समाजवादी पार्टी हुई दो फाड़ -चाचा शिवपाल समेत चार मंत्री अखिलेश ने किये बर्खास्त ,शिवपाल ने किया अखिलेश के करीबी चाचा रामगोपाल को पार्टी से निष्कासित
लखनऊ,23 अक्टूबर (वीएनआई) उत्तर प्रदेश में सत्तारुढ़ समाजवादी पार्टी पिछले चार माह से चल रहे घमासान के बाद आज दो फाड हो गई. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज अपने चाचा शिवपाल यादव सहित पिता मुलायम करीबी चार मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया है जिसकी चिट्ठी राज्यपाल के भेज दी गई है. बर्खास्त किए गए अन्य मंत्रियों के नाम हैं- नारद राय, शादाब फातिमा और ओम प्रकाश सिंह. बर्खास्तगी के बाद श्हिव पाल यादाव ने अपने भाई और अखिलेश के करीबी राम गोपाल यादव पर पार्टी मे साजिश रचने और पार्टी विरोधी गतिविधियो की वजह बताते हुए उन्हे पार्टी से छह साल के लिये निष्कासित कर दिया. उन्होने कहा यह फैसला वह पार्टीके राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह के निर्देशानुसार कर रहे है.इन कदमो के बाद जानकारो के अनुसार अब पार्टी मे सुलह सफाई की संभावनाये खतम्हो गई है और पार्टी टूट गई है
समाचारो के अनुसार बैठक में अखिलेश ने कहा कि मैं ही नेताजी का असली उत्तराधिकारी हूं लेकिन पार्टी नेताजी की है वहीं फैसला करेंगे... उन्होंने कहा कि मैं 5 नवंबर के कार्यक्रम में जाऊंगा.
इधर, बर्खास्त होने के बाद शिवपाल यादव सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव से मिलने उनके आवास पहुंचे.उन्होने अपनी सरकारी कार लौटा दी हैऔर वे मुलायम सिंघ से मिलने अपनी निजी कार से ही गये.बर्खास्तगी के बाद शिव पाल यादव ने मीडिया से बात की और कहा कि उनके खिलाफ काफी दिनो से साजिश चल रही थी, वे सभी अगला चुनाव नेताजी के नेतृत्व मे लड़ेंगे.उन्होने अपने दूसरे भाई और अखिलेश के खास रामगोपल यादव पर साजिश करने का आरोप लगाया और कहा सी एम अखिलेश यह साजिश समझ नही रहे है
अखिलेश यादव ने इस आशय का फैसला अपने विधायको और मंत्रियो के बैठक में किया, जिसमे 183 विधायक मौजूद थे.सूत्रो के अनुसार अखिलेश ने बैठक में भावुक बयान देते हुए कहा कि नेताजी पिता हैं मैं हमेशा उनकी सेवा करूंगा पार्टी तोड़ने का कोई इरादा नहीं है. बैठक के बाद अखिलेश राज्यपाल से मिलने गए हैं. प्राप्त जानकारी के अनुसार पार्टी विधायकों की बैठक में अखिलेश ने अमर सिंह पर सीधा निशाना साधा और उनकी करीबी जया प्रदा को फिल्म विकास परिषद के उपाध्यक्ष पद से हटा दिया. अखिलेश समर्थकों ने उनके आवास के बाहर अमर सिंह का पुतला जलाया है.
गौरतलब है कि पार्टी में मचे घमासान को रोकने के मकसद से सोमवार को सपा मुखिया मुलायम सिंह ने विधायकों और पार्षदों की बैठक बुलायी है.
सोमवार की बैठक से पहले यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज अपने सरकारी आवास पर विधायकों की बैठक बुलाई जिसमें शिवपाल सर्मथकों को नहीं बुलाया गया. बैठक में किसी को भी फोन ले जाने की अनुमति नहीं दी गयी थी. इस बैठक में शामिल होने के लिए 16 एमएलए और 6 एमएलसी को न्योता नहीं भेजा गया था.
इन दोनों बैठकों के मद्देनजर सपा में जारी अंतर्कलह को लेकर अगले 48 घंटें को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
इसी बीच आज सुबह राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव ने सपा कार्यकर्ताओं को चिट्ठी लिखकर अखिलेश विरोधियों पर हमला बोला है. इस चिट्ठी में रामगोपाल यादव ने लिखा है कि सुलह की कोशिश अखिलेश की यात्रा रोकने की साजिश है और कार्यकर्ता अखिलेश के साथ जुटें. रामगोपाल ने कहा कि अखिलेश विरोधी विधानसभा नहीं पहुंच पाएंगे. साथ ही लिखा है कि जहां अखिलेश हैं, जीत वहीं है.
रामगोपाल की इस चिट्ठी के खिलाफ शिकायत लेकर पार्टी के कुछ विधायक सपा मुखिया मुलायम सिंह से मिलने उनके आवास पहुंचे.
रामगोपाल यादव ने इस पत्र में आगे लिखा है कि हम चाहते हैं कि राज्य में समाजवादियों की सरकार बने जबकि पार्टी का एक गुट चाहता हैं कि हर हाल में अखिलेश चुनाव हारें. हमारी सोच सकारात्मक है, जबकि उनकी सोच नकारात्मक है. गौर हो कि रामगोपाल ने इससे पहले मुलायम सिंह को भी एक चिट्ठी लिखी थी. चिट्ठी में लिखा है कि अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर आगे नहीं करना अखिलेश को कमजोर करना होगा. ऐसा करना पार्टी के लिए बड़ा नुकसानदायक साबित हो सकता है.
इससे पहले शनिवार को सपा के वरिष्ठ नेताओं की ओर से मुलायम-अखिलेश के बीच मतभेदाें को दूर करने की काेशिशों का ज्यादा असर नहीं दिखा.
उधर, अखिलेश के करीबी मानें जाने वाले सपा विधायक उदयवीर सिंह के पार्टी से निष्कासन ने विवाद को और सतह पर ला दिया है. माना जाता है कि मुख्यमंत्री अखिलेश के करीबियों को हटाने के बाद उनके स्थान पर नये लोगों की नियुक्ति से साफ है कि अब इन नेताअों की वापसी की राह और कठिन हो गयी है.वी एन आई