंत्री व विशिष्ट लोग भी मौजूद थे.इस अवसर पर प्रधान मंत्री ने अपने संदेश मे कहा कि भारत मे योग की परंपरा सदियो पुरानी है, आज दुनिया भर मे योग दिवस मनाये जाने से सद्भावना के नये युग की शुरूआत हुई है लबे समय से योग साधक प्रधान मंत्री मोदी के अनुसार \'योग मे पूरी मानवता को एक सूत्र मे जोड़ने की शक्त्ति है, यह ज्ञान,कर्म और भक्ति का अद्भुत मेल है, प्रधान मंत्री मोदी की दिनचर्या बरसो बरस से यौगिक क्रियाओ और योग आसन से ही प्रारंभ होती है.बड़े पैमाने पर इस तरह से योग के प्रसार प्रचार के पीछे सोच है कि इससे न/न केवल राष्ट्रवासी स्वास्थ्य हो बल्कि उनमे मानवीय मूल्यो का संचाए भी हो और उन्हे एकता के सूत्र से अधिक मजबूती से जोड़ा जा सके, यानि योग् को माना गया है शांति और सामंजस्य का सूत्र.
प बंगाल की मुख्य मंत्री ममता बनर्जी सहित मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ जैसे अनेक प्रदेशो के मुख्यमंत्री भी अपने अपने राज्यो मे योग दिवस समारोह मे हिस्सा लिया.विदेशो मे भी भारतीय दूतावास द्वारा आयोजित इस आयोजन ्मे बड़ी तादाद मे विदेशियो और विशिष्ट विदेशी महमानो ने हिस्सा लिया. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी कहा था \'भारतीयो दूतावासो ने अपने अपने यहा के देशो के राष्ट्राध्यक्षो को भी इस कार्यक्रम के लिये आमंत्रित किया है. इस आशय के न्यौते राष्ट्राध्यक्षो को भेजे गये है\' श्रीमति स्वराज ने आज संयुक्त राष्ट्र में इस अवसर पर आयोजित विशेष समारोह की अध्यक्षता की. इस दौरान संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून और महासभा के अध्यक्ष सैम कुटेसा,योग गुरू श्री श्री रविशंकर जैन मुनि आचार्य लोकेश सहित अनेक योग गुरू मौजूद थे। विश्व योग दिवस कार्यक्रम से दुनिया भर मे उन देशो मे अनेक विशिष्ट हस्तियो और कलाकारो को ब्रैंड एम्बेसेडर के रूप जोड़ा गया है.आस्ट्रेलिया मे मशहूर क्रिकेट खिलाड़ी ब्रेट ली, जॉर्डन मे वहा की राजकुमारी,फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन, शिल्पा शेट्टी, विराट कोहली, सुशील कुमार, कपिल शर्मा और मीका जैसे कितने ही जाने माने नाम इस कार्यक्रम से जुड़े हुये है.
उल्लेखनीय है कि गत सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 69वें सत्र में अपने पहले भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्तराष्ट्र में भारतीय योग को \'प्रामाणिकता के साथ स्वीकार्यता \' दिलाने के लिये अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित करने के विचार पर औपचारिक प्रस्ताव दिया था, बाद मे संयुक्त राष्ट्र ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाए जाने के भारत के प्रस्ताव पर अपनी मोहर लगा दी थी । इस ऐलान के साथ ही अब से हर साल 21 जून को दुनिया भर में \' अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस\' मनाया जाएगा, संयुक्त राष्ट्र महासभा के 69वें सत्र में इस आशय के प्रस्ताव को लगभग सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया था। भारत के साथ रिकार्ड 177 सदस्य देश न केवल इस प्रस्ताव के समर्थक बने बल्कि इसके सह-प्रस्तावक भी बने। । प्रस्ताव के सहप्रायोजकों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 5 स्थाई सदस्य देशो सहित ऑरगेनाईजेशन ऑफ इस्लामी संगठन ओआईसी के ४७ मुस्लिम देश भी शामिलहैं । भारत में 5000 वर्ष से भी पहले जन्मी योग पद्धति के चाहने वाले न/न केवल पूरी दुनिया में हैं, बल्कि दुनिया भर मे इसको अपनाने वालो के संख्या तेजी से बढ रही है. विदेशो मे योग प्रशिक्षण देने के लिये भारत से विशेष तौर पर योग प्रशिक्षक भेजे गये थे. इसके साथ ही योग गुरू रामदेव, स्वामी चिन्मयानंद, श्री श्री रविशंकर,सद गुरू जग्गी गुरुदेव जैसे अनेक योग गुरूओ ने इस कार्यक्रम से जुड़ कर विदेशो मे करोड़ो लोगो को योग से जोड़ने का लक्ष्य रखा है. भारत मे जहा इस आयोजन के उपलक्ष्य् मे विशेष डाक टिकट और 100 और 10 रूपये के सिक्की जारी किये जा रहे है, वही हंगरी, ब्राजील और मॉरीशास भी इस उपल्क्ष्य मे विशेष डाक टिकट जारी कर रहे है. अमरीका, इंगलेंड, आस्ट्रेलिया, सउदी अरब, दुबई, तुर्की, चीन,नेपाल, मॉरीशस, अफ्रीकी देश से लेकर आइसलेंड जैसे 192 देशो मे इस दिन विशेष तौर पर विभिन्न तरह का योग हो रहा है
जाने माने तपस्वी दार्शनिक संत जैन आचार्य विद्द्या सागर का मत है कि योग सांमज्स्य और शांति सद्भभाव और अनुशासित जीवन शैली का संदेश है.यह आत्म कल्याण और जन कल्याण से जुड़ी भावना है,प्रसन्नता की बात है कि भारतीय योग दुनिया को एक सूत्र मे पिरो रहा है, उन्होने कहा यह सद्भभावना और शांतिपूर्ण जीवन - यापन की कला एवं विज्ञान है, योग मन एवं शरीर, मानव एवं प्रकृति के बीच परिपूर्ण सामंजस्य का द्योतक है, यह शरीर को प्रकृति के साथ संतुलन बिठाने की ऐसी वैज्ञानिक प्रक्रिया भी है जो मानसिक तनाव के कारण उत्पन्न शारीरिक विकार शांत कर आध्यात्मिक विकास की प्रेरणा देता है , जाने माने जैन मुनि तथा अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक आचार्य लोकेश मुनि ने योग को जीवन शैली का अंग बनाये जाने और उसे पूरी दुनिया के शैक्षिक पाठ्यक्रमो मे शामिल् किये जाने पर बल दिया जिससे आध्यात्मिक और शारीरिक विकास दोनो ही होगा और संसार र्मे हिंसा, तनाव जैसी समस्याओ का समाधान संभव होगा.आचार्य लोकेश मुनि संयुक्त राष्ट्र द्वारा आज आयोजित योग दिवस समारोह मे हिस्सा लेने न्यूयॉर्क मे है. जैन योग की महत्ता की् चर्चा करते हुए उन्होने कहा कि भगवान आदिनाथ से लेकर भगवान महावीर से लेकर सभी की प्रतिमाय योगासन मे मिलती है जिससे पता चलता है कि जैन योग एक प्रचलित विधा थी. उन्होने कहा कि स्वास्थ्य और सौहार्दपूर्ण शांतिपूर्ण समाज, देश और विश्व के लिये योग साधना एक उम्मीद है .बुनियादी मानवीय मूल्य योग साधना की पहचान हैं ग्रंथो के अनुसार योग शब्द संस्कृत की युज धातु से बना है जिसका अर्थ जुड़ना या एकजुट होना या शामिल होना है। ग्रंथों के अनुसार योग शरीर स्वास्थय तो बनाता ही है,इसे करने से व्यक्ति की चेतना ब्रह्मांड की चेतना से जुड़ जाती हैु. योग गुरूओ के अनुसार ऐसा माना जाता है कि जब से सभ्यता शुरू हुई है तभी से योग किया जा रहा है। योग के विज्ञान की उत्पत्ति हजारों साल पहले हुई थी, पहले धर्मों या आस्था के जन्म लेने से काफी पहले हुई थी। योग विद्या में \'शिव\' को \'पहले योगी\' या \'आदि योगी \'के रूप में माना जाता है।
ग्रंथो के अनुसार हजारो वर्ष पूर्व हिमालय में कांति सरोवर झील के तटों पर \'आदि योगी\' ने अपने प्रबुद्ध ज्ञान को अपने प्रसिद्ध सप्तऋषि को प्रदान किया था। सत्पऋषियों ने योग के इस ताकतवर विज्ञान को एशिया, मध्य पूर्व, उत्तरी अफ्रीका एवं दक्षिण अमरीका सहित विश्व के भिन्न - भिन्न भागों में पहुंचाया। योग करते हुए पितरो के साथ सिंधु - सरस्वती घाटी सभ्यता के अनेक जीवाश्म अवशेष एवं मुहरें भारत में योग की मौजूदगी का संकेत देती हैं लोक परंपराओं, सिंधु घाटी सभ्यता, वैदिक एवं उपनिषद की विरासत, बौद्ध एवं जैन परंपराओं, दर्शन, महाभारत एवं रामायण जैसे ग्रंथो, शैवों, वैष्णवों की आस्तिक परंपराओं एवं तांत्रिक परंपराओं में योग की मौजूदगी है। हालांकि पूर्व वैदिक काल में भी योग किया जाता था, लेकिन संत महर्षि पतंजलि ने अपने योग सूत्रों के माध्यम से उस समय विद्यमान योग की प्रथाओं, इसके आशय एवं इससे संबंधित ज्ञान को व्यवस्थित एवं कूटबद्ध किया। पतंजलि के बाद, अनेक ऋषियों एवं योगाचार्यों ने प्रथाओं एवं साहित्य के माध्यम से योग के परिरक्षण एवं विकास में विशेष योगदान दिया।योग की परंपरागत शैलियां, भिन्न - भिन्न दर्शन, परंपराएं, वंशावली तथा गुरू - शिष्य परंपराओ आदि शैलियो से योग का और विकास और प्रसार हुआ , उदाहरण के लिए ज्ञान योग, भक्ति योग, कर्म योग, ध्यान योग, पतंजलि योग, कुंडलिनी योग, हठ योग, मंत्र योग, लय योग, राज योग, जैन योग, बुद्ध योग आदि। हर शैली के अपने स्वयं के सिद्धांत एवं पद्धतियां हैं जो योग के परम लक्ष्य एवं उद्देश्यों की ओर ले जाती हैं। इसी तरह यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि साम्यामा, बंध एवं मुद्राएं, षटकर्म, युक्त आहार, युक्त कर्म, मंत्र जप आदि योग साधनाएं, जिसे योग साधक अपनाते है.
योग गुरू रामदेव जिन्होने गत २० वर्षों मे करीब २ करोड़ लोगो को शिविरो मे योग प्रशिक्षण के साथ न/न केवल भारत की करोड़ो की बड़ी आबादी को टीवी व अन्य माध्यमो से योग मे प्रशिक्षित किया है,ा बल्कि विदेशो मे भी भारतीय का झंडा बुलंद किया है,उनके अनुसार\' आम तौर पर योग को स्वास्थ्य एवं फिटनेस के लिए थिरेपी या व्यायाम की पद्धति के रूप में समझा जाता है। हालांकि शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य योग के स्वाभाविक परिणाम हैं, परंतु योग का लक्ष्य अधिक दूरगामी है। योग करने से व्यक्ति की चेतना ब्रह्मांड की चेतना से जुड़ जाती हैु. बुनियादी मानवीय मूल्य योग साधना की पहचान हैं. योग ब्रह्माण्ड से स्वयं का सामंजस्य स्थापित करने के बारे में है।\' देश विदेश मे योग को लोक प्रिय करने वाले और हाल ही मे योरोपीय यूनियन और अमरीकी सभा मे योग करवाने वाले योग गुरू श्री श्री रविशंकर भी \'इसे बाह्य से अंतर् की यात्रा मानते है.योग आसनों के माध्यम से किया जाने वाले शारीरिक व्यायाम भर नहीं है बल्कि एकाग्रता एवं सामर्थ्य बढाने का अचूक उपाय है जो संभावनायों को संभव बनाता है.\' योग के केन्द्र, योग धरा यानि योग की राजधानी के रूप मे मशहूर ऋषिकेष स्थित परमार्थ आश्रम् के संस्थापक व जानेमाने योग गुरू स्वामी चिन्म्यानंद के अनुसार\' यह अंतर से जुड़ने की कला है,योग की धरती भारत में विभिनन्न सामाजिक रीति-रिवाज एवं अनुष्ठान पारिस्थितिकी संतुलन, दूसरों की चिंतन पद्धति के लिए सहिष्णुता तथा सभी प्राणियों के लिए सहानुभूति के लिए प्रेम प्रदर्शित करे, यही योग का संदेश है ।\' अमरीकी मूल की उनकी शिष्या व बरसो से भारत मे इस आश्रम मे रह कर आध्यात्म ्साधना मे रत साध्वी भगवती का भी मत है \' योग ब्रह्माण्ड से स्वयं को जोड़ने की सर्वोच्च स्तर की अनुभूति एवं सामंजस्य प्राप्त करने की राह है. उनका मानना है कि व्यापक स्वास्थ्य, सामाजिक एवं व्यक्तिगत दोनों, के लिए इसका प्रबोधन सभी धर्मों, नस्लों एवं राष्ट्रीयताओं के लोगों के लिए इसके अभ्यास को उपयोगी बनाता है.यह शरीर को प्रकृति के साथ संतुलन बिठाने की ऐसी वैज्ञानिक प्रक्रिया भी है \'.
भारत मे इस आयोजन को लेकर कुछ अल्पसंख्यक वर्गों मे उत्पन्न आशंकायों को ले कर योग गुरूओ का एक मत है कि योग किसी खास धर्म, आस्था पद्धति या समुदाय के मुताबिक नहीं चलता है; इसे सदैव अंतरतम की सेहत के लिए कला के रूप में देखा गया है। जो कोई भी तल्लीनता के साथ योग करता है वह इसके लाभ प्राप्त कर सकता है, उसका धर्म, जाति या संस्कृति जो भी हो। इन्ही तमाम खबरो के बीच स्वस्थ शरीर के लिए योग के फायदे गिनाते हुए हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के दीवान ने देश के मुसलमानों से बढ़-चढ़कर योग का समर्थन करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि योग शारीरिक व्यायाम का प्रमुख साधन है न कि किसी प्रकार की धार्मिक क्रिया का हिस्सा. भागदौड़ भरी जिंदगी में स्वस्थ रहने के लिए योग अत्यंत आवश्यक है. उन्होने कट्टरपंथियों की ओर से फैलाए गए भ्रम से बचते हुए मुसलमान योग दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंने की भी अपील की है, श्रीमति स्वराज का इस आयोजन के बारे मे कहना है \' योग दिवस मनाने की भारत की पहल के पीछे उद्देश्य ही यही है कि हिंसा ग्रस्त विश्व शांति के और लौटे, योग एक सॉफ्ट पॉवर है, भारत का प्रयास है कि दुनिया भर मे हिंसा की प्रवृति खतम हो, भारत के लिये योग मानव कल्याण और सिर्फ मानव कल्याण है. 21 जून का अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस इसी लक्ष्य प्राप्ति के लिये शुरू किया गया है. केन्द्रीय आयुष मंत्री श्री श्रीपाद नाईक का भी मानना है \' योग को धर्म से जोड़ना सही नही,यह मानव कल्याण के लिये है.यह सामंजस्य, सद्भभाव, भाईचारा और शांति का संदेश है \'
आजकल, योग की शिक्षा अनेक मशहूर योग संस्थाओं, योग विश्वविद्यालयों, योग कालेजों, विश्वविद्यालयों के योग विभागों, प्राकृतिक चिकित्सा कालेजों तथा निजी न्यासों एवं समितियों द्वारा प्रदान की जा रही है। अस्पतालों, औषधालयों, चिकित्सा संस्थाओं में अनेक योग क्लीनिक, योग थेरेपी और योग प्रशिक्षण केंद्र, योग की निवारक स्वास्थ्य देख-रेख यूनिटें, योग अनुसंधान केंद्र आदि स्थापित किए गए हैं। प्राचीन ऋषि मुनियो द्वारा दिखाये गये योग की राह धीरे धीरे महान योगाचार्यों - रमन महर्षि, रामकृष्ण परमहंस, परमहंस योगानंद, विवेकानंद आदि ्के राज योग के विकास से लेकर स्वामी विवेकानंद, श्री टी कृष्णमचार्य, स्वामी कुवालयनंदा, श्री योगेंद्र, स्वामी राम, श्री अरविंदो, महर्षि महेश योगी, आचार्य रजनीश, पट्टाभिजोइस, बी के एस आयंगर, स्वामी सत्येंद्र सरस्वती से ले कर आज के योग गुरू रामदेव,श्री श्री रविशंकर,जानेमाने योग गुरू स्वामी चिन्म्यानंद,साध्वी भगवती जैसे संतो ्के माध्यम से देश विदेश मे भारतीय योग अपनी पहचान तेजी से बढा रहा है और इस के प्रचार प्रसार मे लगे योग गुरू के उपदेशों, योग ्साधना की प्रेरणा से आज योग पूरी दुनिया में फैल रहा है.
पार्क मे लंबे दरखतो के उपर सूरज अब तेजी से चमक रहा है, वहा योगाभ्यास का समय खत्म हो रहा है. दसियो वर्ष से योग की कक्षा लगाने वाले बुजुर्ग् एवं शिक्षक रहे योग साधक मोहन प्रसाद भट्ट योग कक्षा के समापन पर प्रार्थना करा रहे है. वातावरण मे समवेत स्वरो मे योग साधको की मद्धम सी आवाज मे प्रार्थना के स्वर सुनाई दे रहे है.
ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः।,सर्वे सन्तु निरामयाः।,सर्वे भद्राणि पश्यन्तु।
मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्॥,ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ (सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें, और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े, ।)
सूरज की तेज होती रोशनी मे वापस घरो को लौटते हुए योग साधको के चेहरे पर हल्की सी मुस्कराहट के साथ सौम्य सी शांति दिखाई दे रही है. सभी सुखी रहे, रोगमुक्त रहे...वी एन आई