सोल, कोरिया 19 मई (शोभनाजैन,वीएनआई) निरंतर मैली होती जा रही \'गंगा\' और गंदगी मे डूबी \'यमुना\' सरीखी नदियों के शुद्धीकरण की खबरो के बीच दक्षिण कोरिया के\'सोल\' शहर का \'काला धब्बा\' मानी जाने वाली नहर, एक उम्मीद जगाती है.यह नहर अब है पर्याय, निर्मल जल धारा के साथ हरितिमा के अनूठे संगम का, किस तरह से \'कल कल\' बहती जल धारा के साथ विकसित कर उसका एक आकर्षक पर्यट्क के रूप मे विकसित कर कायाकल्प किया जा सकता है.प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने कल सोल मे चंगेचन शहर नवींकरण परियोजना का दौरा किया और इस सपने से तिलस्म को देखा .सोल शहर के नक्शे के एक आ्कर्षक पर्यटन स्थल के रूप मे विकसित इस स्थल के दौरे के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवकता विकास स्वरूप ने प्रधान मंत्री के इस दौरे की तस्वीरें ट्वीट करते हुए लिखा. दूरदृष्टि और दृढ इच्छा शक्ति से क्या कुछ संभव नही हो सकता है, उसी का एक नायाब उदाहरण...प्रधानमंत्री का चंगेचन नहर का दौरा...
कभी शहर का काला धब्बा मानी जाने वाली इस नहर मे अब आईने सा साफ निर्मल पानी कल कल हिलोरे लेता है. जल मे सतरंगी फव्वा्रे पूरे माहौल को स्वप्निल बनाते है . नदी के तटों पर मनभावन हरियाली है और नहर मछलियो के अठखेलियो और जलपाखियों से गुलज़ार है. शहर के लोग और सैलानियो के अब यह एक मनपसंद पर्यटक स्थल है, जहा वे ठंडी हवाओ का लुत्फ उठा रहे है, यही नही इस नदी के काया कल्प से इस इलाके का तापमान भी शहर से अपेक्षाकृत कम हुआ है. प्रधान मंत्री को वहा के अधिकारियो ने इस नदी की काया कल्प की पूरी परियोजना से अवगत कराया. उन्होने इस शहरी नवीनीकरण परियोजना की प्रशंसा की . श्री मोदी के साथ इस दौरे मे शहर के मेयर भी थे.
भारत स्थित दक्षिण कोरिया के एक राजनयिक के अनुसार ये नहर अब शहर की सबसे खूबसूरत जगहों मे मानी जाती है, इसने वहाँ के पर्यावरण मे भी बहुत बदलाव लाया है. दरअसल चंगेचन नहर एक सूखा सा गंदा नाला बन चुकी एक नहर को \'पुनर्जीवित\' करने के अजूबे की कहानी इन्सानी जज़्बे की एक अनूठी मिसाल है.
स्वतन्त्र होने के बाद 1950 के दशक मे उत्तरी कोरिया के आक्रमण के कारण कोरिया तबाही के बाद के उबरने के दौर मे था . अपने मे समटे हुए चंगेचन नहर जो कि ्हान नदी की एक सहायक नदी थी, वह भी विलुप्त हो चुकी थी,600 साल का इतिहास अपने मे समटे हुए चंगेचन नहर जोसम शासनकाल मे सोल वासिओं को पानी देने के लिये बनायी गयी थी हालाँकि इसका शाब्दिक अर्थ ‘स्वच्छ खुली हुई नहर’ है लेकिन उस जमाने मे सीवर और धोबीघाट की वजह से हुई गंदगी के कारण सबसे ज़्यादा मौतों का कारण भी बनी वो समय ऐसा था जबकि सोल मे सबसे ज़्यादा मौतें इसी इलाके मे हो्ती थी, 1960 मे औद्योगिक प्रगति की होड़ मे इसको पाट कर इस पर एक सड़क बना दी गयी थी और 1968 मे इसके ऊपर बना डाला 5.8 किलोमीटर का कंक्रीट ्का एक एलेवेटेड हाईवे, जिस पर या्त्रा करने वालों ने कल्पना मे भी शायद नही सोचा था कि इस हाईवे और उसके नीचे बनी सड़क के नीचे प्रकृति का अनमोल खज़ाना छिपा हुआ है. तब तक यह नहर काफी गंदी और कचरे का ढेर सा बन चुकी थी
हर जगह डीज़ल और टायर का प्रदूषण फैला हुआ था । बरसात के दिन तो क़यामत के दिन होते थे ,पैदल चलने वालों के कारण अधिक भीड़ हो जाती और केवल 1.5 मीटर जगह बचती ट्रक खड़े करने और विक्रेताओं के लिए । इससे जाम लग जाता, पैदल यात्री पथ बंद कर दिया जाता था. धोबी घाट भी यहीं था लेकिन वर्ष 2002 में सोल की दूरदृष्टि वाली तत्कालीन महापौर पार्क ग्युन -हये जो बाद मे कोरिया ्की राष्ट्रपति बनी . उन्होने इस \'मरी हुई नहर को पनर्जीवित\' करने का अभियान शुरू किया. एक कार्य योजना बनी, और उसे पूरी शिद्दत से लागूकरने का अभियान शुरू हुआ उन्होने इस नहर को पुनर्जीवित करने के अभियान को अपना चुनावी मुद्दा भी बनाया और इसी मुद्दे पर चुनाव भी जीता । वर्ष 2003 मे शुरू हुई यह परियोजना 2005 मे पूरी हो गयी कंक्रीट के जंगल के नीचे दफन कर दी गयी इसकी 6 किलोमीटर (लगभग चार मील) तक की धारा को खोज निकाला गया । 90 करोड़ डॉलर की इस परियोजना को सार्वजनिक रूप से पहले काफी आलोचनाओ का सामना करना पड़ा लेकिन अब यही नहर दृढ इच्छा शक्ति का एक अनुपम उदाहरण है.हान नदी से निकलने वाली लगभग 10.9 किलोमीटर लंबी सोल में पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है और बाद मे भी यह हान नदी में मिल जाती है जो बाद मे पीत सागर से जा मिलती है
अब यहां की धूप सुनहरी हैं, क्रीक के नीचे उजाला, हवा और हरियाली है,जल धारा मे रंगीन रोशनी वाले फव्वारे पानी को सतरंगी बना रहे है .मछलियाँ और जल जंतु पानी मे अठखेलिया करते है, तो तट पर हवा के झकोरो से इठलाते पौधे नदी के दुबारा अस्तित्व में आने से साफ़ पानी मे जल जंतु आ गये है । इससे तापमान में भी कमी आई है । नहर के आस पास का तापमान भी अब शहर की अपेक्षा 4-5 डिग्री कम हुआ है. एक और खास बात यह है कि सोल में आने वाले वाहनों की संख्या में भी गिरावट आई है । अब लोग बसों का ज्यादा इस्तेमाल करते है जिसकी वजह से पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है । वी एन आई