नयी दिल्ली,९ नवंबर (शोभना जैन/वीएनआई) लोकसभा ने आज विपक्षी सदस्यों के भारी हंगामे के बीच बिना चर्चा के कराधान विधि (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2016 को ध्वनिमत से पारित कर दिया.इस विधेयक के तहत अघोषित धन की जानकारी सरकार को देकर 50 प्रतिशत कर और जुर्माना अदा करने के साथ 25 प्रतिशत राशि तत्काल और शेष चौथाई रकम चार साल बाद प्राप्त करने का प्रावधान है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कल भी विपक्ष के हंगामे के बीच ही इस विधेयक को पेश किया था और आज इसे चर्चा के बाद पारित करने के लिए सदन की कार्यसूची में रखा गया था. हालांकि विधेयक पर चर्चा से पहले नोटबंदी के मुद्दे पर कार्यस्थगन के प्रावधान के तहत चर्चा शुरू कराने की मांग पर विपक्ष का विरोध जारी रहा. अब यह बिल राज्यसभा में पेश किया जाएगा. राज्यसभा के पास 14 दिनों के भीतर इसे पास करने का विकल्प है,लेकिन राज्य सभा के पास वित्त विधेयको को ले कर कोई अधिकार नही होने की वजह से इस अवधि के बाद यह पास ही माना जाएगा.विपक्ष की आपत्ति थी कि सरकर इस विधेयक को मनी बिल बतौर ले कर आई है जिससे राज्य सभा की महत्ता कम हुई है.
इसमें प्रस्ताव किया गया है कि अगर लोग अपनी अघोषित नकद की घोषणा करते हैं, तो उन्हें कर एवं जुर्माने के रूप में 50 प्रतिशत देना होगा, जबकि ऐसा नहीं करने और पकड़े जाने पर 85 प्रतिशत कर एवं जुर्माना लगेगा. प्रस्तावित संशोधित आयकर कानून में यह भी प्रावधान है कि घोषणा करने वालों को अपनी कुल जमा राशि का 25 प्रतिशत प्रधानमंत्री मंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) में लगाना होगा, जहां कोई ब्याज नहीं मिलेगा. साथ ही इस राशि को चार साल तक नहीं निकाला जा सकेगा.
अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने हंगामे के बीच ही चर्चा के बगैर मत विभाजन कराया और विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया.स्पीकर ने कहा, ‘यह सार्वजनिक महत्व वाला विधेयक है. मैं चाहती थी कि इस पर विस्तार से चर्चा हो. मौजूदा स्थिति में चर्चा संभव नहीं लगती. इसलिए मैं विधेयक पर सीधे मत विभाजन करा रही हूं.' उन्होंने विपक्षी दलों से कहा, ‘आप चर्चा नहीं चाहते. मैं कुछ नहीं कर सकती.' आयकर अधिनियम, 1961 और वित्त अधिनियम, 2016 का और संशोधन करने वाला यह विधेयक ‘धन विधेयक' है. चार बार के स्थगन के बाद दोपहर ढाई बजे सदन की बैठक शुरू हुई तो अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को बोलने का मौका दिया. खड़गे ने कहा कि सरकार आयकर संशोधन विधेयक चर्चा के लिए लायी है. उससे पहले नोटबंदी के मुद्दे पर चर्चा लंबित है.
उन्होंने कहा, ‘हमारी मांग है कि कार्यस्थगित करके नोटबंदी की चर्चा के साथ ही इस विधेयक को भी शामिल कर दीजिए और मिलकर दोनों पर चर्चा हो जाएगी.' तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने भी विधेयक पर चर्चा को नोटबंदी पर चर्चा के साथ मिलाने का प्रस्ताव दिया. उन्होंने कहा कि यह विधेयक चूंकि विमुद्रीकरण (डिमोनेटाइजेशन) का हिस्सा है और उस फैसले के आगे का कदम है इसलिए दोनों को मिला देना चाहिए. हालांकि अध्यक्ष ने कहा कि विधेयक पर चर्चा को किसी अन्य विषय के साथ नहीं मिलाया जा सकता. बीजद के भतृर्हरि महताब ने कहा कि विधेयक पर चर्चा से पहले सदन में कामकाज सुचारु होना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘हमारी पार्टी ने और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कालेधन पर सरकार के कदम का स्वागत किया है.' उन्होंने कहा कि इस पर सरकार जो विधेयक लाई है, उसमें कुछ सुधार की जरुरत है. पहले नोटबंदी के मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए और फिर विधेयक पर विस्तार से चर्चा करानी चाहिए. इस बीच कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल, तृणमूल कंाग्रेस के सौगत राय और आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन ने व्यवस्था संबंधी कुछ प्रश्न उठाये। जिन्हें अध्यक्ष ने यह कहते हुए मंजूरी नहीं दी कि सरकार कल विधेयक पेश कर चुकी है और विधेयक को तत्काल पारित कराना आवश्यक है.
उन्होंने कहा, ‘हमें विधेयक को तत्काल पारित कराना होगा.' इस बीच कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वामदलों के सदस्य विधेयक को बाद में लाने और नोटबंदी पर कार्यस्थगन प्रस्ताव के तहत चर्चा पहले शुरू कराने की मांग के साथ नारेबाजी करते हुए आसन के समीप आ गये.
विधेयक पर वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि सरकार सत्ता में आने के बाद से कालेधन पर कई कदम उठा चुकी है. उसी क्रम में गत आठ नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 रुपये के नोटों को अमान्य करने की घोषणा की थी। इस कदम का उद्देश्य कालेधन पर रोक लगाना और ऐसे धन को मुख्यधारा में लाना है.
उन्होंने कहा कि सरकार आयकर अधिनियम में संशोधन लाई है. इसमें प्रावधान है जो लोग अपना अघोषित धन बैंक में जमा कर उसकी जानकारी देते हैं तो उन्हें 50 प्रतिशत कर, जुर्माना और अधिभार अदा करना होगा। 25 प्रतिशत राशि उन्हें वापस मिल जाएगी और शेष 25 प्रतिशत राशि चार साल बाद मिलेगी. जेटली ने कहा कि जो लोग गैरकानूनी तरीके से अघोषित धन रखते पाये गये उन्हें 85 प्रतिशत कर और हर्जाना देना होगा. उन्होंने कहा कि इससे सरकार को साधन मिलेंगे जिनसे विकास कार्य हो सकेंगे. प्रधानमंत्री ने इसी संबंध में गरीब कल्याण कोष की भी घोषणा की है.वी एन आई