नई दिल्ली 31 अक्टुबर (जे सुनील,वीएनआई) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि अगर भारत को आगे बढ़ना है और विकास की नयी उंचाइयां हासिल करना है तो इसके लिए एकता, शांति और सदभाव पहली शर्त है। देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री सरदार पटेल की 140वीं जयंती पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि एकता हमारी सबसे बड़ी ताकत है। हमें एकता, शांति और सद्भाव के मंत्र के साथ आगे बढ़ना होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरदार पटेल ने हमें एक भारत देने के लिए काम किया था और अब इसे श्रेष्ठ भारत में बदलने की जिम्मेदारी हमारी है, उन्होंने यह भी घोषणा की कि एक भारत श्रेष्ठ भारत योजना जल्द ही शुरू की जाएगी जिसके तहत कोई भी राज्य हर साल किसी दूसरे राज्य को चुन कर उसकी भाषा और संस्कति को बढ़ावा दे सकेगा। मोदी ने कहा'मैंने एक समिति बनाई है जो इस कार्यक्रम को अमली जामा पहनाने के तौर तरीकों पर काम कर रही है'इस मौके पर प्रधानमंत्री ने राजपथ से एकता के लिए दौड़ (रन फॉर यूनिटी) को झंडी दिखा कर रवाना किया। उन्होंने लोगों से पटेल का यह संदेश प्रचारित करने को कहा कि अपनी एकता की खातिर देश कुछ भी बलिदान दे सकता है श्री मोदी ने इस अवसर पर लोगों को राष्ट्रीय एकता और देश की आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए शपथ भी दिलाई. गौरतलब है कि एकता के लिए दौड़ आज देश भर मे आयोजित की जा रही है, जिसमे बड़ी तादाद मे लोगो ने हिस्सा लिया. डौड़ मे हिस्सा लेने वाले अनेक लोगो का मानना था कि विकास के लिये देश मे सदभाव और शांति बहुत जरूरी है.सरदार पटेल की जयंती पर राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जा रहा है.
प्रधानमंत्री ने समारोह मे वंशवाद की राजनीति पर प्रहार करते हुए कहा कि यह हमारी राजनीति का विष बन गई है। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल ने अपने परिवार के किसी भी सदस्य को राजनीति में आगे नहीं बढ़ाया। उन्होने कहा कि वह सही मायने मे लौह पुरुष थे जिन्होने देश को एक सूत्र मे पिरोने का कर्य किया . श्री मोदी ने कहा कि जब अंग्रेज विभाजन का खेल खेल रहे थे तब आजाद भारत के पहले गह मंत्री ने रियासतों का भारत संघ में विलय करवाकर राष्ट्रीय एकता की खातिर अथक परिश्रम किया था। मोदी ने कहा उन्हें लौह पुरूष इसलिए नहीं कहा जाता था कि किसी ने उन्हें इसका सर्टिफिकेट दिया था। वह लौह पुरूष इसलिए कहलाते थे क्योंकि उन्होंने कड़े फैसले किए थे।
प्रधानमंत्री ने कहा अगर देश को आगे बढ़ना है और विकास की नयी उंचाइयां हासिल करना है तो पहली गारंटी यह है, हमारी भाषा कोई भी हो, हमारी सोच कोई भी हो और कश्मीर से कन्याकुमारी तथा अटक से कटक तक हमारी प्रेरणा कोई भी हो, अगर हमारा लक्ष्य भारत माता को दुनिया में नयी उंचाइयों तक ले जाना है तो इसके लिए पहली शर्त एकता, शांति और सद्भाव है। उन्होंने कहा अगर 125 करोड़ भारतीय एकता, शांति और सदभाव के मंत्र के साथ कंधे से कंधा मिला कर एक कदम बढ़ाएं तो देश एक बार में 125 करोड़ कदम आगे बढ़ जाएगा।
मोदी ने कहा एकता के धागे में देश का बंधा होना हमारी ताकत है और एकता की खातिर कुछ भी बलिदान किया जा सकता है और यही सरदार साहब का संदेश है। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल का जीवन देश की एकता के लिए समर्पित था।
अपने संबोधन की शुरूआत में मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी उनकी पुण्यतिथि पर याद किया। उन्होंने कहा कि आज ही के दिन उन्होंने अपने प्राणों का बलिदान दिया था जिसे भुलाया नहीं जा सकता। प्रधानमंत्री ने कहा कि महान लोगों के कार्यों का मूल्यांकन करना हमारा काम नहीं है बल्कि हमें उनके योगदान को याद करना चाहिए और कोशिश करनी चाहिए कि आने वाली पीढ़ियों के कल्याण के लिए उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।
मोदी ने कहा कि कई लोग महिलाओं को आरक्षण देने का श्रेय ले सकते हैं लेकिन वास्तविकता यह है कि 1930 के दशक में जब सरदार पटेल अहमदाबाद नगर निगम के महापौर थे तब उन्होंने महिलाओं को अधिकार संपन्न बनाने के प्रयास के तहत उनके लिए 50 फीसदी आरक्षण का प्रस्ताव किया था।
इस अवसर पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह, शहरी विकास मंत्री एम वेंकैया नायडू, दिल्ली के उप राज्यपाल नजीब जंग और राज्य के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी मंच पर मौजूद थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरदार पटेल ने हमें एक भारत देने के लिए काम किया था और अब इसे श्रेष्ठ भारत में बदलने की जिम्मेदारी हमारी है। उन्होंने कहा कि 1920 के दशक में अहमदाबाद के महापौर रहते हुए पटेल ने स्वच्छता के लिए अभियान चलाया था जो 222 दिन तक चला और इसकी तारीफ महात्मा गांधी ने की ,जो खुद बेहद सफाई पसंद थे।
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि प्राचीन ग्रंथों में भी राष्ट्रीय एकता की अवधारणा मौजूद है। उन्होंने कहा कि भारत की सीमाएं बहुत पहले परिभाषित की गई थीं लेकिन सरदार पटेल ने उन्हें निश्चित आकार देने के लिए काम किया।
सरदार पटेल को आधुनिक भारत का निर्माता बताते हुए सिंह ने कहा कि पटेल ने देश की एकता सुनिश्चित की जिससे देश को समद्ध होने में मदद मिली। अब हमें इसे बनाए रखने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहिए। नायडू ने इस बात पर अफसोस जाहिर किया कि पटेल को भारतीय इतिहास में वह जगह नहीं मिली जिसके वह हकदार थे, कारण चाहे जो भी रहे हों। उन्होंने कहा अब हमें उनके एकता और अखंडता के दर्शन को बनाए रखने के लिए काम करना चाहिए।वीएन आई