यह फैसला महिलाओं को ही लेने दीजिए कि वे क्या बनना चाहती हैं -रूला गनी

By Shobhna Jain | Posted on 22nd Apr 2015 | VNI स्पेशल
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नई दिल्ली 22 अप्रैल(शोभना जैन,वीएनआई) अफगानिस्तान के राष्ट्रपति मो.अशरफ गनी की पत्नि तथा प्रथम महिला सुश्री रूला गनी महिलाओं को सही मायने मे अधिकारसंपन्न बनाने के लिए आवश्यक है कि महिलाये को ही निर्णय करने दीजिए कि वे क्या बनना चाहती हैं। सुश्री रूला गनी ने भारत के साथ प्रगाढ संबंध बनाने पर जोर देते हुए कहा कि भारत अपनी महिला उद्यमियों को बढ़ावा देने तथा महिला श्रमबल को कुशल बनाने की दिशा में सराहनीय काम कर रहा है।उन्होने भारतीय महिला उद्यमियों से भी आग्रह किया कि वे समाज की उन बाधाओं को तोड़ने के लिए समाधान सुझाएं जिनके बंधन में न केवल अफगानिस्तान की बल्कि पूरे विश्व की महिलाएं जकड़ी हुई हैं। साथ ही उन्होने भारत की महिला प्रशिक्षकों एवं शिक्षाविदों को अफगानिस्तान में अल्प काल की अवधि के लिए जाने और वहां की महिलाओं को प्रशिक्षित करने तथा उत्पादक कौशलों को विकसित करने में मदद करने की सलाह दी। सुश्री रूला गनी ने अपनी हाल की भारत यात्रा के दौरान फिक्की लेडीज ऑर्गेनाइजेशन (एफएलओ) द्वारा आयोजित एक विशेष सत्र को संबोधित करते हुए भारत की महिला प्रशिक्षकों एवं शिक्षाविदों को काबुल एवं अफगानिस्तान के अन्य शहरों में अल्प काल की अवधि के लिए जाने और वहां की महिलाओं को प्रशिक्षित करने तथा उत्पादक कौशलों को विकसित करने में मदद करने की सलाह दी।उन्होने कहा कि आज के परिदृश्य में अगर महिला समाज में अपनी मजबूत जगह बनना चाहती हैं तो उन्हें काम में उत्पादक तरीके से योगदान देना होगा। उन्होने अफगानिस्तान के पुनर्निमाण मे भारत के योगदान की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारत चौथा देश है जिसने अफगानिस्तान के पुनर्निमाण के लिए दिल खोलकर मदद की है। लेकिन वहां अभी काफी कुछ किया जाना बाकी है, उन्होने उम्मीद जताई कि भारत इसी तरह भविष्य में भी मदद जारी रखेगा. गौरतलब है कि श्रीमति गनी अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई की पत्नि के सार्वजनिक जीवन से दूर रहने की छवि से अलग हट कर कर समाजिक जीवन मे खासी सक्रिय है. अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अब्दुल गनी अगले सप्ताह भारत की दो दिवसीय यात्रा पर आ रहे है.अफगानिस्तान का राश्ट्रपति बनने के बाद यह उनकी पहली भारत यात्रा है सुश्री गनी कहती हैं कि वे खुद को एक माध्यम के रूप में देखती हैं। लोग अफगानिस्तान में उनके कार्यालय में आसानी से आ कर विभिन्न मुद्दो पर अपने विचार बता सकते हैं। उनका कहना है कि वह लोगों के सामने आने वाली चुनौतियों को समझने का प्रयास कर रही हैं और उन दकियानुसी परंपराओं को तोड़ने के रास्तों की तलाश कर रही है जिन्होंने अफगानिस्तान के लोगों की मानसिकता को जकड़ रखा है। पुराने काबुल की याद करते हुए, वह कहती हैं कि एक ऐसा भी एक वक्त था जब महिलाएं आजादी के साथ घर के बाहर शिक्षिकाओं, कंपनियों की निदेशकों के रूप में काम किया करती थीं। लेकिन जब से देश गृह युद्ध की चपेट में आया, मूल्य व्यवस्था चौपट हो गई ुन्होने कहा कि ्वे उसी व्यवस्था को पुनरूज्जीवित करने तथा अफगानिस्तान की खो चुकी संस्कृति को बहाल करने की कोशिश कर रही हैं जहां महिलाओं को कार्यस्थल पर सम्मान मिलता था और उन्हें अपने परिवार और समाज से समर्थन मिलता था। अफगानिस्तान के नवीनतम घटनाक्रमों का जिक्र करते हुए सुश्री गनी ने कहा कि गृह युद्ध के बाद देश में 13 वर्षों तक एक स्थिर माहौल तो बना लेकिन वहां कोई ठोस विकास नहीं हुआ। इसीलिए, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति श्री अशरफ गनी देश के सार्थक विकास के लिए अब ठोस बुनियाद डालने की दिशा में काम कर रहे हैं। एफएलओ की अध्यक्षा सुश्री अर्चना गरोडिया के अनुसार, भारत और अफगानिस्तान के बीच लंबे समय से मजबूत द्विपक्षीय रिश्ते रहे हैं। महिला अधिकारिता के क्षेत्र में इस साझीदारी को और आगे बढ़ाने के लिए उन्होने सुझाव ्दिया कि दोनों देश ‘महिला उद्यमी आदान प्रदान‘ कार्यक्रम और ‘ समान कौशल विकास एवं क्षमता निर्माण‘ कार्यक्रम की शुरूआत कर सकते हैं। भारत में अफगानिस्तान के राजदूत श्री शैदा मोहम्मद अब्दाली; एफएलओ की उपाध्यक्षा सुश्री वासवी भरत राम और एफएलओ की कार्यकारी निदेशक डा. मंजू कालरा प्रकाश ने भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किए।वी एन आई

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