नई दिल्ली,२५दिसंबर (वी एन आई)प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज भ्रष्टाचार के काले कारोबार में लिप्त लोगों के खिलाफ कठोर कदम उठाना जारी रखने का संकल्प व्यक्त करते हुए देशवासियो से कहा, ‘‘ मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि ये पूर्ण विराम नहीं है, ये तो अभी शुरुआत है. ये जंग जीतना है और थकने का तो सवाल ही कहां उठता है, रुकने का तो सवाल ही नहीं उठता है.'' उन्होंने कहा कि जिस बात पर सवा-सौ करोड देशवासियों का आशीर्वाद हो, उसमें तो पीछे हटने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता है.
आकाशवाणी पर आज प्रसारित ‘मन की बात' कार्यक्रम में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने पूर्ववर्ती कांग्रेस नीत सरकार पर बेनामी सम्पत्ति से जुडे कानून को कई दशकों तक ठंडे बस्ते में डालने का आरोप लगाते हुए कहा कि वर्तमान सरकार ने बेनामी सम्पत्ति कानून को धारदार बनाया है और आने वाले दिनों में यह कानून अपना काम करेगा.
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ मैंने पहले ही दिन 8 तारीख को (नोटबंदी की घोषणा के दिन) कहा था, ये लडाई असामान्य है. 70 साल से बेईमानी और भ्रष्टाचार के काले कारोबार में कैसी शक्तियां जुडी हुई है? उनकी ताकत कितनी है? ऐसे लोगों से मैंने जब मुकाबला करना ठान लिया है तो वे भी तो सरकार को पराजित करने के लिए रोज नये तरीके अपनाते हैं.''
उन्होंने कहा कि जब वो नये तरीके अपनाते हैं तो हमें भी तो उसके काट के लिये नया तरीका ही अपनाना पडता है. तू डाल-डाल, तो मैं पात-पात, क्योंकि हमने तय किया है कि भ्रष्टाचारियों को, काले कारोबारों को, काले धन को, मिटाना है.'
प्रधानमंत्री ने कहा कि आपको मालूम होगा हमारे देश में बेनामी संपत्ति का एक कानून है. उन्नीस सौ अठास्सी में बना था, लेकिन कभी भी न उसके नियम बनें, उसको अधिसूचित नहीं किया. ऐसे ही वो ठंडे बस्ते में पडा रहा. हमने उसको निकाला है और बडा धारदार बेनामी संपत्ति का कानून हमने बनाया है. आने वाले दिनों में वो कानून भी अपना काम करेगा. देशहित के लिये, जनहित के लिये, जो भी करना पडे, ये हमारी प्राथमिकता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वह संसद में राजनीतिक दलों को दिए जा रहे चंदे पर बहस चाहते थे लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. पीएम मोदी ने अपने मासिक रेडियो संबोधन 'मन की बात' में उन्होने यह भी कहा, "मेरी इच्छा थी कि संसद में राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे पर चर्चा होती. लेकिन दुखद है कि यह हो नही पाया"
उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों को दी जा रही वित्तीय सहायता पर कई अफवाहें भी फैलाई गई. उन्होंने कहा, "कानून सभी के लिए समान है फिर चाहे वह व्यक्ति, संगठन या पार्टी ही क्यूं न हो."
प्रधानमंत्री ने हालांकि यह भी कहा कि संसद में अवरोधों के बीच कुछ अच्छा भी हुआ. उन्होंने विकलांगता विधेयक पारित होने पर सांसदों को धन्यवाद दिया.
उन्होंने कहा, "इस बार का संसद सत्र लोगों की निराशा का कारण था. राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति की तरह संसद बार-बार बाधित होने से लोग गुस्से में थे."