नई दिल्ली,15 अगस्त (अनुपमा जैन,वीएनआई) आजाद भारत का पहला डाक टिकट साढे तीन आना राशि का था!!! जी सही पढा आपने, साढे तीन 'आना' (तब की प्रचलित मुद्रा) यानि चौदह पैसा. यह डाक टिकट 21 नंवर 1947 को जारी हुआ, इसका उपयोग केवल देश के अंदर डाक भेजने के लिये रखा गया. इस पर भारतीय ध्वज का चित्र लगा हुआ था. डाक टिकट की यह राशि 1947 तक 'आना' मे ही रही जबकि रूपये की कीमत 'आना' की जगह बदल कर '100 नये पैसे' मे कर दी गयी. वैसे 1964 मे पैसे के साथ जुड़ा 'नया' शब्द भी हटा दिया गया. 1947मे एक रुपया '100 पैसे' का नही बल्कि '64 पैसे' यानि 16 आने का होता था और इकन्नी, चवन्नी और अठन्नी का ही प्रचलन था
प्राप्त सूचना के अनुसार देश मे भेजे जाने वाली डाक के लिये पहले डाक टिकट पर अशोक के राष्ट्रीय चिन्ह का चित्र मुद्रित किया गया .इसकी कीमत डेढ आना थी. इसी तरह विदेश मे भेजे जाने वाले पत्रो के लिये पहले डाक टिकट पर डी सी चार विमान का चित्र बना हुआ था, उसकी राशि बारह आना यानि 48 पैसे की थी.
15 अगस्त 1947 को नेहरू जी ने आजादी के बाद, लाल किले से अपने पहले भाषण का समापन, “जय हिन्द” से किया। डाकघरों को सुचना भेजी गई कि नए डाक टिकट आने तक, डाक टिकट चाहे अंग्रेज राजा जॉर्ज की ही मुखाकृति की उपयोग में आये लेकिन उस पर मुहर “जय हिन्द” की लगाई जाये. यह 31 दिसम्बर 1947 तक यही मुहर चलती रही.आज़ाद भारत की पहली डाक टिकट पर भी “जय हिन्द” लिखा हुआ था।. वीएनआई