पोर्टलुई, मॉरीशस, 13 मार्च (अनुपमा जैन,वीएनआई) मॉरीशस गये प्रवासी भारतीय भारत से अपने साथ भावनात्मक संबल के लिये \'रामचरित मानस\' और \'हनुमान चालीसा\' आध्यात्मिक ग्रंथ ले कर आते थे, वे ग्रंथ न/न केवल मुशकिलो के दौर मे उनके साथी थे बल्कि इन्ही के माध्यम से मॉरिशस में \'हिंदी भाषा\' का एक छोटा सा बिरवा भी रोपा गया था, जो बाद मे फैल कर विशाल वट् वृक्ष बन गया, खास तौर पर मॉरीशस के ब्रिटिश उपनिवेशवादी शासन से मुक्त होने के बाद वहा सरकारी तौर पर भी हिंदी को खासा बढावा मिला. प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने मॉरीशस प्रवास मे मॉरिशस मे हिंदी के लोकप्रिय होने और इसे समृद्ध बनाने ्के प्रयासों की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि मॉरीशस में हिन्दी को जो प्यार मिला, वह अपने आप में एक उदाहरण है। मॉरीशस एक ऐसा देश है जिसका खुद का हिन्दी साहित्य है। इसने भाषा को अगाध योगदान दिया है. प्रधान मंत्री मोदी ने कल यहा विश्व हिन्दी सचिवालय भवन के निर्माण की आधारशिला रखी जहां उन्होंने हिन्दी भाषा की \'अद्वितीयता\' का वर्णन किया। उन्होने इस बात की प्रशंसा की मॉरीशस का नेतृत्व हिंदी को बढावा देने के लिये अनेक कदम ऊ्ठा रहा है
प्रधान मंत्री मोदी ने कहा \' हिन्दी भाषा भावनाओं को व्यक्त करने का एक माध्यम है। जब कोई अपनी मातृभाषा में बात करता है, तो यह दिल से निकलती है। हमारे पूर्वज मॉरीशस में हिन्दी लेकर आए थे।\' उन्होने कहा कि अप्रवासी भारतीय यहा अनथक मेहनत से रोजी रोटी कमाने के साथ साथ हिमालय और गंगा के स्मृतिया के साथ जीते रहे, अपनी संस्कृति को संजोये शिवरात्री,होली, कवाडी और ईद के त्योहार उनकी जिंदगी का अभिन्न अंग बन गये.
मोदी सरकार भारत में आधिकारिक कामकाज में हिन्दी के इस्तेमाल को भी बढ़ावा दे रही है, प्रधान मंत्री ने कहा कि हिन्दी ने भाषाओं की दुनिया में एक विशेष स्थान बनाया है
प्रवासी भारतीय जब अपने घरो से सैकड़ो दूर यहा गिरमिटिया मजदूरो के रूप मे आये तो अपने साथ \'रामचरित मानस\' और \'हनुमान चालीसा\' व अन्य आध्यात्मिक ग्रंथ भी ले कर आये.दिन भर की कड़ी मेहनत और मजबूर जिंदगी के बाद शाम ढले इन ग्रंथो का मिल कर पाठ करना उनका भावनात्मक संबल तो था ही, साथ ही इन्ही के माध्यम से मॉरिशस में हिंदी भाषा का एक छोटा सा बिरवा रोपा गया था . आज भी मॉरेशस मे रामचरित मानस व अन्य आध्यात्मिक ग्रंथ का पाठ सार्वजनिक समारोह मे बहुत श्रद्धा पूर्ण किया जाता है श्री मोदी कल मॉरिशस के राष्ट्रीय दिवस पर मुख्य अतिथि थे, उन्होने कहा कि वे अपने साथ भारत की सवा अरब जनता की शुभकामनाये मॉरिशस वासियों के लिये लेकर आये हैं, इससे पूव भारत वंशियों द्वारा आयोजित स्वागत समारोह मे अनेक भाव विह्वल दृश्य देखने को मिले, वहा उपस्थित भारत वंशी अपने पुरखों के देश से आये जनप्रतिनिधि को देखकर रह रह कर भावुक हो उठते थे
.मॉरीशस स्थित भारत सरकार का इंदिरा ्गांधीसांस्कृतिक केन्द्र भी वहा हिंदी के प्रचार प्रसार के लिये कार्यक्रम चलाता है. विश्व हिंदी दिवस मॉरीशस वहा पूरे उत्साह से मनाया जाता है. हर वर्ष सचिवालय यह समारोह मॉरिशस सरकार मॉरीशस स्थित भारतीय उच्चायोग व इन्दिरा गांधी भारतीय संस्कृति केंद्र के साथ मिल कर आयोजित करता है , इस वर्ष 10 जनवरी को हुए विश्व हिंदी दिवस समारोह मे मॉरीशस के राष्ट्रपति राजकेश्वर प्रयाग मुख्य अतिथि थे.हालांकि यहा की नयी पीढी मे हिंदी के प्रति अपने \'बड़ो\' जैसा रूझान नही है लेकिन फिर भी हिंदी फिल्मे, गाने खासे भारतीय संस्कृति से जुड़े नृत्य, संगीत और योग आदि के कार्यक्रम उनमे भी यहा खासे लोकप्रिय है. केन्द्र द्वारा आयोजित ये कार्यक्रम यहा बहुत लोकप्रिय होते है.
मॉरिशस में हिंदी पत्रकारिता का भी अपना स्थान है ,हिंदी पत्रकारिता की शुरूआत मणिलाल डाक्टर के \'हिंदुस्तानी\' अखबार से हुई। 2 मार्च 1913 को इस पत्र में \'होली\' शीर्षक कविता छपी। \'होली\' कविता को मॉरिशस की प्रथम हिंदी कविता होने का श्रेय प्राप्य है हालांकि कविता के रचनाकार का नाम अज्ञात है। मॉरिशस के राष्ट्रपिता शिवसागर रामगुलाम के साथ मॉरिशस के स्वतंत्रता संग्राम के शिरकत करने के कारण हिंदी कविताओं में स्वतंत्रता आंदोलन की झलक साफ दिखाई पड़ती है।
12 मार्च 1968 को मॉरिशस ब्रिटिश आधिपत्य से मुक्त हुआ, आजादी के बाद मॉरिशस की हिंदी कविता में एक नया मोड़ आया , पर एक बहुत महत्वपूर्ण हिंदी रचनाकार, जिन्होने हिंदी कविता को एक नया आयाम दिया है तथा जिनकी कविताएँ भारत के हिंदी साहित्य में भी महत्वपूर्ण स्थान पाने की हकदार हैं, वह हैं मॉरिशस के महान कथा-शिल्पी अभिमन्यु अनत, अब तक अनत के प्रकाशित कविता संकलनों मे प्रमुख है : \'कैक्टस के दांत\', \'नागफनी में उलझी सांसें\', \'एक डायरी बयान\' तथा \'गुलमोहर खिल उठा\'। अनंत की अधिकतर कविताओं में मॉरिशस के श्रमजीवियों की वेदना उभरती है। \'लक्ष्मी का प्रश्न\' शीर्षक कविता में एक मजदूर की मजबूरी का अंतर्द्वंद दर्शाती ये पंक्तिया-
\'अनपढ़ लक्ष्मी पर इतना जरूर पूछती रही
पसीने की कीमत जब इतनी महंगी होती है
तो मजदूर उसे इतने सस्ते क्यों बेच देता है...?\'
प्राप्त जानकारी के अनुसार मॉरिशस मे करीब ढाई सौ सरकारी स्कूल हैं जिनमे हिंदी पढाई जाती है,मॉरिशस मे हिन्दी को कितना महत्व दिया जाता है उसका उदाहरण है शिक्षण व प्रचार प्रसार संबंधी महत्वपूर्ण संस्थान है जिनमे विश्व हिन्दी सचिवालय, महात्मा गांधी संस्थान, हिंदी प्रचारिणी सभा, हिंदी संगठन (हिंदी स्पीकिंग यूनियन) हिन्दी लेखक संघ, , रामायण केन्द्र आदि मुख्य है.।
इसके अलावा मॉरिशस के हिंदी प्रकाशन भी हिंदी के प्रचार प्रसार मे बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं जिनमे विश्व हिंदी पत्रिका व विश्व हिंदी समाचार (विश्व हिंदी सचिवालय) वसंत व रिमझिम (महात्मा गांधी संस्थान), आक्रोश (सरकारी हिंदी अध्यापक संघ), पंकज (हिंदी प्रचरिणी सभा) सुमन (हिंदी संगठन), आदिप्रमुख है.
बाद मे प्रधानमंत्री हिंद महासागर के अपने तीन समुद्री मित्र पड़ोसी देशों की यात्रा के अंतिम पड़ाव मे मॉरिशस से श्रीलंका पहुंच गये.
वी एन आई