नयी दिल्ली, 2 जनवरी (वीएनआई) उच्चतम न्यायालय ने आज लोढ़ा समिति की सिफारिशों को ना मानने के कारण बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के को उनके पद से हटा दिया है.
कोर्ट के निर्णय के बाद जस्टिस लोढ़ा ने कहा कि यह एक तार्किक निर्णय है. उन्होंने कहा कि जब एक बार सुप्रीम कोर्ट ने लोढ़ा समिति की सिफारिशों को मान लिया था, तो उसके बाद इसकी सिफारिशों को ना मानना गलत था. उन्होंने निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि यह क्रिकेट की जीत है.करीब डेढ़ साल से सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के बाद सोमवार को कोर्ट ने इस पर फ़ैसला सुनाया. पिछली सुनवाई में ही कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था और इस मामले मे उनके तेवर भी साफ़ नजर आ गये थे. कोर्ट ने बोर्ड अध्यक्ष अनुराग ठाकुर पर अवमानना का मामला चलाने का आदेश भी दिया है. गौरतलब है कि अगर परजूरी का मामला साबित हुआ तो अनुराग ठाकुर जेल भी जा सकते हैं.बी सी सी आई का काम काज अब एक पर्यवेक्षक देखेंगे,जिनकी नियुक्ति आगामी 19 जनवरी को होगी
सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई से कहा था कि वह समिति की सिफारिशों को मानें, कोर्ट ने यह भी कहा था कि हमें अपना आदेश मनवाना आता है. बीसीसीआई कोर्ट के आदेश के बावजूद समिति की सिफारिशों को मानने से लगातार इनकार कर रहा था. पूर्व क्रिकेटर बिशन सिंह बेदी ने कोर्ट के इस फैसले पर खुशी जताते हुए कहा कि यह क्रिकेट की जीत है और इससे क्रिकेट संघों को लाभ होगा.गौरतलब है कि जस्टिस आरएम लोढा पैनल ने सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल कर कहा था कि बीसीसीआई सुधार के लिए दी गई उसकी सिफारिशों को नहीं मान रहा है. इस रिपोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने नाराज़गी जाहिर करते हुए बीसीसीआई को फटकार लगाई थी. पैनल ने यह भी कहा था कि बीसीसीआई के शीर्ष पदाधिकारियों, यानी 'टॉप ब्रास' को हटा दिया जाए और क्रिकेट प्रशासक नियुक्त किए जाएं
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित लोढ़ा समिति ने बीसीसीआई में व्यापक बदलावों की सिफारिश की है. इसमें राज नेताओ को पद हासिल करने से रोकना, पदाधिकारियों के लिए उम्र और कार्यकाल की समयसीमा का निर्धारण और सट्टेबाजी को कानूनी मान्यता देना भी शामिल है. लेकिन बीसीसीआई उसकी सिफारिशों को लागू करने में लगातार आनाकानी कर रहा था.बोर्ड के मुताबिक लोढ़ा कमेटी की ज़्यादा सिफारिशें मान ली गई हैं, लेकिन कुछ बातें व्यवहारिक नहीं है जिसको लेकर गतिरोध बना रहा. मसलन अधिकारियों की उम्र और कार्यकाल का मुद्दा, अधिकारियों के कूलिंग ऑफ़ पीरियड का मुद्दा और एक राज्य, एक वोट की सिफ़ारिश बोर्ड को मंज़ूर नहीं है.
पिछली सुनवाई में सर्वोच्च न्यायालय ने बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर को चेतावनी देते हुए कहा था कि झूठी गवाही के लिए उनको सजा क्यों न दी जाए? इस पर एमिक्स क्यूरी (न्याय मित्र) गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा कि ठाकुर के खिलाफ परजूरी का मामला बनता है. उन पर कोर्ट की अवमानना का केस चलाया जा सकता है अगर बिना शर्त माफ़ी ना मांगी तो उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है. अनुराग पर आरोप है कि उन्होंने कोर्ट से झूठ बोला और सुधार प्रक्रिया में बाधा पहुंचाने की कोशिश की. हालांकि अनुराग ने इन आरोपों से इनकार किया था. पिछली सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बी सी सी आई में प्रशासक की नियुक्ति को लेकर और अनुराग ठाकुर पर परजूरी के मामले पर आदेश सुरक्षित रखा था.
गौरतलब है कि जब शशांक मनोहर बीसीसीआई के अध्यक्ष थे तब उन्होंने कहा था कि बीसीसीआई में सीएजी का नामांकित अफसर सरकार का दखल माना जाएगा और इसके चलते बीसीसीआई, आईसीसी की सदस्यता को खो देगी. बाद में जब मनोहर आईसीसी के चेयरमैन बने तो इस संबंध में अनुराग ठाकुर ने उनसे एक पत्र लिखकर स्थिति स्पष्ट करने को कहा था लेकिन मामला कोर्ट में विचाराधीन होने की बात कहते हुए मनोहर ने ऐसा करने से मना कर दिया.
इस पर अनुराग ने कोर्ट में आकर कहा कि उन्होंने इस आशय की चिट्ठी मांगी ही नहीं. ऐसे में गोपाल ने कहा कि ये दोनों बातें अलग-अलग हैं लिहाजा ठाकुर पर परजूरी का मामला बनता है.
जस्टिस आरएम लोढा पैनल ने सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल कर कहा था कि बीसीसीआई सुधार के लिए दी गई उसकी सिफारिशों को नहीं मान रहा है. इस रिपोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने नाराज़गी जाहिर करते हुए बीसीसीआई को फटकार लगाई थी. पैनल ने यह भी कहा था कि बीसीसीआई के शीर्ष पदाधिकारियों, यानी 'टॉप ब्रास' को हटा दिया जाए और क्रिकेट प्रशासक नियुक्त किए जाएं.
समिति ने बीसीसीआई के प्रशासनिक ढांचे के भी पुनर्गठन का सुझाव दिया है और बोर्ड के दैनिक कामकाज को देखने के लिए सीइओ के पद का प्रस्ताव रखा . सीइओ नौ सदस्यीय सर्वोच्च परिषद के प्रति जवाबदेह होगा.