नई दिल्ली/लुसान 3 अप्रैल ( शोभनाजैन,वीएनआई) ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर पश्चिमी देशों व ईरान के बीच पिछले नौ वर्षो से जारी गतिरोध के बाद अन्ततः इस कार्यक्रम पर \'समझौते\' के प्रारूप पर \'सहमति\' बनाने का भारत ने स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि इस सहमति के आधार पर दोनो पक्षो के बीच 30 जून तक व्यापक समझौता हो सकेगा. विश्व की छह प्रमुख ताकतें व ईरान कल रात आखिरकार इस बात पर सहमत हो गये कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रमों मे कटौती करेगा और उसके बाद पश्चिमी देश उस पर लगाये गये प्रतिबंध चरण बद्ध तरीके से हटा लेंगे. ईरान के इस समझौते पर राजी होने का पूरी दुनिया ने स्वागत किया है. भारत सहित दुनिया भर के नेताओं ने इस फैसले का स्वागत करते हुए इसे वैश्विक शांति के लिए अहम बताया है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरूद्दीन ने इस मसले पर् आज भारत की प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा\' भारत का सदैव यही मत रहा है कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम का मुद्दा परमाणु उर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल के ईरान के अधिकार का सम्मान करते हुए शांतिपूर्ण ढंग से किया जाना चाहिये साथ ही ईरान के पूर्णत शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम पर अंतर राष्ट्रीय् समुदाय के सरोकारो पर ध्यान दिया जाये.\' प्रवक्ता ने कहा \'निश्चय ही यह घोषणा मुद्दो का कूटनीति और बातचीत के जरिये समाधन करने की सफलता है और भारत सदा ही समाधान के इसी रास्ते का समर्थक रहा है.\' उन्होने इस सहमति को एक \'महत्वपूर्ण कदम\' बताते उम्मीद जताई कि इस सहमति से 30 जून तक दोनो पक्षो के बीच व्यापक समझौता हो सकेगा\'
स्विट्जरलैंड के लुसान में ईरान और दुनिया के छह शक्तिशाली देशों के बीच आठ दिनों तक चली बातचीत के बाद आखिरकार ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर समझौते की रूपरेखा पर कल रात सहमति बन गई है। समझौते की इस रूपरेखा के तहत ईरान अपनी यूरेनियम संवर्धन क्षमताओं में कमी लाएगा जिसके बदले में उसके खिलाफ लगे प्रतिबंधों को चरणबद्ध तरीके से हटाया जाएगा। हालांकि जब तक अंतिम समझौता नहीं हो जाता तब तक ईरान के खिलाफ लगे सभी प्रतिबंध जारी रहेंगे। अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि ईरान के साथ समझौते पर \'ऎतिहासिक सहमति\' बनी है।
उल्लेखनीय है कि दुनिया की पांच बड़ी परमाणु शक्तियॉ अमरीका, इंगलेंड,फ्रॉस, चीन , रूस और जर्मनी की ईरान के साथ हुई इस जटिल मसले पर स्विटजर्लेंड मे आठ दिन की गहन वार्ता के बाद यह सहमति हुई हैं .दोनो पक्षो के बीच 2006 से इस जटिल मुद्दी के समाधान को ले कर वार्ता शुरू हुई लेकिन बातचीत के अनेक दौर के बाद गतिरोध बना रहा,इसी के चलते इसी बीच इन देशो ने ईरान के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध लागू कर दिये, जिसका ईरान की अर्थ व्यवस्था पर खराब असर पड़ा ईरान मे जहा इस \'सहमति\' का स्वागत किया गया है, वही इजराइल की इस \'सहमति\' को लेकर आशंकाएं बनी हुई हैं. इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतानयाहू ने कहा\"जो भी समझौता हो वह ईरान की परमाणु क्षमता को कम करे और उसकी आक्रामकता को कम करे।\"
यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रमुख फेडरिका मोघेरनी ने कहा कि सहमति के बाद इस \'करार\' पर राजी होने के बाद यूरोपीय संघ ईरान पर से प्रतिबंध हटा लेगा, जिसके बदले उसे अपने परमाणु कार्यक्रमों में कटौती करनी होगी. उन्होने कहा कि इस सहमति के आधार पर अब समझौते का प्रारूप तैयार किया जायेगा उधर, संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव बान की मून ने भी इस समझौते का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे पश्चिमी एशिया में शांति का रास्ता निकलेगा..वी एन आई