नोटबंदी का असर-अब खुश नही है जमाना पहली तारीख से बल्कि परेशान है,बेंको के बाहर आज वेतन भोगियों की लंबी कतारे

By Shobhna Jain | Posted on 1st Dec 2016 | VNI स्पेशल
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नई दिल्‍ली 1 दिसंबर (शोभनाजैन/वीएनआई)कभी एक मशहूर हिंदी फिल्म का लोकप्रिय गीत -खुश है जमाना आज पहली तारीख है- के मायने अब बदल गये है. कभी जो पहली तारीख वेतन भोगियो के लिये वेतन पाने और खुशी मनाने का दिन माना जाता था, वही अब नोटबंदी के बाद से बेंको की लंबी कतार को झेल रहा परेशान आम आदमी ,वेतन भोगी और पेंशन पाने वाले बुजुर्ग आज तन्ख्वाह के हफ्ते बेंको के सीन और वहा कैश की किल्लत को ले कर खासा आशंकित नजर आये. आज सुबह से ही बेंको, ए टी एम के बाहर लंबी लंबी कतारे लगी है हालांकि बेंको ने आश्वासन दिया है कि वे इसके लिये समुचित अतिरिक्त प्रबंध कर रहे है और कैश की कमी नही रहेगी. सूत्रो के अनुसार आरबीआई ने सरकार को आश्‍वस्‍त किया है कि उसने लोगों के अधिक धन निकासी के लिए पर्याप्‍त इंतजाम किए हैं. सूत्रों के मुताबिक रिजर्व बैंक ने वित्‍त मंत्रालय से कहा है कि सात दिसंबर तक वेतन के दिनों के मद्देनजर नकद निकासी की भारी मांग को देखते हुए सभी सरकारी प्रेस 500 रुपये के नए नोट छाप रहे हैं.प्राप्त जानकारी के अनुसार बेंको मे सरकारी कर्म्चारियो के तनख्वाहे पहुंचनी शुरू हो गई हे लेकिन अनेक लोगो की शिकायत है कि सुबह बेंक खुलने के थोड़े देर बाद ही नगदी खतम हो जाती है. आठ नवंबर को पीएम मोदी की नोटबंदी की घोषणा के बाद वेतन के दिनों के लिहाज से यह पहला मौका है. सूत्रो के अनुसार बैंकों ने भारी निकासी दबाव को देखते हुए आरबीआई से अतिरक्त नकदी मांगी है, इसके तहत आरबीआई ने 10 से 25 नवंबर तक 2 लाख करोड़ रुपये की नकदी भेजी है . अनेक बेंको की शाखाओं में संभावित भीड़ से निपटने के लिए अतिरिक्त काउंटर खोलने की तैयारी की है. सूत्रो के अनुसार बैंकों के लिए यह असली चुनौती होगी, जब वेतन और पेंशन की निकासी के लिए उनकी शाखाओं पर भीड़ उमड़ेगी। केंद्र सरकार के ही 50 लाख वेतनभोगी कर्मचारी हैं और 58 लाख पेंशनभोगी हैं। कारोबारी भी अपने कर्मचारियों के वेतन के लिए रकम निकासी उसी दिन करेंगे। माना जा रहा है कि दिसंबर के शुरुआती दस दिन बैंकों के लिए खासे भारी पड़ेंगे क्योंकि राशन, स्कूल फीस से लेकर तमाम तरह के बिल और दूसरे खर्च उसी दौरान किए जाते हैं, जिसके लिए हर शख्स को रकम निकासी की जरूरत होगी। सूत्रो के अनुसार रिजर्व बैंक भी स्थिति को काबू में रखने के लिए अपनी ओर से पूरी कोशिश कर रहा है। बैंकरों का कहना है कि केंद्रीय बैंक ने नोटों की आपूर्ति तेज कर दी है। 10 नवंबर से 25 नवंबर के बीच रिजर्व बैंक ने 2 लाख करोड़ रुपये के नए नोट बैंकों पास भेजे हैं। लेकिन नोटों की किल्लत से घबराए लोगों ने आम तौर पर निकासी कर रकम अपने घरों में रख ली है, जिसकी वजह से कमी और भी महसूस हो रही है। ऐसे में दिसंबर की शुरुआत में एटीएम पर भी दिक्कत हो सकती है क्योंकि ज्यादा वेतन वाले एक ही बार में वेतन निकालने के बजाय एटीएम का बार-बार प्रयोग करते हैं। बड़े नोट बंद होने की घोषणा को 20 दिन बीतते-बीतते बैंकों के एटीएम के आगे कतारें कुछ छोटी दिखने लगी हैं, लेकिन एटीएम के आगे की भीड़ अब बैंकों के भीतर नजर आने लगी है। पुराने नोट जमा कराने वालों से ज्यादा भीड़ नए नोट निकालने वालों की हैं, जिनमें कारोबारी, नौकरीपेशा, पेंशनर और करीब-करीब हर तबके के लोग शामिल हैं। रिजर्व बैंक ने भीड़ कम करने के लिए 70 फीसदी से ज्यादा एटीएम को नए नोटों की निकासी के लिए दुरुस्त बना दिया है, लेकिन कई एटीएम अभी नकदी का इंतजार ही कर रहे हैं। इसके अलावा 2,500 रुपये रोजाना की बंदिश और महीने का आखिरी हफ्ता लोगों को एटीएम से मुंह मोड़कर बैंकों के भीतर जाने के लिए मजबूर कर रहा है।वी एन आई

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